मध्यप्रदेश में SIR के दर्द से सातवीं मौत! प्रशासनिक सख्ती से कर्मचारियों पर बढ़ा काम का बोझ, अब रोजगार सहायक ने की आत्महत्या

By Ashish Meena
November 27, 2025

MP SIR : मध्य प्रदेश में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कार्य ने प्रशासनिक सख्ती के साथ-साथ जमीनी स्तर पर काम कर रहे कर्मचारियों के जीवन को खतरे में डाल दिया है। कटनी जिले से सामने आई एक घटना ने पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

ढीमरखेड़ा थाना क्षेत्र की गोपालपुर पंचायत में कार्यरत रोजगार सहायक रूपेंद्र सिंह ने काम के अत्यधिक तनाव और पिछले तीन महीनों से वेतन न मिलने के कारण अपनी जान दे दी। उनका शव घर के पीछे खेत में एक पेड़ से लटका मिला। परिवार, सहकर्मी और ग्रामीण इस घटना से स्तब्ध हैं। यह राज्य में बीएलओ से जुड़ी मौत का सातवां मामला बताया जा रहा है.

जानलेवा बनता सरकारी काम
रूपेंद्र सिंह गोपालपुर पंचायत में रोजगार सहायक के साथ-साथ बूथ क्रमांक 275 में सहायक BLO का कार्य भी देख रहे थे।

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परिवार का आरोप
परिजनों और सहकर्मियों का दावा है कि वेतन संबंधी अनियमितता और SIR कार्य के लगातार बढ़ते दबाव के कारण रूपेंद्र गहरे अवसाद (Depression) में थे और घर वालों से भी बातचीत कम कर दी थी।

आर्थिक तंगी और मानसिक बोझ
कर्मचारियों का कहना है कि बिना पर्याप्त संसाधन और वेतन के लगातार काम पूरा करने का दबाव रूपेंद्र को मानसिक रूप से तोड़ चुका था।

सातवीं मौत ने व्यवस्था की खामी उजागर की
यह घटना मध्य प्रदेश में BLO ड्यूटी के दौरान तनाव या हादसे से जुड़ी सातवीं मौत बताई जा रही है। इससे पहले भी छह अन्य BLO कर्मचारी अपनी ड्यूटी के दौरान दम तोड़ चुके हैं।

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राजधानी भोपाल में भी दो BLO (कीर्ति कौशल और मोहम्मद लईक) ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक के शिकार हुए और अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं।

कर्मचारियों की मांग
इस घटना के बाद, पंचायत और रोजगार सहायक संघ ने तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने जिला पंचायत सीईओ के माध्यम से शासन को ज्ञापन सौंपकर मृतक के परिवार को ₹5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की है। कर्मचारियों ने सरकार से कार्यभार और वेतन अनियमितता पर तत्काल संज्ञान लेने का आग्रह किया है।

पुलिस जांच जारी, प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
मामले में एएसपी ने बताया कि मृतक रूपेंद्र पिछले तीन दिनों से लापता था। उन्होंने कहा कि प्राथमिक जांच में शराब की लत की बात सामने आई है, लेकिन वेतन या कार्यभार के दबाव की कोई औपचारिक शिकायत पुलिस में दर्ज नहीं थी।

फिलहाल, पुलिस सभी पहलुओं पर गहन जांच कर रही है ताकि आत्महत्या के पीछे की वास्तविक वजह सामने आ सके। हालांकि, यह घटना एक बार फिर इस गंभीर मुद्दे को सामने लाती है कि जमीनी स्तर पर तैनात कर्मचारियों पर बढ़ता दबाव किस हद तक घातक हो सकता है।

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आशीष मीणा को पत्रकारिता में 5 साल हो चुके है। इंदौर के श्री अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय (DAVV) से आशीष मीणा ने पत्रकारिता की डिग्री हासिल की है। इंदौर के अग्निबाण जैसे कई प्रतिष्ठित अखबारों में काम करने के बाद आशीष मीणा ने यहां तक का सफर तय किया है।