Rakhi 2025 : रक्षाबंधन का पर्व हर साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करता है। ऐसे में ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, इस साल एक खास बात है कि राखी पर भद्रा का साया नहीं होगा जो एक शताब्दी यानी 100 साल बाद हो रहा है।
इसके चलते बहनें पूरे दिन बिना किसी विघ्न के भाई की कलाई पर रेशम की डोर बांध सकेंगी। हिंदू पंचांग के मुताबिक यह विशेष संयोग 9 अगस्त 2025 को है, जब रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। आइए विस्तार से इसे समझें…
ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, इस बार राखी पर पूर्णिमा तिथि का समय और भद्रा का समाप्त होना एक बहुत शुभ संयोग है। विशेष रूप से यह संयोग इस बार 100 साल बाद बन रहा है।
ऐसे में पंचांग के मुताबिक 9 अगस्त को पूर्णिमा तिथि अपराह्न 2:12 बजे से शुरू होगी और 10 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे तक रहेगी। इस समय भद्रा का प्रभाव 8 अगस्त को शुरू होकर रात 1:49 बजे समाप्त हो जाएगा, जिससे राखी पूरे दिन निर्विघ्न रूप से मनाया जा सकेगा।
क्या है दुर्लभ संयोग
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, इस बार 297 साल बाद एक दुर्लभ और मंगलकारी संयोग बन रहा है। यह संयोग 1728 में बना था और फिर से 2025 में दिखाई दे रहा है। इस संयोग के तहत सूर्य और बुध की कर्क राशि में युति बनेगी, जबकि गुरु और शुक्र की मिथुन राशि में।
इस युति से भाग्य, बुद्धि और ज्ञान को लेकर शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, श्रवण नक्षत्र और चंद्रमा मकर राशि में स्थित रहेंगे, जो भगवान विष्णु और ब्रह्मा की उपस्थिति को दर्शाता है।
सावन नक्षत्र को भगवान विष्णु का नक्षत्र माना जाता है और इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान ब्रह्मा की पूजा का महत्व है। इस साल राखी के दिन ये दोनों देवता इस पर्व की साक्षी बनेंगे, जिससे यह पर्व विशेष रूप से पुण्यदायक और शुभ रहेगा।
रक्षाबंधन के दिन क्या करें
राखी के दिन भाई-बहन एक-दूसरे को तोहफे देते हैं और भाई अपनी बहन को रक्षासूत्र बांधता है। इस दिन को और भी खास बनाने के लिए आप ये काम करें
पूजा विधि: राखी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, फिर भाई अपनी बहन के लिए तिलक करें और बहन भाई को रक्षासूत्र बांधें।
मंगलकारी यंत्र: इस दिन भगवान विष्णु और ब्रह्मा की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
खास मंत्रों का जाप: इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जिससे जीवन में समृद्धि और सुख आए।