मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 3 जुलाई की देर शाम तक काबिज रहे झारखंड के पूर्व CM चम्पाई सोरेन अब बागी तेवर दिखा रहे हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के विधायक चम्पाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने आधिकारिक हैंडल के बायो से पार्टी का नाम हटा दिया है. चम्पाई ने साथ ही एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखकर ये साफ कर दिया है कि पार्टी के साथ उनका दशकों लंबा सियासी सफर अब विराम की अवस्था में पहुंच गया है और अब वह आगे के सफर के लिए विकल्प तलाश रहे हैं. चम्पाई ने खुद ही तीन विकल्पों के संकेत भी दिए हैं.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई ने पोस्ट कर हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने, विधायक दल की बैठक और अपने इस्तीफे तक का जिक्र किया है. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा था कि आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है. चम्पाई सोरेन ने तीन विकल्पों के संकेत देते हुए कहा है कि पहला विकल्प था राजनीति से संन्यास, दूसरा अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा अगर अगर कोई साथी मिले तो उसके साथ आगे का सफर तय करना.
Also Read – 30 साल बाद देश में होगा गृहयुद्ध…कैलाश विजयवर्गीय के बयान ने मचाई खलबली, कहा- हिन्दुओं को मजबूती…
चम्पाई सोरेन ने जो तीन विकल्प बताए हैं उनमें राजनीति से संन्यास के साथ ही नई पार्टी बनाने या किसी पार्टी में जाने की बात भी है. क्या चम्पाई बीजेपी में जाएंगे या अपनी पार्टी बनाएंगे? झारखंड के पूर्व सीएम ने अपनी इस पोस्ट के साथ ही एक और पोस्ट की है जिसमें उन्होंने इशारों-इशारों में ये साफ कर दिया है कि वह अपनी पार्टी बनाने नहीं जा रहे. चम्पाई ने अपनी इस दूसरी पोस्ट में लिखा है कि यह मेरा निजी संघर्ष है इसलिए इसमें पार्टी के किसी सदस्य को शामिल करने या संगठन को किसी प्रकार की क्षति पहुंचाने का मेरा कोई इरादा नहीं है. चम्पाई अगर अपनी पार्टी बनाने के विकल्प पर बढ़ने का इरादा करते तो उन्हें और नेताओं की भी जरूरत पड़ती.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने किसी दूसरे दल के साथ जाने का विकल्प चुन सकते हैं. चम्पाई सोरेन के के सीएम बनने के बाद बीजेपी नेताओं ने उन्हें टार्गेट करने से परहेज किया, सीएम पद से हटाए जाने के बाद से सहानुभूति भी दिखाई. ऐसे में अब कयास हैं कि चम्पाई बीजेपी में जा सकते हैं. कहा ये भी जा रहा है कि चम्पाई सोरेन की झारखंड चुनाव के लिए बीजेपी के सह प्रभारी असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी से मुलाकात हो चुकी है.
चम्पाई सोरेन के बीजेपी में जाने की चर्चा है तो उसकी वजह सिर्फ बीजेपी नेताओं का नरम रवैया, सहानुभूति ही नहीं बल्कि सूबे का सियासी मिजाज भी है. झारखंड की सियासत में झारखंड विकास मोर्चा जैसी पार्टियां भी आईं लेकिन कोई कमाल नहीं कर पाईं. झारखंड विकास मोर्चा का गठन पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने सीएम पद से हटाए जाने के बाद किया था. मरांडी ने बाद में अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया था और फिलहाल वे झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष हैं. आदिवासी वोट पर जेएमएम की ठीक-ठाक पकड़ बरकरार रही और मुकाबला सोरेन परिवार की पार्टी बनाम बीजेपी ही रहा. कांग्रेस और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन जैसी पार्टियां भी इनमें से ही किसी एक पाले में खड़ी रही हैं. ऐसे में जेएमएम छोड़ने के बाद चम्पाई उसकी किसी सहयोगी पार्टी का रुख करें, इसके आसार न के बराबर हैं. चम्पाई किसी विरोधी दल का ही रुख करेंगे.
झारखंड विधानसभा चुनाव करीब हैं और चुनावी मौसम में बीजेपी आदिवासी लैंड में अपनी जमीन मजबूत करने के लिए एक्टिव है. झारखंड के आदिवासी लैंड में विधानसभा की 28 और लोकसभा की पांच सीटें हैं. बीजेपी हालिया लोकसभा चुनाव में इस इलाके की एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. वहीं, पिछले विधानसभा चुनाव में 28 में से सिर्फ दो सीटों पर ही कमल खिल सका था. लोकसभा चुनाव में जेएमएम और उसके सहयोगी दल हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को मुद्दा बनाते हुए इसे आदिवासी अस्मिता से जोड़ने में सफल रहे थे. इसका नतीजा ये रहा कि जिस खूंटी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासी समाज के लिए कई योजनाओं की सौगात दी थी, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा अपनी वह सीट भी नहीं बचा सके थे.
बीजेपी नेताओं को जेएमएम के आदिवासी अस्मिता कार्ड की काट के लिए चम्पाई सोरेन बेहतर विकल्प नजर आ रहे हैं. चम्पाई सोरेन की गिनती जेएमएम अध्यक्ष शिबू सोरेन के करीबियों में होती है और उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में भी ये लिखा है- इस पार्टी में मेरी गिनती वरिष्ठ सदस्यों में होती है, बाकी लोग जूनियर हैं. मुझसे सीनियर सुप्रीमो जो हैं, वे अब स्वास्थ्य की वजह से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं. फिर मेरे पास क्या विकल्प था? ताजा परिस्थितियों में बीजेपी को आदिवासी लैंड का बिगड़ा गणित दुरुस्त करने के लिए मजबूत आदिवासी चेहरे की है, उतनी ही जरूरत चम्पाई को भी एक मजबूत विकल्प की है.
झारखंड में सियासी अटकलों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन कल रविवार को बड़ा बयान दिया था. बीजेपी में जाने की अटकलों के बीच चंपई सोरेन ने कहा है कि मेरे लिए सभी विकल्प खुले हैं. झारखंड का मुख्यमंत्री रहते हुए मेरा अपमान हुआ था. विधायक दल की बैठक में ही मैंने भारी मन से कहा था कि आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है. इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे. पहला, राजनीति से सन्यास लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना.
सोशल मीडिया पर एक के बाद एक पोस्ट करते हुए चंपई सोरेने कहा कि अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक, मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है. आदिवासियों, मूलवासियों, गरीबों, मजदूरों को उनका अधिकार दिलवाने का प्रयास करता रहा हूं. हर पल जनता के लिए उपलब्ध रहा. जिन्होंने झारखंड राज्य के साथ, अपने बेहतर भविष्य के सपने देखे थे.