Indore: निजी अस्पतालों में गुपचुप कराई जा रही नाबालिगों की डिलीवरी, बच्चियां बन रही मां, पैसों के लिए नियमों की बलि!

By Ashish Meena
November 26, 2025

Indore : मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore) संभाग में नाबालिग गर्भवती बच्चियों के मामलों में भयावह वृद्धि दर्ज की गई है, जिसने प्रशासन और समाज दोनों की चिंता बढ़ा दी है। पिछले एक महीने के भीतर ही आठ प्रकरण सामने आ चुके हैं, जिनमें सुसनेर (2), पीथमपुर (1), इंदौर (Indore) (2), आलीराजपुर (1), धार (1) और झाबुआ (1) शामिल हैं।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि निजी अस्पताल इस संवेदनशील मुद्दे पर कानून का सीधा उल्लंघन कर रहे हैं। नियम के अनुसार, किसी भी नाबालिग गर्भवती (विशेषकर असामान्य परिस्थितियों में) के मामले की सूचना तत्काल पुलिस और बाल कल्याण समिति (CWC) को देना अनिवार्य है, लेकिन निजी अस्पताल इसे ‘रूटीन केस’ बताकर दबा रहे हैं और गुपचुप तरीके से डिलीवरी करवा रहे हैं। यह सीधे तौर पर POCSO Act का उल्लंघन है, जिसमें सूचना न देने पर अस्पताल प्रबंधन भी अपराधी माना जाता है।

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आदिवासी क्षेत्रों की परंपरा और ‘लिव-इन’ ने बढ़ाई चुनौती
महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) के अधिकारियों के अनुसार, आदिवासी बहुल क्षेत्रों में ‘भागकर शादी’ करने की परंपरा और लिव-इन रिलेशनशिप के बढ़ते चलन ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। हाल ही में आलीराजपुर और झाबुआ से भागकर आए दो नाबालिग जोड़ों में बच्चियां गर्भवती पाई गईं।

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हालांकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नियमित निगरानी करती हैं, इसके बावजूद ये मामले विभाग के संज्ञान में देर से आ रहे हैं। इस बात की जांच की जा रही है कि अनिवार्य टीकाकरण और पोषण संबंधी दवाइयाँ (जैसे फोलिक एसिड, कैल्शियम) दिए जाने के बावजूद ये मामले पुलिस तक क्यों नहीं पहुंचे।

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एमटीएच अस्पताल से हुआ बड़ा खुलासा
मामलों को गुप्त रखने की यह प्रथा तब उजागर हुई जब गीता भवन स्थित एक निजी अस्पताल में नाबालिग की डिलीवरी के बाद, नवजात की जांच के लिए बच्ची को एमटीएच अस्पताल ले जाया गया। यहां नाबालिग होने का खुलासा हुआ। बाल कल्याण समिति का कहना है कि निजी चिकित्सा संस्थान न तो जन्म की अनिवार्य जानकारी दे रहे हैं और न ही पुलिस को रिपोर्ट भेज रहे हैं। कई मामलों में पीड़ित बच्चियों की उम्र 12 से 16 वर्ष के बीच पाई गई है।

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प्रशासन की बड़ी कार्रवाई की तैयारी
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, प्रशासन अब सख्त कदम उठा रहा है। इंदौर (Indore) जिले का ‘उडऩदस्ता’ अब पूरे संभाग में सक्रिय किया जा रहा है। यह दस्ता शिक्षा, स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के साथ मिलकर काम करेगा।

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अस्पतालों पर सख्ती: जांच के बाद, कानून का उल्लंघन करने वाले निजी अस्पतालों पर FIR दर्ज करने, लाइसेंस निलंबित करने और आर्थिक दंड की कार्रवाई की जा सकती है।

अनिवार्य रिपोर्टिंग: सभी चिकित्सा संस्थानों को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं कि वे कानून का पालन करते हुए हर नाबालिग गर्भवती का मामला तुरंत पुलिस और बाल कल्याण समिति को रिपोर्ट करें।

प्रशासन का लक्ष्य है कि बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और इस जघन्य अपराध को छुपाने वाले हर व्यक्ति और संस्थान पर POCSO Act के तहत कठोर कार्रवाई की जाए।

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