Khategaon News: देवास जिले की कन्नौद-खातेगांव विधानसभा में गौ-तस्करी का धंधा बेखौफ और धड़ल्ले से फल-फूल रहा है। यह एक गंभीर मुद्दा है जिसने स्थानीय निवासियों के बीच भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस गंभीर समस्या पर न तो स्थानीय विधायक का ध्यान जा रहा है और न ही प्रशासन इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठा रहा है, जिससे तस्करों के हौसले बुलंद हैं।
‘राष्ट्रीय एकता’ ने उठाया था मुद्दा, अब जनता सड़कों पर
एक दिन पहले ही ‘राष्ट्रीय एकता’ न्यूज ने इस मामले को प्रमुखता से उठाते हुए गौ-तस्करी की भयावहता को सार्वजनिक किया था।
इस खुलासे के बाद, गुरुवार को जनता का सब्र टूट गया और बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। खातेगांव और संदलपुर के बीच नेशनल हाईवे पर सैकड़ों की तादाद में लोगों ने इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन किया और हाईवे को पूरी तरह जाम कर दिया।
इस प्रदर्शन में शामिल लोगों की मुख्य मांगें स्पष्ट थीं: जल्द से जल्द गौ-तस्करी पर पूर्ण रूप से लगाम लगाई जाए और क्षेत्र में गौशालाओं का निर्माण किया जाए ताकि असहाय और लावारिस गोवंश को सुरक्षित आश्रय मिल सके।
प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि हाइवे पर सड़क हादसों में कई गौमाताओं की मौत हो रही है इस पर भी ध्यान दिया जाए, रात में हाइवे की लाइट बंद रहती है, जिससे बड़े वाहन गौमाताओं पर चढ़ जाते है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
स्थानीय लोगों का आरोप है कि गौ-तस्करी का यह खेल रातों-रात नहीं शुरू हुआ है। लंबे समय से इस क्षेत्र को गौ-तस्करों के लिए ‘सेफ पैसेज’ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। ट्रकों और अन्य वाहनों में ठूंस-ठूंस कर गोवंश को क्रूरतापूर्वक बाहर ले जाया जाता है। कई बार तो ये जानवर दम घुटने या चोट लगने से रास्ते में ही मर जाते हैं। इसके बावजूद, पुलिस और प्रशासन की तरफ से कोई प्रभावी कार्रवाई न होने से तस्करों के नेटवर्क को तोड़ने में सफलता नहीं मिल पा रही है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह केवल व्यापार का मामला नहीं है, बल्कि धार्मिक भावनाओं और जीव-दया से भी जुड़ा है। गोवंश के प्रति क्रूरता और अवैध तस्करी लगातार जारी है और ऐसा लगता है जैसे स्थानीय विधायक और प्रशासन दोनों ही इस समस्या से आंखें मूंद रहे हैं।
गुरुवार का हाईवे जाम प्रदर्शन एक चेतावनी है। यह दिखाता है कि जनता अब और बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। सैकड़ों की संख्या में लोगों का सड़कों पर उतरना यह दर्शाता है कि यह मुद्दा कितना संवेदनशील और महत्वपूर्ण है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन और सरकार इस जनआक्रोश पर ध्यान देगी? क्या कन्नौद-खातेगांव में गौ-तस्करी के इस ‘खूनी’ खेल को रोकने के लिए कोई प्रभावी नीति बनाई जाएगी?