भारत से पंगा लेना पड़ा महंगा! डोल गया ट्रूडो का सिंहासन, कनाडा के प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफा

By Ashish Meena
January 7, 2025

नई दिल्ली। भारत से पंगा लेने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की साढ़ेसाती शुरू हो चुकी है! ट्रूडो का सिंहासन डोल गया है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार शाम को पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी का नेता पद भी छोड़ दिया है। इस्तीफे से पहले उन्होंने देश को संबोधित किया। ट्रूडो ने कहा कि वे अगले चुनाव के लिए अच्छा विकल्प नहीं हो सकते।

उन्होंने कहा, ‘अगर मुझे घर में लड़ाई लड़नी पड़ेगी, तो आने वाले चुनाव में सबसे बेहतर विकल्प नहीं बन पाऊंगा।’ उन्होंने खुद को एक फाइटर बताया। कहा कि मुझे कनाडाई लोगों की बहुत परवाह है। मैं हमेशा कनाडा के लोगों की भलाई के लिए काम करता रहूंगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, PM ट्रूडो प्रधानमंत्री के पद पर तब तक बने रहेंगे, जब तक उनका उत्तराधिकारी नहीं चुन लिया जाता। उनकी सरकार का कार्यकाल अक्टूबर तक था। इस्तीफे के बाद अब जल्द चुनाव हो सकते हैं। वे नवंबर 2015 से देश के प्रधानमंत्री थे।

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ट्रूडो को इस्तीफा क्यों देना पड़ा
ट्रूडो पर उनकी लिबरल पार्टी के सांसदों की तरफ से कई महीनों से पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा था। इस वजह से ट्रूडो अलग-थलग पड़ते जा रहे थे। कनाडा की डिप्टी PM और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने 16 दिसंबर को पद से इस्तीफा दे दिया। क्रिस्टिया ने आरोप लगाया था कि PM ट्रूडो ने उनसे वित्त मंत्री का पद छोड़ दूसरे मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा था।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से ट्रूडो और वे फैसलों को लेकर सहमत नहीं हो पा रहे थे। क्रिस्टिया लंबे समय से ट्रूडो की सबसे भावशाली और वफादार मंत्री मानी जा रही थीं। हाल ही में ट्रूडो के नागरिकों को मुफ्त में 15 हजार रुपए देने पर क्रिस्टिया ने असहमति जताई थी। उन्होंने कहा था कि कनाडा अमेरिका को होने वाले निर्यात पर टैरिफ की धमकी का सामना कर रहा है।

ऐसे में अधिक खर्च करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, पार्टी के 152 सांसद में से ज्यादातर ट्रूडो के इस्तीफे का दबाव बना रहे थे। ट्रूडो की पार्टी के 24 सांसदों ने अक्टूबर में उनसे सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा देने की मांग की थी।

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ट्रूडो की पार्टी के लिए चुनौती
ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी के पास कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसकी आम जनता में पकड़ हो। विदेश मंत्री मेलानी जोली​​​​​​, डोमिनिक लेब्लांक, मार्क कानी के नाम इस रेस में आगे हैं।

लिबरल पार्टी में शीर्ष नेता को चुनने के लिए विशेष सम्मेलन बुलाया जाता है। इस प्रक्रिया में कई महीने लग जाते हैं। यदि लिबरल पार्टी में कोई स्थानीय नेता न हो और देश में चुनाव कराए गए तो इससे उसे नुकसान हो सकता है।

अब आगे क्या
संसद का सत्र 27 जनवरी को शुरू होना था, लेकिन ट्रूडो ने कहा कि अब यह मार्च में होगा। सत्र के शुरू होते ही लिबरल पार्टी को विश्वास मत का सामना करना पड़ सकता है। लिबरल पार्टी पहले से अल्पमत में है। चुनाव के आखिरी वक्त में उन्हें दूसरे दलों का समर्थन मिलने की उम्मीद भी कम है। ऐसे में लिबरल सरकार मार्च में ही विश्वास मत हार सकती है।

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कौन होगा लिबरल का नया लीडर?
संभावित नेताओं में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी, विदेश मंत्री मेलानी जोली और पूर्व उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड शामिल हैं. उम्मीद है कि 20 अक्टूबर को या उससे पहले होने वाले आम चुनाव से पहले एक नया पार्टी नेता लिबरल्स को उनकी निराशा से बाहर निकाल सकता है.

हाल के सर्वों में ट्रूडो की लिबरल पार्टी विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी से पीछे है, जिसका नेतृत्व तेजतर्रार पियरे पोलीवर कर रहे हैं. पार्टी से जुड़े लोग मानते हैं कि एक नया नेता ही पिछड़ती पार्टी को आगे ला सकता है.

ट्रूडो ने जताया इस बात का अफसोस?
ट्रूडो ने कहा कि उन्हें एक अफसोस है कि इस साल होने वाले आम चुनाव से पहले कनाडा की चुनाव प्रक्रिया में सुधार करने में वह विफल रहे. उन्होंने कहा, “अगर मुझे एक अफसोस है, खासकर जब हम इस चुनाव के करीब हैं – तो वो ये है कि हम इस देश में अपनी सरकारों को चुनने के तरीके को नहीं बदल सकें ताकि लोग एक ही मतपत्र (Ballot Paper) पर दूसरी पसंद या तीसरी पसंद चुन सकें.”

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आशीष मीणा को पत्रकारिता में 5 साल हो चुके है। इंदौर के श्री अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय (DAVV) से आशीष मीणा ने पत्रकारिता की डिग्री हासिल की है। इंदौर के अग्निबाण जैसे कई प्रतिष्ठित अखबारों में काम करने के बाद आशीष मीणा ने यहां तक का सफर तय किया है।