MP में भी होगी बरसाना जैसी लट्ठमार होली, रंगपंचमी पर दिखेगा अलग रंग, निकलेगी ऐतिहासिक गेर

By Ashish Meena
मार्च 11, 2025

Indore Rangpanchami Ger : हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। साथ ही इस पर्व भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना के त्योहार के रूप में भी देखा जाता है। भारत में ऐसी कई जगह हैं, जहां कि होली देखने दुनियाभर से लोग आते हैं।

होली, रंगों का त्योहार, भारत के हर कोने में अपनी अनूठी छटा बिखेरता है। उत्तर भारत की तरह ही, दक्षिण भारत में भी होली का जश्न अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है।

इंदौर की ऐतिहासिक गेर
इंदौर में रंगपंचमी का त्योहार एक अनूठा रंग लेकर आता है। इस बार, शहर 75वीं बार अपनी ऐतिहासिक गेर का आयोजन करने के लिए तैयार है। यह गेर, जो टोरी कॉर्नर से शुरू होकर राजवाड़ा तक पहुंचेगी, लाखों लोगों को आकर्षित करती है। इस वर्ष का मुख्य आकर्षण बरसाना की प्रसिद्ध लट्ठमार होली होगी, जिसे एक विशेष टीम द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।

इंदौर की रंग पंचमी गेर का रंगारंग इतिहास, परंपरा और इंदौरियों का उत्साह

इस दिन निकलेगी गेर
इंदौर में रंगपंचमी पर 19 मार्च को पारंपरिक गेर निकाली जाएगी। गेर में किसी भी प्रकार का हुड़दंग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। गेर मार्ग को सेक्टर में बांटा जाएगा। सेक्टर-वाइज कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे। पूरे मार्ग पर डीसीपी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। ये सभी निर्णय सोमवार को कलेक्टर कार्यालय में हुई बैठक में लिए गए।

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75 वर्षों की परंपरा
सृजन संस्था, जो संगम कॉर्नर के नाम से गेर निकालती है, इस वर्ष अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रही है। इस संस्था ने गेर को एक भव्य उत्सव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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आकर्षण का केंद्र
इस वर्ष के गेर में राधा-कृष्णा की रासलीला, बांके बिहारी का विशालकाय ढोल और युवाओं की भांगड़ा टीम भी शामिल होगी। 200 फीट ऊंचाई तक पानी की मिसाइलें लोगों को भिगोएंगी, और राजवाड़ा पर 8 हजार किलो टेसू के फूलों से बने गुलाल से तिरंगे की आकृति उकेरी जाएगी।

टेसू गुलाल का महत्व
टेसू गुलाल न केवल प्राकृतिक है, बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी है। यह गुलाल भगवान को अर्पित किया जाता है और इसे शुभ माना जाता है।

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राजनीतिक हस्तियों की भागीदारी
इस विशेष आयोजन में मुख्यमंत्री मोहन यादव, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला और सांसद महेंद्र सोलंकी सहित कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां भाग लेंगी।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोग इस आयोजन को लेकर बहुत उत्साहित हैं। उनका मानना है कि यह गेर न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह शहर की सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है।

सुरक्षा व्यवस्था
आयोजन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहेगी। पुलिस और स्वयंसेवक मिलकर भीड़ को नियंत्रित करेंगे और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए तैयार रहेंगे।

मथुरा-वृंदावन की लट्ठ मार होली
मथुरा-वृंदावन में मनाई जाने वाले होली को लठमार होली भी कहा जाता है। लठमार होली दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस होली के दौरान महिलाएं डंडों या लट्ठ से पुरुषों को खेल में मारती हैं और रंग लगाती हैं। इसलिए इसे लट्ठ मार होली कहा जाता है।

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कर्नाटक के ऐतिहासिक शहर हम्पी में मनाई जाने वाली होली इसका एक जीवंत उदाहरण है। हम्पी में होली के उत्सव पर, लोग पारंपरिक ढोल-नगाड़ों की थाप पर थिरकते हुए जुलूस निकालते हैं। यह जुलूस शहर की गलियों से गुजरता है, जहाँ हर कोई रंगों में सराबोर होकर खुशियाँ मनाता है।

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रंगों से खेलने के बाद, लोग तुंगभद्रा नदी और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने जाते हैं। यह स्नान न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि आत्मा को भी ताजगी देता है। हम्पी की होली की सबसे खास बात यह है कि यहाँ की ऐतिहासिक धरोहरों के बीच यह त्योहार मनाया जाता है, जिससे इसका आकर्षण और भी बढ़ जाता है। दूर-दराज से पर्यटक इस अनोखे उत्सव को देखने के लिए हम्पी आते हैं।

उदयपुर की शाही होली
राजस्थान के उदयपुर में होली का उत्सव शाही अंदाज में मनाया जाता है। इसे ‘रॉयल होली’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दौरान उदयपुर का शाही परिवार भव्य आयोजन करता है। इस उत्सव में शाही घोड़े और पारंपरिक बैंड शामिल होते हैं, जो इसकी शोभा को और भी बढ़ाते हैं।

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उदयपुर की होली की शुरुआत होलिका दहन से होती है, जिसके बाद शाही परिवार के सदस्य और स्थानीय लोग एक साथ मिलकर रंग खेलते हैं। इस दौरान, लोक संगीत और नृत्य का भी आयोजन किया जाता है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। उदयपुर की होली न केवल रंगों का त्योहार है, बल्कि यह राजस्थानी संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है।

गोवा का शिगमोत्सव
गोवा में होली का त्योहार ‘शिगमोत्सव’ के नाम से जाना जाता है। यह त्योहार लगभग 15 दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा से होती है। शिगमोत्सव के अंतिम पाँच दिनों में, रंगारंग परेड निकाली जाती है और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

पाँचवें दिन, लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली का जश्न मनाते हैं। इस दौरान, गोवा के समुद्र तट रंगों से भर जाते हैं और एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। शिगमोत्सव में पारंपरिक नृत्य, संगीत और झांकियाँ शामिल होती हैं, जो गोवा की समृद्ध संस्कृति को दर्शाती हैं। यह त्योहार न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होता है।

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आशीष मीणा पत्रकारिता में पाँच वर्षों का अनुभव रखते हैं। DAVV इंदौर से पत्रकारिता की पढ़ाई के बाद उन्होंने अग्निबाण सहित कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य किया। उन्होंने जमीनी मुद्दों से लेकर बड़े घटनाक्रमों तक कई महत्वपूर्ण खबरें कवर की हैं।