मध्यप्रदेश के लोगों के लिए खुशखबरी, अब हर समस्या का होगा समाधान! मोहन यादव ने की नई पहल

By Ashish Meena
जनवरी 1, 2025

MP News : नए साल में मध्यप्रदेश की मोहन सरकार एक नया प्रयोग करने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सीएम हाउस में जनता दरबार का आयोजन करने वाले हैं। इसके जरिए मौके पर ही लोगों की समस्याओं का समाधान होगा।

पहला जनता दरबार 6 जनवरी को लगाने की तैयारी की जा रही है। मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। सीएम की इस पहल को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

सीएम योगी यूपी में जनता दरबार लगाते हैं। जिसे ‘जनता दर्शन’ नाम दिया गया है। योगी का दरबार काफी लोकप्रिय है। मप्र में इससे पहले दिग्विजय सिंह, उमा भारती और शिवराज भी जनता की शिकायतें सुनते रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का जनता दरबार पूर्व मुख्यमंत्रियों के दरबार से कितना अलग होगा? लोगों की शिकायतों को सुनने का क्या सिस्टम रहेगा?

दो घंटे तक लोगों से मिलेंगे सीएम: सूत्रों के मुताबिक मोहन सरकार के पहले जनता दरबार का आयोजन 6 जनवरी को आयोजित करने की तैयारी है। मुख्यमंत्री आवास पर सीएम डॉ.मोहन यादव सुबह 10 से 12 बजे तक लोगों से मिलेंगे और उनकी समस्या सुनेंगे।

कौन सी शिकायतें सुनी जाएंगी?: सीएम के पास पहले से ही जो शिकायतें पहुंची हैं, उन्हीं में से स्क्रूटनी की जाएगी। दरबार में ट्रांसफर-पोस्टिंग के आवेदन नहीं लिए जाएंगे। बीमार, जरूरतमंदों के आवेदनों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसमें 500 से 600 लोगों के आने की संभावना है।

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लोगों को कैसे बुलाया जाएगा?: जिन लोगों ने पहले शिकायतें की हैं, उनके आवेदनों को शामिल कर सीएम से मिलने के लिए बुलाया जाएगा। यहां संबंधित विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। सीएम समस्या के निराकरण के लिए मौके पर ही अफसरों को निर्देश देंगे।

फीडबैक के आधार पर संशोधन होंगे: पहले जनता दरबार के फीडबैक के आधार पर कुछ संशोधन होंगे। जैसे हर बार दरबार क्या सोमवार को ही लगेगा? शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होगी या नहीं। कितने लोगों का शामिल किया जाएगा? इन सभी बिंदुओं पर फैसला लिया जाएगा।

जनता दरबार की जरूरत क्यों?
जानकार इसकी दो वजह बताते हैं। पहली ये कि लोगों की समस्याओं को दूर करने लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म तो हैं, मगर समस्याएं यहां हल नहीं हो रही हैं। लोग शिकायत लेकर जनसुनवाई में पहुंचते हैं, लेकिन समय पर निराकरण नहीं होता। अफसर और दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते थक जाते हैं।

दूसरी तरफ सीएम हेल्पलाइन जैसे प्लेटफॉर्म हैं। जहां शिकायत करने के बाद फोर्सली शिकायत बंद करने के लिए दबाव बनाया जाता है। पिछले दिनों जब समाधान ऑनलाइन और सीएम हेल्पलाइन की खुद मुख्यमंत्री ने समीक्षा की थी तब ऐसे मामले निकलकर सामने आए थे।

दूसरी वजह बताते हुए वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी कहते हैं कि डॉ. मोहन यादव सरकार का एक साल पूरा हो चुका है। वे लगातार प्रदेश में जन-स्वीकार्रता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इससे पहले शिवराज के कार्यकाल को देखें तो मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने भी कुछ ऐसी ही कवायद की थी। 2005 में शिवराज लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना लेकर आए थे। उन्होंने योजनाओं के जरिए जननेता की छवि को गढ़ा था।

