सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को लगाई कड़ी फटकार, मुआवजा देने का दिया आदेश, जानें पूरा मामला
By Ashish Meena
September 9, 2025
MP Government : सजा पूरी होने के बाद भी व्यक्ति को जेल में रखे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को सख्त नाराजगी जताई है। एक मामले की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) को कड़ी फटकार लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार को शख्स को 25 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह शख्स अपनी वैध सजा से करीब साढ़े 4 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद था, जिस पर अदालत ने हैरानी जताई है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को राज्य की सभी जेलों में बड़े पैमाने पर एक सर्वेक्षण कराने का भी निर्देश दिया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी कैदी अपनी सजा पूरी करने या जमानत मिलने के बावजूद सलाखों के पीछे न रहे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में बलात्कार के दोषी सोहन सिंह के मामले पर सुनवाई चल रही थी। इस दौरान SC ने सिंह की लंबी कैद को काफी चौंकाने वाला बताया। कोर्ट ने इसे राज्य की व्यवस्थागत विफलता बताते हुए कड़ी आलोचना भी की। पीठ ने कहा कि इस तरह सजा से ज्यादा समय तक कैद में रखना मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और इसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट ने दिए थे आदेश
इससे पहले यह मामला इस साल की शुरुआत में अदालत के सामने आया था, जब सिंह ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 2017 के रिहाई के आदेश के बावजूद उसे कैद में रखे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने उसकी आजीवन कारावास की सजा को घटाकर सात साल कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सिंह ने अपनी वैध सजा से लगभग आठ साल ज्यादा की सजा काटी है और राज्य से स्पष्टीकरण मांगा था। हालांकि सोमवार को राज्य के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता नचिकेता जोशी ने स्पष्ट किया कि सिंह इस अवधि के दौरान कुछ समय के लिए जमानत पर थे और अतिरिक्त कारावास लगभग 4.7 वर्ष का था।
हालांकि सोहन सिंह का प्रतिनिधित्व करते हुए वकील महफूज अहसान नाजकी ने जवाबदेही की मांग की। अदालत ने मामले में राज्य द्वारा पहले दायर किए गए भ्रामक हलफनामों पर नाराजगी व्यक्त की जिसमें शुरुआत में अतिरिक्त कारावास की अवधि को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया था।
चौंकाने वाले हैं तथ्य- SC
बीते अगस्त में कोर्ट ने जवाबदेही तय करने की मांग भी की थी। 22 अगस्त के आदेश में कहा गया था, “इस मामले के तथ्य काफी चौंकाने वाले हैं। हम चाहते हैं कि राज्य इस संबंध में उचित स्पष्टीकरण दे। हम राज्य को उपरोक्त मामले पर उचित जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय देते हैं।” उन्होंने कहा, “हम जानना चाहते हैं कि इतनी गंभीर चूक कैसे हुई और याचिकाकर्ता सात साल की पूरी सजा काटने के बाद भी सात साल से अधिक समय तक जेल में क्यों रहा।”
