उज्जैन के महाकाल मंदिर में लग रही ATM जैसी मशीनें, अब QR कोड स्कैन कर ले सकेंगे प्रसाद

By Ashish Meena
October 27, 2024

Ujjain Mahakal : उज्जैन के महाकाल मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए एक अच्छी खबर है. अब मंदिर में प्रसाद पाने के लिए लंबी कतारों में नहीं लगना पड़ेगा. मंदिर प्रशासन ने प्रसाद वितरण व्यवस्था में बदलाव करते हुए क्यूआर कोड सिस्टम लागू किया है. इस सिस्टम के तहत भक्तों को डिस्प्ले पर दिख रहे पैकेट को चुनना होगा और फिर अपने मोबाइल से क्यूआर कोड को स्कैन करके भुगतान करना होगा. इसके बाद उन्हें ऑटोमेटिक मशीन से प्रसाद मिल जाएगा. इस नई व्यवस्था से मंदिर में भीड़ कम होगी और भक्तों को आसानी से प्रसाद मिल सकेगा.

दरअसल, महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों को प्रसाद पाने के लिए नई व्यवस्था लागू की जा रही है. अब प्रसाद के लिए लंबी कतारों में खड़े होने की जरूरत नहीं है. भक्त क्यूआर कोड स्कैन करके मशीन से लड्डू प्रसाद प्राप्त कर सकेंगे. इस नई तकनीक के तहत भक्त डिस्प्ले पर प्रसाद के पैकेट का चयन करेंगे और मोबाइल के जरिए पेमेंट करेंगे. इस बदलाव से प्रसाद वितरण की प्रक्रिया तेज और सुविधाजनक हो जाएगी. खासकर तब जब मंदिर में भीड़ अधिक हो. भक्तों के अनुभव को और बेहतर बनाने के लिए यह व्यवस्था की जा रही है.

महाकाल मंदिर में प्रसाद वितरण के लिए एटीएम जैसी मशीनें लगाई जा रही हैं. दिवाली के बाद लड्डू प्रसाद के काउंटर पर ये मशीनें काम करने लगेंगी. बता दें कि महाकाल मंदिर देश का पहला मंदिर बन जाएगा जहां प्रसाद के लिए डिस्पेंस मशीनें लगाई जाएंगी. मंदिर प्रशासक ने बताया कि दिवाली के बाद यह योजना लागू की जाएगी और मशीनें कोयंबटूर में बनाई गई हैं.

इसके अलावा महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को रातभर बाहर रहने की जरुरत नहीं पड़ेगी. अब आम भक्तों को रात 2 बजे मानसरोवर गेट से सीधे एंट्री दी जाएगी. आम भक्त भी अब वीआईपी भक्तों की तरह भस्म आरती के दर्शन कर पाएंगे.दिवाली से पहले इस नई व्यवस्था को लागू किया जाएगा. मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं को लगातार हो रही परेशानियों के कारण नई व्यवस्था लागू करने का फैसला लिया है.

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आशीष मीणा को पत्रकारिता में 5 साल हो चुके है। इंदौर के श्री अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय (DAVV) से आशीष मीणा ने पत्रकारिता की डिग्री हासिल की है। इंदौर के अग्निबाण जैसे कई प्रतिष्ठित अखबारों में काम करने के बाद आशीष मीणा ने यहां तक का सफर तय किया है।