अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव: निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा की मौजूदगी से त्रिकोणीय हुआ मुकाबला, जानें क्या कहते हैं समीकरण

By Ashish Meena
October 12, 2025

Naresh Meena : राजस्थान की राजनीति में बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव ने नया रंग भर दिया है. वोटिंग 11 नवंबर को होगी और नतीजे 14 नवंबर को आएंगे. यह सीट बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की अयोग्यता के कारण खाली हुई. कंवरलाल पर 20 साल पुराने एक मामले में दोष सिद्ध होने के बाद उनकी सदस्यता रद्द हो गई. अब यहां सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के अलावा निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा की मौजूदगी से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. दोनों मुख्य दल अपनी जीत के दावे कर रहे हैं लेकिन नरेश की एंट्री ने समीकरण उलटने की पूरी संभावना पैदा कर दी है.

उम्मीदवार चेहरे में कांग्रेस आगे बीजेपी पीछे
कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार जल्दी घोषित कर रणनीतिक बढ़त ले ली. पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को फिर से टिकट दिया गया है. 2023 के विधानसभा चुनाव में भाया यहीं से बीजेपी के कंवरलाल से 5861 वोटों से हार गए थे. भाया का कहना है कि नरेश मीणा की उम्मीदवारी से उनकी जीत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

वहीं बीजेपी अभी अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं कर पाई. पार्टी कंवरलाल के परिवार से किसी को टिकट देने पर विचार कर रही है. पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी जैसे नाम भी चर्चा में हैं. बीजेपी के प्रभारी सांसद दमोदर अग्रवाल ने तैयारियां तेज कर दी हैं. लेकिन नरेश मीणा ने 14 अक्टूबर को नामांकन भरने का ऐलान कर सबको चौंका दिया. वे मूल रूप से कांग्रेस टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन टिकट न मिलने पर निर्दलीय उतर आए.

नरेश मीणा का पुराना इतिहास कांग्रेस के लिए खतरा
नरेश मीणा युवा नेता हैं और मीणा समाज से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने अब तक दो चुनाव निर्दलीय लड़े और दोनों में मजबूत प्रदर्शन किया. दिसंबर 2023 में छाबड़ा विधानसभा से वे तीसरे नंबर पर रहे जहां 43921 वोट हासिल किए. जीतने वाले बीजेपी उम्मीदवार को 65000 वोट मिले थे. फिर पिछले साल देवली उपचुनाव में नरेश ने 59478 वोट लेकर दूसरा स्थान पाया.

वहां बीजेपी के राजेंद्र गुर्जर जीते लेकिन कांग्रेस के केसी मीणा 32000 से कम वोटों पर सिमट गए और जमानत तक नहीं बचा सके. विशेषज्ञों का मानना है कि नरेश की मौजूदगी ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया. अंता में भी ऐसा ही हो सकता है. अगर बीजेपी गैर-मीणा उम्मीदवार उतारती है तो मीणा समाज के 30 हजार वोटों का बंटवारा कांग्रेस के खिलाफ जाएगा. नरेश को भीम आर्मी और समाजवादी पार्टी का समर्थन मिला है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी उनकी उम्मीदवारी पर विचार कर रही है.

वोटरों की ताकत: जातिगत समीकरण निर्णायक
अंता में कुल 227563 मतदाता हैं. 115982 पुरुष 110241 महिलाएं और चार अन्य. मतदाता सूची में 1336 नई जोड़ियां हुईं. जातिगत आधार पर माली समाज के करीब 50 हजार धाकड़ 45 हजार मीणा 30 हजार अनुसूचित जाति 18 हजार और मुस्लिम 15 हजार वोटर हैं.

जाट गुर्जर ब्राह्मण महाजन जैसे समुदायों के 5 से 14 हजार वोटर अलग-अलग हैं. परंपरागत रूप से मीणा वोटर कांग्रेस की ओर जाते रहे हैं लेकिन कंवरलाल की वजह से बीजेपी को उम्मीद थी. नरेश की एंट्री से यह वोट बंट सकता है. वसुंधरा राजे और सचिन पायलट जैसे दिग्गजों के लिए यह सीट सिरदर्द बनी हुई है.

जानें किसका फायदा किसका नुकसान
यह उपचुनाव सरकार की लोकप्रियता का आईना बनेगा. बीजेपी जीत को अपनी उपलब्धि बताएगी जबकि हार पर कांग्रेस हमलावर हो जाएगी. नरेश की मजबूत पकड़ से कांग्रेस को सबसे ज्यादा खतरा है. उनके वोट काटने से भाया की राह कठिन हो सकती है.

बीजेपी को फायदा मिल सकता है अगर मीणा वोट उसके पक्ष में झुकें. लेकिन सर्वे में कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर दिख रही है नरेश तीसरे नंबर पर. युवा वोटरों का झुकाव नरेश की ओर है जो स्थानीय मुद्दों पर जोर दे रहे हैं. कुल मिलाकर अंता का परिणाम राजस्थान की सियासत की दिशा तय करेगा.

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