Fasal Bima Yojana : किसानों की सुरक्षा के लिए चलाई जा रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) पर अब गंभीर सवाल उठ रहे हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट ने इस योजना की चौंकाने वाली खामियों को उजागर किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, बीमा कंपनियों ने किसानों से प्रीमियम के तौर पर करोड़ों रुपये तो वसूले, लेकिन नुकसान की भरपाई के नाम पर उन्हें सिर्फ नाममात्र का मुआवजा दिया।
ये आंकड़े चौंकाते हैं:
कृषि कल्याण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, खरीफ और रबी सीजन 2023-24 और 2024-25 के दौरान राज्य के 3.57 करोड़ किसानों से बीमा कंपनियों ने 1304 करोड़ रुपये का प्रीमियम लिया। इसमें राज्य और केंद्र सरकार की हिस्सेदारी को जोड़ दें तो यह आंकड़ा 3510 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
इसके बावजूद, जब किसानों को उनके नुकसान की भरपाई करने का समय आया तो कंपनियों ने केवल 22.23 लाख किसानों को कुल 764 करोड़ रुपये का ही क्लेम दिया। यह साफ दिखाता है कि वसूल किए गए कुल प्रीमियम का चौथाई हिस्सा भी किसानों तक नहीं पहुंचा।
एक हेक्टेयर पर 1447 रुपये का क्लेम
रिपोर्ट में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जो बीमा कंपनियों की मनमानी को दर्शाते हैं। खंडवा, खरगोन और बुरहानपुर जैसे जिलों में किसानों को उनके असली नुकसान के मुकाबले बहुत कम मुआवजा दिया गया।
एक किसान को सोयाबीन की फसल पूरी तरह खराब होने पर सिर्फ 1447 रुपये का क्लेम दिया गया। जब उसने शिकायत की, तो उसका क्लेम बढ़ाकर 52 हजार रुपये कर दिया गया।
एक अन्य किसान, अनिल को शुरू में सिर्फ 91 रुपये मिले, जो शिकायत के बाद बढ़कर 16 हजार रुपये हो गए। कई किसानों ने तो नाराजगी में मिली हुई मामूली राशि को सरकार को लौटाने की बात तक कही है। ये उदाहरण साबित करते हैं कि किसान अपनी ही मेहनत के पैसों के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
सैटेलाइट सर्वे पर उठे सवाल
उपभोक्ता आयोग के अधिवक्ता दिनेश यादव ने इस स्थिति के लिए सैटेलाइट आधारित सर्वे को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि फसलों का सही आकलन जमीनी स्तर पर पटवारी द्वारा क्रॉप कटिंग से ही संभव है, लेकिन वर्तमान में सैटेलाइट सर्वे का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें भारी त्रुटियां हैं।
यादव के अनुसार, सैटेलाइट से फसल के नुकसान का सही पता नहीं चल पाता और यह केंद्र सरकार की स्वीकृत प्रक्रिया भी नहीं है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसानों को न्याय दिलाने के लिए पुरानी और भरोसेमंद जमीनी सर्वे प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाए।
क्या सरकार किसानों के हित में कदम उठाएगी?
ये आंकड़े और किसानों के अनुभव साफ-साफ बता रहे हैं कि फसल बीमा योजना अपने मूल उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रही है। जब करोड़ों रुपये का प्रीमियम जमा करने के बाद भी किसान खाली हाथ रह जाते हैं, तो यह व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल है। अब देखना यह है कि क्या सरकार इस गंभीर मुद्दे पर संज्ञान लेगी और बीमा कंपनियों की जवाबदेही तय कर किसानों को उनका हक दिला पाएगी।
कुछ जिलों का हाल
सीधी: 1.16 लाख क्लेम, 9,142 किसानों को लाभ
खंडवा: 1.63 लाख क्लेम, 22,363 किसानों को भुगतान
सिंगरौली: 0.83 लाख क्लेम, 4,391 किसानों को लाभ
मुरैना: 0.17 लाख क्लेम, 4,391 किसानों को भुगतान