MP News : मध्य प्रदेश में खाद की भारी किल्लत और इसके चलते लाइन में लगे किसानों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और बल प्रयोग की घटनाओं को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्यप्रदेश सहित सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों एवं पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी किया है.
NHRC ने इस घटना की रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर तलब की है. मुख्य सचिव और डीजीपी से अनुरोध किया गया है कि वे खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं और किसानों को बिना किसी परेशानी के यूरिया और डीएपी जैसे आवश्यक खाद उपलब्ध कराएं. इसके साथ ही केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय से भी खाद आपूर्ति पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है.
मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई
आयोग ने कहा कि इस मामले को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के तहत संज्ञान में लिया गया है. आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरोपों की जांच कर जानकारी तलब की है. अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत आयोग को सिविल न्यायालय के समान अधिकार दिए गए हैं, जिससे वह जांच कर कार्रवाई की अनुशंसा कर सकता है.
किसानों की हताशा और संकट पर ध्यान
शिकायत में कहा गया है कि देशभर में खाद की कमी के चलते खरीफ मौसम में किसानों की फसलें प्रभावित हो रही हैं. समय पर खाद न मिलने से किसान परेशान और निराश हैं. सीमित संसाधनों से जूझ रहे गरीब किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए आवश्यक खाद नहीं मिल रही है.शिकायतकर्ता ने आयोग से हस्तक्षेप की मांग की और खाद वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के साथ-साथ कमी की वजह की जांच कराने का आग्रह किया. साथ ही आयोग को कई वीडियो लिंक भी उपलब्ध कराए गए हैं, जिनमें दिखाया गया है कि पुलिस ने खाद लेने के लिए लाइन में लगे किसानों पर लाठीचार्ज किया.
आयोग ने दिए हैं निर्देश
आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों, जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि
किसानों को समय पर यूरिया और डीएपी खाद उपलब्ध कराई जाए.
लंबी लाइन में खड़े किसानों के साथ कोई कठोर या अमानवीय व्यवहार न किया जाए.
यदि किसी स्थान पर लाठीचार्ज या बल प्रयोग की घटना हुई हो तो उसकी रिपोर्ट आयोग को सौंपी जाए. इसके साथ ही, भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय को भी खाद आपूर्ति और प्रबंधन को लेकर आवश्यक कदम उठाने तथा दो सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया है.