सुषमा स्वराज के पति का निधन, भाजपा सांसद बांसुरी के पिता थे स्वराज कौशल, मिजोरम के रह चुके थे राज्यपाल
By Ashish Meena
December 4, 2025
Swaraj Kaushal : भारतीय राजनीति की दिग्गज दिवंगत नेता सुषमा स्वराज के पति और मिजोरम के पूर्व राज्यपाल, वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल का आज (4 दिसंबर, 2025) दुखद निधन हो गया है। वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे।
स्वराज कौशल, नई दिल्ली से भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज के पिता थे। भाजपा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा कर उनके निधन की जानकारी दी है और शोक व्यक्त किया है।
कानूनी कौशल और राजनीतिक दूरदर्शिता का दुर्लभ संगम
स्वराज कौशल की शख्सियत असाधारण थी। उन्होंने भारतीय राजनीति और न्याय के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाए।
सबसे युवा राज्यपाल
1990 में, मात्र 37 वर्ष की आयु में, उन्हें मिजोरम का राज्यपाल नियुक्त किया गया था, जिससे वे देश के सबसे युवा राज्यपाल बने। उन्होंने 9 फरवरी 1993 तक इस पद पर कार्य किया। (उनकी पत्नी सुषमा स्वराज भी देश की सबसे युवा कैबिनेट मंत्री थीं।)
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मिजोरम शांति समझौता (1986)
उत्तर-पूर्व भारत की राजनीति के गहरे जानकार स्वराज कौशल ने 20 साल से चले आ रहे सशस्त्र विद्रोह को समाप्त करने में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने अंडरग्राउंड मिजो नेता लालडेंगा की रिहाई कराई और केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर ऐतिहासिक मिजोरम शांति समझौता कराया। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
आपातकाल में बहादुरी और कानूनी करियर की ऊँचाई
स्वराज कौशल ने आपातकाल (Emergency) के दौरान विपक्ष के प्रमुख नेताओं की कानूनी लड़ाई लड़कर साहस का परिचय दिया। उन्होंने जॉर्ज फर्नांडीस सहित 25 लोगों के विरुद्ध बड़ौदा डायनामाइट केस के फर्जी मुकदमे में मजबूत पैरवी कर आरोपियों को राहत दिलाई थी।
कानूनी रिकॉर्ड
दिसंबर 1986 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया गया। इसके एक साल बाद ही वे देश के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बने।
संसदीय पारी
1998 से 2004 तक, वह हरियाणा विकास पार्टी के उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा सांसद रहे। एक समय ऐसा भी था जब सुषमा स्वराज लोकसभा में थीं और स्वराज कौशल राज्यसभा में, तथा बाद में दोनों एक साथ राज्यसभा के सदस्य रहे।
स्वराज कौशल ने लम्बे सार्वजनिक जीवन के बावजूद हमेशा लो-प्रोफाइल और गरिमामय छवि बनाए रखी। उनकी विरासत कानूनी कुशलता, साहस और संयम के दुर्लभ मिश्रण के रूप में याद की जाएगी। उनकी बेटी, ऑक्सफोर्ड से पढ़ी बैरिस्टर बांसुरी स्वराज, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं।
