देशभर के बैंकों का बड़ा फैसला, बदला ये नियम, अब हर खाताधारक को करानी होगी पुष्टि
By Ashish Meena
दिसम्बर 13, 2025
Digital Banking System : डिजिटल बैंकिंग के बढ़ते चलन के बीच फर्जी खातों और पहचान चोरी (Identity Theft) के बढ़ते मामलों ने देश के बैंकिंग सेक्टर को एक बड़ा निर्णय लेने पर मजबूर कर दिया है। अब बैंक अकाउंट होल्डर्स के वेरिफिकेशन के नियम को पूरी तरह से बदल दिया गया है।
नए फैसले के अनुसार, अब ऑनलाइन या डिजिटल माध्यम से खाता खोलने वाले ग्राहकों को भी बैंक में जाकर फिजिकल वेरिफिकेशन कराना अनिवार्य होगा। यह बदलाव डिजिटल बैंकिंग की गति को धीमा कर सकता है, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य वित्तीय धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर अपराधों पर लगाम लगाना है।
Also Read – मोदी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में लिए तीन बड़े फैसले, पहली डिजिटल जनगणना 2027 को मिली मंजूरी
क्यों लागू हुआ यह सख्त नियम?
साल 2024 में ICICI बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) जैसे प्रमुख बैंकों में फर्जी खातों से जुड़े कई चौंकाने वाले मामले सामने आए। इन खातों का इस्तेमाल अक्सर धोखाधड़ी और अवैध रूप से पैसे ट्रांसफर करने के लिए किया गया। इन गंभीर घटनाओं को देखते हुए, बैंकों ने महसूस किया कि डिजिटलीकरण से होने वाले लाभों के बावजूद, ग्राहक की भौतिक पहचान (Physical Identity) की पुष्टि सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।
प्रमुख बैंकों ने शुरू किया नया प्रोटोकॉल
HDFC बैंक, ICICI बैंक, SBI और बैंक ऑफ बड़ौदा सहित कई बड़े बैंकों ने डिजिटल अकाउंट ओपनिंग पर नकेल कसनी शुरू कर दी है।
Also Read – मनरेगा योजना का नाम बदलेगी केंद्र सरकार, कैबिनेट की बैठक में तीन बड़े फैसलों पर नज़र
फिजिकल डॉक्यूमेंटेशन: ग्राहकों को अब दस्तावेज जमा करने और KYC (Know Your Customer) प्रोटोकॉल को पूरा करने के लिए अपनी नजदीकी बैंक ब्रांच में जाना पड़ रहा है।
डोर-स्टेप वेरिफिकेशन: कई मामलों में, बैंक अब खाताधारक के घर जाकर वेरिफिकेशन कर रहे हैं, या फिर रिलेशनशिप मैनेजर उन्हें बैंक बुलाकर सत्यापन कर रहे हैं।
ICICI बैंक का कड़ा रुख: ICICI बैंक ने तो ‘इंस्टा-अकाउंट ओपनिंग’ जैसी त्वरित सेवाओं को पूरी तरह बंद कर दिया है। अब केवल सैलरी अकाउंट ही ऑनलाइन खोले जा रहे हैं, जबकि अन्य खातों के लिए अधिकारी ग्राहक के घर जाकर खाता खोल रहे हैं।
PMLA और जुर्माने का डर
बैंकों के लिए यह कदम उठाना इसलिए भी ज़रूरी हो गया है क्योंकि यदि वे KYC प्रोटोकॉल का सही ढंग से पालन नहीं करते हैं, तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। यह नया नियम गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकने और बैंकों की अखंडता बनाए रखने के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