एमपी के दो पूर्व मुख्यमंत्री लगा चुके जनता दरबार
भीड़ बढ़ी तो उमा को बंद करना पड़ा दरबार
साल 2003 में जब उमा भारती मप्र की मुख्यमंत्री बनी थीं, तब उन्होंने जनता दरबार की शुरुआत की थी। वह सीएम हाउस पर लोगों से मुलाकात करती थीं। वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी बताते हैं कि जनता दरबार का रिस्पॉन्स शुरुआत में अच्छा था। मौके पर ही अफसरों को लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए निर्देशित किया जाता था।

उमा भारती का ये प्रयोग लोकप्रिय हुआ और लोगों की भीड़ सीएम आवास पर जुटने लगी। उमा भारती से पहले दस साल की दिग्विजय की सरकार थी, इसलिए लोगों की इच्छाएं और आकांक्षा नई सरकार से ज्यादा थी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों ने कोई मैकेनिज्म नहीं बनाया था। जब लोगों की ज्यादा भीड़ होने लगी तो आखिर में दरबार को बंद करना पड़ा।

दिग्विजय सिंह सुबह 6 बजे से लोगों से मिलते थे
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में भी जनता दरबार लगता था। मुख्यमंत्री आवास पर सुबह 5 बजे से लोगों की भीड़ जमा हो जाती थी। दिग्विजय सिंह सुबह 6 बजे ही लोगों से मिलना शुरू कर देते थे।

वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी बताते हैं कि सीएम हाउस में लोग हाथों में आवेदन लेकर दोनों तरफ कतार बनाकर खड़े हो जाते थे। दिग्विजय सिंह इन दोनों कतारों के बीच में पहुंचकर लोगों के शिकायती आवेदन लेते थे। किसी शिकायत पर तत्काल ही कार्रवाई करना होती थी तो अधिकारियों को निर्देश दिए जाते थे।

दीपक तिवारी बताते हैं कि दिग्विजय सिंह के समय पहले से शिकायतें लेने का कोई सिस्टम नहीं था। 6 बजे से पहले जितने लोग सीएम हाउस पहुंच जाते थे उन सभी की शिकायतें सुनी जाती थी। 6 बजे के बाद किसी को एंट्री नहीं मिलती थी।

इसके अलावा साल में गर्मी के दो महीने दिग्विजय सिंह ग्राम संपर्क अभियान चलाते थे। इस अभियान के दौरान उनका हेलिकॉप्टर प्रदेश के किसी भी गांव में उतर जाता था। इसके जरिए वे योजनाओं की जमीनी हकीकत देखते थे।

शिवराज दौरे पर मिलते, शुरू की जनसुनवाई
पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान लंबे समय तक सूबे के मुखिया रहे, लेकिन उन्होंने जनता दरबार नहीं लगाया। वे खुद लोगों के बीच पहुंचते थे। उनकी शिकायत-समस्याएं सुनते और निराकरण के आदेश देते थे। शिवराज ने लोगों की शिकायतों के निराकरण के लिए सिस्टम का विकेंद्रीकरण किया।

उन्होंने जिला और प्रदेश स्तर पर हर मंगलवार को जनसुनवाई की शुरुआत की। वहीं लोगों के समय सीमा में काम पूरे हो इसके लिए लोकसेवा गारंटी अधिनियम 2010 लागू किया। इसमें सरकार की चुनिंदा सेवाओं को समय सीमा में मुहैया कराना जरूरी है। ऐसा न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ पेनल्टी की कार्रवाई की जाती है। इसके अलावा सीएम हेल्पलाइन और समाधान हेल्पलाइन की शुरुआत भी शिवराज के कार्यकाल के दौरान हुई।

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आशीष मीणा पत्रकारिता में पाँच वर्षों का अनुभव रखते हैं। DAVV इंदौर से पत्रकारिता की पढ़ाई के बाद उन्होंने अग्निबाण सहित कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य किया। उन्होंने जमीनी मुद्दों से लेकर बड़े घटनाक्रमों तक कई महत्वपूर्ण खबरें कवर की हैं।