मुंबई। दिवाली पर भारतीय सिनेमा के बड़ी क्षति हुई है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी गोवर्धन आसराानी का सोमवार को निधन हो गया। लंबी बीमारी के बाद 84 साल की उम्र में असरानी ने शरीर छोड़ दिया। सोमवार शाम करीब 4 बजे मुंबई के जुहू स्थित आरोग्य निधि अस्पताल में निधन हो गया। शाम को उनके करीबी लोगों और परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में शास्त्री नगर, सांताक्रूज में उनका अंतिम संस्कार किया गया। असरानी की प्रमुख पहचान हास्य अभिनेता के रूप में थी। असरानी में बॉलीवुड की सैकड़ों फिल्मों में किरदार निभाकर उन्हें जीवंत बनाया है।
बता दें कि असरानी मूल रूप से वो राजस्थान के जयपुर से रहने वाले थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल जयपुर से पूरी की थी। आसराानी का योगदान हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कॉमिक एक्टिंग के क्षेत्र में बेमिसाल रहा है। कई दशकों तक उन्होंने अपनी अदाकारी से दर्शकों को हंसाया, रुलाया और मनोरंजन किया।
एक्टर के साथ ही असरानी ने संगीत में भी कई हाथ आजमाया है। साल 1977 में असरानी ने फिल्म आलाप में दो गाने भी गाए, जो उन्हीं पर फिल्माए गए थे। असरानी ने फिल्म ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन में’ प्रसिद्ध सिंगर किशोर कुमार के साथ एक गाना गाया था।
गोवर्धन असरानी ने कई दशकों तक हिंदी सिनेमा में अहम रोल प्ले किए और दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई. फिल्मी जगत और उनके प्रशंसकों में उनके निधन की खबर से गहरे शोक का माहौल है. गोवर्धन असरानी के मरने की खबर पुष्टि उनके भतीजे अशोक असरानी ने की. अब से तीन महीने पहले गोवर्धन असरानी की झूठी खबर फैली थी. जिसमें ये कहा गया था कि 15 जुलाई 2025 को गोवर्धन असरानी की मौत हो गई. हालांकि इस खबर की पड़ताल की गई तो ये खबर फर्जी पाई गई थी.
पिछले कई दशकों में गोवर्धन असरानी ने हिंदी सिनेमा को कई यादगार किरदार दिए और दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई। उनका करियर 50 साल से भी लंबा था और उन्होंने 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. 1970 के दशक में उनका चरम समय था, जब वे सबसे भरोसेमंद और लोकप्रिय किरदार वाले अभिनेता के रूप में जाने जाते थे. उन्होंने ‘मेरे अपने’, ‘कोशिश’, ‘बावर्ची’, ‘परिचय’, ‘अभिमान’, ‘चुपके चुपके’, ‘छोटी सी बात’, ‘रफू चक्कर’ जैसी फिल्मों में अहम भूमिका निभाई.
उनकी कॉमिक टाइमिंग और संवाद बोलने का तरीका दर्शकों को हमेशा याद रहेगा. अभिनय के अलावा असरानी ने कुछ फिल्मों में निर्देशन और कहानी लेखन भी किया. उन्होंने ‘चल मुरारी हीरो बनने’, ‘सल्लाम मेमसाब’ जैसी फिल्मों को निर्देशित किया. गुजराती सिनेमा में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा दिखाई. हाल ही में वे ‘धमाल’ जैसी हास्य फिल्मों में भी काम करते रहे। उनका योगदान हिंदी सिनेमा में लंबे समय तक याद किया जाएगा. उनके परिवार, सहयोगियों और फैंस इस खबर से बेहद दुखी हैं.