Bhopal News : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, जो कभी अपनी झीलों और हरियाली के लिए जानी जाती थी, अब एक और पहचान के साथ सुर्खियों में है “नशे का अड्डा उड़ता भोपाल. ” बीते 10 महीनों में यहां एमडी ड्रग्स बनाने की दो बड़ी फैक्ट्रियां पकड़ी गईं, जिनकी जड़ें सिर्फ मध्य प्रदेश में ही नहीं, बल्कि गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान तक फैली थीं.
6 अक्टूबर 2024 को गुजरात एटीएस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने संयुक्त छापेमारी कर भोपाल के कटारा हिल्स इलाके के ग्राम बगरोदा में एक ड्रग फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया. यहां से लगभग 900 किलो एमडी ड्रग बरामद की गई, जिसकी अनुमानित कीमत 1814 करोड़ रुपये आंकी गई. इस मामले में भोपाल के अमित चतुर्वेदी महाराष्ट्र के सान्याल बाने, हरि सिंह आंजना और प्रेम सुख पाटीदार गिरफ्तार हुए लेकिन मुख्य साजिशकर्ता शोएब लाला, ओमप्रकाश पाटीदार और घनश्याम मीणा अब तक फरार हैं.
11 महीने बाद एक और फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ. इस बार जगदीशपुर (इस्लामनगर) में, जो कि बैरसिया रोड पर स्थित है, एक सुनसान मकान में 61.2 किलो मेफड्रोन ड्रग बरामद की गई, जिसकी कीमत करीब 92 करोड़ रुपये बताई गई. यह कार्रवाई राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) की टीम ने की थी. चौंकाने वाली बात ये थी कि फैक्ट्री एक थाने से महज एक किलोमीटर की दूरी पर थी, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी. इस घर को विदिशा निवासी रज्जाक खान ने एक ब्रोकर के ज़रिए खरीदा था और पड़ोसियों को बताया गया था कि यहां बैटरियों का काम होगा.
भोपाल क्यों बना ड्रग माफियाओ का ठिकाना?
भोपाल की भौगोलिक स्थिति ही तस्करों के लिए मुफीद है.
तस्करों के लिए ब्यावरा के रास्ते राजस्थान में सीधी एंट्री.
भोपाल से हरियाणा और दिल्ली तक सीधी पहुंच.
चेक पोस्ट की कमी और पुलिस निगरानी का अभाव.
सुनसान इलाके, जहां ड्रग फैक्ट्रियां बिना रोकटोक चलाई जा सकती हैं.
फैक्ट्रियों को इस तरह प्लान किया गया था कि उनकी स्थानीय आपूर्ति न के बराबर हो, ताकि पुलिस की नजरों से बचा जा सके. सप्लाई सीधे हाईवे के ज़रिए अन्य राज्यों तक पहुंचाई जाती थी. भोपाल में दो बड़ी कार्रवाई केंद्र की एजेंसियों (NCB, DRI, ATS) ने कीं. वहीं, स्थानीय पुलिस की भूमिका केवल छोटे-मोटे तस्करों की गिरफ्तारी तक ही सीमित रही.
अगर भोपाल पुलिस की तस्करों पर कार्रवाई को देखें तो…
जनवरी से 17 अगस्त 2025 तक 35 मामले, 62 गिरफ्तारियां.
साल 2024 में कुल 51 मामले, 95 आरोपियों की गिरफ्तारियां.
साल 2023 में सिर्फ 18 मामले, 30 आरोपियों की गिरफ्तारियां.
जगदीशपुर इस्लामनगर में मिली फैक्ट्री के तार देश भर में फैले थे. जांच में पता चला है कि ड्रग तस्करों का नेटवर्क देश के कई राज्यों में फैला हुआ है. भोपाल से एक केमिस्ट सहित दो आरोपी ड्रग तैयार करते थे जबकि यूपी के बस्ती से कच्चा माल सप्लाई चेन की निगरानी रखी जाती थी. जांच में केमिकल सप्लायर दो आरोपियों को मुंबई से गिरफ्तार किया गया है, जबकि एक आरोपी को सूरत से गिरफ्तार किया गया है. ये आरोपी फंड ट्रांसफर करने का काम किया करता था. एक अन्य आरोपी मुंबई से गिरफ्तार हुआ है जो भोपाल तक कच्चा माल सप्लाई करने का काम करता था.
राजधानी में हाल ही में सामने आए ड्रग तस्करी मामले में कई और चौंकाने वाले खुलासे भी हुए. पुलिस की जांच में सामने आया कि यह केवल नशीले पदार्थों की तस्करी तक सीमित न होकर, डीजे पार्टियों के माध्यम से युवतियों को फंसाने और अश्लील वीडियो के ज़रिए ब्लैकमेल करने तक जा पहुंचा है. भोपाल क्राइम ब्रांच ने इस गिरोह से जुड़े यासीन अहमद और शाहवर अहमद को गिरफ्तार किया है, जो आपस में चाचा-भतीजे हैं. इन दोनों के साथ दो और आरोपी सैफुद्दीन और शाहरूख उर्फ आशू भी पुलिस की गिरफ्त में हैं.
पुलिस को यासीन अहमद के मोबाइल फोन से 30 से अधिक युवतियों के आपत्तिजनक वीडियो मिले थे. इन वीडियो का इस्तेमाल युवतियों को ब्लैकमेल करने और उनके साथ शारीरिक शोषण के लिए किया जाता था. यासीन नियमित रूप से शहर के क्लबों में डीजे पार्टियों का आयोजन करता था. ऐसी पार्टियों में युवाओं को ड्रग्स की लत लगाई जाती थी. फिर नशे की हालत में युवतियों के वीडियो रिकॉर्ड कर उन्हें धमकाया जाता था. जांच में सामने आया है कि शाहवर अहमद के दुबई से संबंध हैं और उसने वहां पर पैसे का निवेश भी किया है.