देशभर के सभी राज्यों के राजभवनों को मिली नई पहचान, अब इस नाम से जाने जाएंगे
By Ashish Meena
December 2, 2025
Raj Bhavans : देशभर के सभी राज्यों में अब राजभवन का नाम बदलकर लोकभवन कर दिया गया है. यह बड़ा बदलाव केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर हुआ है, जिसका उद्देश्य शासन को जनसेवा और कर्तव्य की भावना से जोड़ना है. पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने कई प्रशासनिक नामों में यह परिवर्तन किया है, जैसे राजपथ का नाम कर्तव्य पथ, प्रधानमंत्री आवास का नाम लोक कल्याण मार्ग, और सेंट्रल सचिवालय का नाम कर्तव्य भवन.
सरकार के निर्देशों के मुताबिक लोकभवन नाम यह दर्शाता है कि शासन के हर हिस्से में कर्तव्य और जनसेवा की भावना को शामिल किया जा रहा है. यह परिवर्तन केवल नामों तक सीमित नहीं, बल्कि लोकतंत्र की उस सोच को प्रतिबिंबित करता है जो जनता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
इसी क्रम में उत्तराखंड ‘राजभवन’ का नाम बदलकर अब ‘लोक भवन’ कर दिया गया है. जिसके तहत देहरादून और नैनीताल में मौजूद ‘राजभवन’ को अब ‘लोक भवन’ के नाम से जाना जाएगा.
दरअसल, 25 नवंबर 2025 को जारी गृह मंत्रालय भारत सरकार के पत्र संख्या के तहत और उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह की स्वीकृति के बाद देहरादून और नैनीताल स्थित राजभवन (Raj Bhavan) का नाम आधिकारिक रूप से लोक भवन (Lok Bhavan) कर दिया गया है. अब राजभवन उत्तराखंड (Raj Bhavan Uttarakhand) को अब से लोकभवन उत्तराखंड (Lok Bhavan Uttarakhand) कहा जाएगा. राज्यपाल सचिव रविनाथ रमन की ओर से अधिसूचना जारी किया गया है.
प्रदेश बनने के बाद बना था देहरादून राजभवन
उत्तराखंड बनने के बाद देहरादून राजभवन की स्थापना की गई थी. दरअसल, उत्तराखंड 9 नवंबर 2000 को भारत का 27वां राज्य बना. शुरुआत में राजभवन को बीजापुर हाउस, न्यू कैंट रोड में अस्थायी रूप से स्थापित किया गया. इसके बाद सर्किट हाउस देहरादून को राजभवन में परिवर्तित किया गया. सुरजीत सिंह बरनाला राज्य के पहले राज्यपाल थे, जिन्होंने 25 दिसंबर 2000 को यहां निवास ग्रहण किया. अब इसका नाम आधिकारिक रूप से देहरादून लोक भवन कर दिया गया है.
क्यों बदला गया नाम?
उत्तराखंड सरकार ने बदलाव के पीछे विस्तृत कारण सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि नाम में ‘लोक’ जोड़ने का उद्देश्य जन-केंद्रित शासन, राजसी छवि से हटकर लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना और प्रशासनिक संस्थानों के जनसुलभकरण की दिशा में कदम है.
