MP weather update: किसानों के लिए खुशखबरी, मध्यप्रदेश में फिर लौटा मॉनसून, 15 से ज्यादा जिलों में आज भारी बारिश का अलर्ट

By Ashish Meena
August 14, 2025

MP weather update: मध्यप्रदेश में एक बार फिर मॉनसून ने अपनी जोरदार वापसी कर ली है। एक मजबूत सिस्टम के सक्रिय होने से राज्य में तेज बारिश का दौर शुरू हो गया है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों के लिए अति भारी और भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। गुरुवार को 15 से अधिक जिलों में तेज बारिश की संभावना है।

इन जिलों में अति भारी बारिश का अनुमान
मौसम विभाग के अनुसार, गुरुवार को बैतूल, छिंदवाड़ा और पांढुर्णा में अति भारी बारिश हो सकती है। इन क्षेत्रों के निवासियों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, इंदौर, उज्जैन, धार, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, खंडवा, देवास, हरदा, नर्मदापुरम, श्योपुर और शिवपुरी जैसे जिलों में भी भारी बारिश का अनुमान है। इन जिलों में अगले 24 घंटों में 4.5 इंच तक बारिश हो सकती है, जिससे जलजमाव और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होने का खतरा है।

बारिश का कोटा पूरा होने की उम्मीद
इस मॉनसून सीजन में अब तक मध्य प्रदेश की औसत बारिश 37 इंच में से 29.9 इंच हो चुकी है, जो कुल कोटे का 81% है। अब राज्य को औसत बारिश का आंकड़ा पूरा करने के लिए सिर्फ 7.1 इंच की जरूरत है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार
मौसम विभाग की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बना एक नया लो प्रेशर एरिया और तीन ट्रफ की एक्टिविटी इस भारी बारिश का मुख्य कारण हैं। यह सिस्टम अगले चार दिनों में और भी मजबूत होगा, जिससे अगस्त के दूसरे पखवाड़े में भी तेज बारिश का दौर जारी रहेगा।

पूर्वी और पश्चिमी मध्यप्रदेश का हाल
राज्य के पूर्वी हिस्से (जबलपुर, सागर, शहडोल और रीवा संभाग) में औसत से 34% अधिक बारिश हुई है, जबकि पश्चिमी हिस्से (भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल और नर्मदापुरम संभाग) में 21% अधिक बारिश दर्ज की गई है।

कुल मिलाकर, राज्य में औसत से 27% अधिक बारिश हो चुकी है। अब तक, ग्वालियर सहित 10 जिलों में बारिश का कोटा पूरा हो चुका है, लेकिन इंदौर और उज्जैन संभाग के कई जिलों में अभी भी बारिश की कमी बनी हुई है, जो इस नए मॉनसून सिस्टम से पूरी होने की उम्मीद है।

किसानों के लिए खुशखबरी
यह खबर प्रदेश के किसानों के लिए खुशखबरी लेकर आई है, क्योंकि बीते कई दिनों से बारिश न होने की वजह से फसलों को भारी नुकसान हो रहा है।

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