Rakhi 2024: भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का पर्व रक्षा बंधन आज सोमवार 19 अगस्त को है। साथ ही आज श्रावण मास का अंतिम सोमवार व्रत भी है। साथ ही आज सर्वार्थ सिद्धि, शोभन और रवि जैसे शुभ और महत्वपूर्ण योगों का महासंयोग भी है। लेकिन इसके साथ ही रक्षा बंधन त्योहार पर आज कई अशुभ योगों की काली छाया भी पड़ रही है।
रक्षाबंधन पर 2 महा अशुभ योग
भद्रा, राहु काल और पंचक आज रक्षाबंधन त्योहार के शुभ मौके के रंग में भंग डाल रहे हैं। इन अशुभ योगों में राखी बांधना वर्जित माना गया है। इस कारण से बहनों को राखी बांधने के लिए इंतजार करना पड़ेगा।
ये है भद्रा काल की अवधि
हिन्दू पंचांग के अनुसार, आज सुबह 5 बजकर 52 मिनट से भद्रा काल आरम्भ हो चुका है, जो दोपहर बाद 1 बजकर 32 मिनट तक है। यदि द्रिक पंचांग पर यकीन करें तो भद्रा की शुरुआत सुबह होने से पहले ही 03:04 AM बजे ही हो गई थी। इस तरह भद्रा लगभग 10 घंटे तक प्रभावी रहेगी। हिन्दू मान्यता के अनुसार, भद्रा काल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। इस अवधि में राखी बांधना भी वर्जित है, अन्यथा भाई-बहन दोनों पर संकट आ सकता है।
लेकिन ज्योतिषी प्रवीण मिश्र के अनुसार, इस बार भद्रा में भी राखी बांधी जा सकती है। दरअसल, इस बार भद्रा का वास पाताल लोक में होगा और विद्वानों का मत है कि अगर भद्रा का वास पाताल लोक या स्वर्ग लोक में होता है तो पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए भद्रा अशुभ नहीं होती है। और लोग भद्रा को नजरअंदाज करके रक्षाबंधन का पर्व मना सकते हैं। हालांकि, जिन लोगों के लिए जरूरी है वो ही लोग इस बार भद्रा में भी राखी बांध सकते हैं।
बहनों को राखी बांधने के समय को लेकर पंचक से भी सावधान रहने की जरूरत है। आज ही पंचक की शुरुआत प्रदोष काल के बाद 7 बजकर 1 मिनट से हो रही है, जो 23 अगस्त तक रहेगी। आज अशुभ राहु काल भी सुबह में ही 07:30 AM से 09:08 AM तक है। लेकिन यह अब भद्रा काल में समाहित हो गया है। यदि आज राहु काल भद्रा के बाद लगता तो अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए बहनों और भी कम समय मिलता।
पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन पर इन अशुभ योगों के बनने के कारण बहनों को राखी बांधने के लिए बहुत कम समय मिलेगा। इस बार राखी बांधने का शुभ समय भद्रा काल के बाद शुरू हो रहा है:
राखी बांधने का बेस्ट मुहूर्त: आज राखी बांधने का सबसे अच्छा मुहूर्त दोपहर 01:33 बजे से शाम 04:19 बजे तक है। इस प्रकार बहनों के पास राखी बांधने के लिए पूरे 2 घंटे 46 मिनट का समय मिलेगा।
राखी बांधने का दूसरा मुहूर्त: इसके अलावा, बहनें शाम को प्रदोष काल में भी भाई को राखी बांध सकती हैं। इस दिन शाम 06:56 बजे से रात 09:07 बजे तक प्रदोष काल रहेगा।
रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए एक थाली में रोली, चन्दन, अक्षत, दही, राखी, मिठाई और घी का एक दीपक रखें. पूजा की थाली को सबसे पहले भगवान को समर्पित करें. इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं. पहले भाई के माथे पर तिलक लगाएं. फिर रक्षासूत्र बांधकर आरती करें. इसके बाद मिठाई खिलाकर भाई की लंबी आयू की मंगल कामना करें. रक्षासूत्र बांधने के समय भाई तथा बहन का सर खुला नहीं होना चाहिए. रक्षासूत्र बंधवाने के बाद माता पिता का आशीर्वाद लें और बहन के पैर छूकर उसे उपहार भेंट करें.
भाई की कलाई पर कैसे बांधे राखी?
सबसे पहले एक थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें. इसमें भाई की आरती करने के लिए घी का एक दीपक भी रखें. रक्षा सूत्र या राखी और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें. इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं.
पहले भाई को तिलक लगाएं फिर रक्षा सूत्र बांधें और भाई की आरती उतारें. इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उसकी मंगल कामना करें. रक्षासूत्र बांधने के समय भाई और बहन का सिर खुला नहीं होना चाहिए. राखी बंधवाने के बाद भाई अपनी क्षमतानुसार बहन को कोई गिफ्ट या उपहार भी भेंट कर सकते हैं.
रक्षाबंधन पर करें इस मंत्र का जाप
हिंदू धर्म में रक्षा बंधन की विशेष मान्यता है. ऐसे में आप भी अपने भाई को राखी बांधते वक्त इस विशेष मंत्र का जाप करें. माना जाता है कि इस जाप को जपते हए राखी बांधने से भाई-बहन का प्यार हमेशा बना रहता है.
राखी बांधते वक्त इस मंत्र का करें जाप
‘येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः
तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचलः’.
रक्षाबंधन का महत्व
रक्षा के लिए बांधा जाने वाला धागा रक्षासूत्र है. माना जाता है कि राजसूय यज्ञ के समय में भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षासूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था. इसके बाद बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई. साथ ही पहले के समय में ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है. इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण यजुर्वेद का पाठ शुरू करते हैं. इसलिए रक्षाबंधन वाले दिन यानी श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा वाले दिन शिक्षा का आरंभ करना भी शुभ माना जाता है.