Archana Tiwari : रक्षाबंधन पर कटनी जा रही वकील और सिविल जज एस्पिरेंट अर्चना तिवारी (Archana Tiwari) के रहस्यमयी तरीके से लापता होने का राज खुल गया है। अर्चना का शुजालपुर निवासी सारांश जैन के साथ प्रेम प्रसंग था। सारांश इंदौर की डोरन कंपनी मे काम करता था। जिसके साथ उसने नेपाल जाने की योजना बनाई थी। उसके पिताजी सब्जी का ठेला लगाते थे। टीआई ने इसकी पुष्टि की है।
अर्चना तिवारी रानी कमलापति स्टेशन पहुंचने से पहले ही इटारसी के आउटर पर उतर गई थी। जहां से वह शुजालपुर पहुंची। यहां सारांश के साथ 2 दिन तक रही और इसके बाद नेपाल के लिए रवाना हो गई थी। पुलिस को अर्चना तिवारी और सारांश के शुजालपुर में सीसीटीवी फुटेज मिले हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि अर्चना ने इंदौर में ट्रेन में बैठने से पहले एक नया मोबाइल खरीदा था। वह नए मोबाइल और नई सिम से ही सारांश के संपर्क में थी।
अर्चना ने अचानक बदला था प्लान
बताया जा रहा है कि अर्चना सबसे पहले 6 अगस्त को ही इस कहानी को अंजाम देने वाली थी। लेकिन अचानक उसने प्लान बदल दिया। 6 अगस्त को ग्वालियर के आरक्षक राम तोमर ने उसका बस टिकिट बुक कर दिया। आरक्षक राम तोमर की इंदौर और दिल्ली की लोकेशन ट्रेस भी GRP को मिली थी। राम तोमर के लगभग 10 दोस्तों से भी GRP की टीम ने पूछताछ की है। जिसमें पुलिस, राजनीतिक और आम दोस्त भी शामिल हैं। यह भी मामला सामने आया है कि इस मामले में राम तोमर का सीधा कनेक्शन नहीं है लेकिन पूरी कहानी में उसका अहम किरदार का रोल था।
अर्चना से बात करने का भाई ने किया खंडन
अर्चना के भाई अर्पण ने उससे बात करने का खंडन किया है। उसने कहा कि ‘जिसने भी कहा कि हमारी बात हुई वो सरासर झूठी खबर है। पुलिस ने भी कोई बात नहीं कराई है। पुलिस ने अर्चना के मिलने की सूचना दी है।’
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण दुबे जी की कलम से…
तकरीबन 13 दिनों से पूरे देश की सनसनी बनी हुई कटनी की “बहन” #अर्चनातिवारी को आज पुलिस ने बरामद कर लिया..बरामद शब्द सहज ही सामने वाले के प्रति सहानुभूति का भाव पैदा कर देता है..सुनकर लगता है ये बड़ी मुश्किल में थीं..जबकि बहन जी वकील हैं कानून के दांवपेंच समझती हैं तो घर से भागने का बड़ा फुल प्रूफ प्लान बनाया..अपने दोस्त और एक सहयोगी को साथ लिया..फोन वहां फेंका, जहां नेटवर्क न हो,ताकि लास्ट लोकेशन आस-पास की बताता रहे..
सामान ट्रेन की सीट पर रखा..ताकि लगे कि इनके साथ कोई अनहोनी हुई है..इटारसी में वो जगह चुनकर उतरीं, जहाँ CCTV नहीं थे..दोस्त की गाडी में सवार होकर उन रास्तों से गुजरीं जहां टोल न पड़े..पहचाने जाने का डर न रहे इसलिए पहले राज्य बदला और फिर देश छोड़ने का मन बनाया..ये सब जान रही थीं कि 70 से अधिक पुलिस की टीम नदी नाले ,जंगल, पहाड़ खंगाल रही है..इनको सुरक्षित लाने के लिए अधिकारियों की नींदे हराम हैं… विपक्ष हथियार में धार कर रहा है ताकि यदि कोई अनहोनी हो तो सरकार को फ़ौरन घेरा जाए…
सत्ता पक्ष चिंतित है कि युवती सुरक्षित मिल जाए… और जो गुमशुदा इंसान है वो बहुत आपराधिक सोच के साथ पुलिस को चकमा दे रहा है..ये जानते हुए कि उनकी तलाश में पुलिस की सांसे फूल रही हैं, सामने नहीं आ रहा है…उसके बाद जब मिल जाती हैं तो पुलिस बेबस है क्यूंकि कोई कानून नहीं है जो इनके ख़िलाफ़ मुकदमा बनाया जा सके…लड़की बालिग़ है अपनी मर्जी से कहीं भी आ जा सकती है…भले उसकी मर्जी का खामियाज़ा पूरा सिस्टम भुगत रहा हो….और घर से भागने की वज़ह..? पटवारी से शादी तय कर दी परिवार वालों ने..
गोया पटवारी न हुआ कोई मंगल गृह का प्राणी का हो.. ऐसे मामले ही महिलाओं के प्रति सद्भावनाओं को मारते हैं…ऐसे ही मामलों के कारण कोई दुखी और निराश पिता पुलिस के पास बेटी के गुम होने की रिपोर्ट लिखाने जाता है तो खिसियाया हुआ टी आई कह देता है हिकारत से कि “भाग गई होगी किसी के साथ” अरे भागना ही था तो बता के भागती…सिस्टम को हलाकान करके क्यूँ भागी..जब इतनी फुल प्रूफ स्कीम बनाने में माहिर थीं तो कह देती साफ़ परिवार से कि पटवारी नहीं ” Not below the rank of Deputy Collector..
ऐसा कानून हज़म नहीं हो रहा है..ढेरों संशोधन हुए हैं… ऐसे मामलों के लिए भी करिए…सारा संसाधन जो इसमें खर्च हुआ यदि साजिशन करवाया गया, तो तथाकथित पीडिता से ही वसूला जाना चाहिए… बाकी पुलिस ने जो इनकी पूरी योजना का ख़ुलासा किया उसे सुनकर सोशल मीडिया में चलने वाले मीम्स की एक लाइन उच्चारित करने का मन है… ” वाह..ह… दीदी…वाह..ह”।