तप, त्याग और सेवा के मार्ग पर चल रहे भाजपा नेता संतोष मीणा, 4700 किमी की पैदल नर्मदा परिक्रमा का जगह-जगह हो रहा स्वागत
By Ashish Meena
दिसम्बर 28, 2025
Khategaon Santosh Meena : देवास जिले के खातेगांव क्षेत्र में इन दिनों भक्ति और राष्ट्रभक्ति का एक अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। क्षेत्र के लोकप्रिय भाजपा नेता और ‘कर्मयोगी’ के रूप में पहचाने जाने वाले संतोष मीणा वर्तमान में मां नर्मदा की अत्यंत कठिन 4700 किलोमीटर की पैदल परिक्रमा कर रहे हैं।

यह यात्रा केवल एक व्यक्तिगत साधना नहीं, बल्कि क्षेत्र की सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक चेतना के प्रसार का एक माध्यम बन गई है।
49 दिनों का संकल्प
नर्मदा परिक्रमा की यह पावन धारा 9 नवंबर को हरदा जिले के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हंडिया से शुरू हुई थी। यह यात्रा अपने 49वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। संतोष मीणा के साथ इस साधना में अन्य समर्पित साथी भी कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं।

Also Read – भाजपा इस नेता को चुन सकती है नया राष्ट्रीय अध्यक्ष, 20 जनवरी तक हो सकता है ऐलान
नर्मदा परिक्रमा- तप, त्याग और सेवा का मार्ग
सिद्धेश्वर (नाभिकुंड) की पावन धरा पर जन्मे संतोष मीणा के लिए यह परिक्रमा जनसेवा और ईश्वर भक्ति का मेल है। उन्होंने चर्चा के दौरान बताया कि “नर्मदा परिक्रमा मन को असीम शांति और बल प्रदान करती है। आज के चुनौतीपूर्ण समय में ऐसी आध्यात्मिक यात्राएं समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं और हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ती हैं।”

यात्रा की मुख्य विशेषताएं
4700 किमी की पूरी यात्रा पैदल तय की जा रही है, जिसमें सनातन धर्म की सभी मर्यादाओं का पालन किया जा रहा है।
लोक कल्याण की भावना
यात्रा का मुख्य उद्देश्य देश और प्रदेश की शांति, खुशहाली और जन-कल्याण की कामना करना है। परिक्रमा वासी जिस भी गांव या नगर से गुजरते हैं, वहां स्थानीय नागरिक पुष्प वर्षा, आरती और जयकारों के साथ उनका अभिनंदन कर रहे हैं।

क्यों चर्चा में है यह यात्रा?
खातेगांव और देवास जिले के लिए यह गौरव का विषय है कि उनका एक प्रतिनिधि राजनीतिक व्यस्तताओं के बीच धर्म और अध्यात्म के प्रति इतना समर्पित है। क्षेत्रवासियों का मानना है कि जनता की सेवा के साथ-साथ मां नर्मदा की गोद में पैदल नतमस्तक होना एक सच्चे ‘कर्मयोगी’ की पहचान है।

संतोष मीणा की यह नर्मदा परिक्रमा सनातन संस्कृति की जीवंत परंपरा का प्रमाण है। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का मार्ग प्रशस्त कर रही है, बल्कि समाज को एकता और शांति का संदेश भी दे रही है।
