SI गर्लफ्रेंड को कॉन्स्टेबल संग पकड़ा, हाईकोर्ट के वकील ने लगा ली फांसी, 30 दिसंबर को करने वाला था लव मैरिज
By Ashish Meena
दिसम्बर 18, 2025
MP News : मध्यप्रदेश के ग्वालियर में फांसी लगाकर सुसाइड करने वाले हाईकोर्ट के वकील मृत्युंजय सिंह चौहान ने फांसी जैसा आत्मघाती कदम उठाने से पहले कई बार सोचा होगा। मृतक के कमरे से पुलिस ने शहीद भगत सिंह की एक किताब भी बरामद की है। माना जा रहा है कि ‘भगत सिंह की जेल डायरी’ को आखिरी समय में वकील पढ़ रहा था।
इसमें वह उसी पेज पर था जहां भगत सिंह ने लिखा है- आजादी क्या है, मुक्ति क्या है…। इन अनमोल चीजों को बेरहम तथा बेदर्द लोगों से कैसे छीना जा सकता है। इस अंक में भगत सिंह ने अपने फांसी से पहले के पल को बयां किया था।
ऐसी आशंका है कि वकील ने फांसी लगाने का मन बना लिया था और मौत से पहले यह किताब पढ़ी होगी, क्योंकि यह बुक बेड के सिरहाने में रखी मिली है।
मुरैना में पदस्थ SI से लव मैरिज करने वाला था
मृत्युंजय की मां शिवकुमारी ने बताया कि बेटा 30 दिसंबर को मुरैना में पदस्थ एक सब इंस्पेक्टर से लव मैरिज करने वाला था। शुक्रवार (12 दिसंबर) को वह अपनी एसआई गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए उसके मुरैना कोतवाली स्थित शासकीय क्वार्टर पहुंचा था।
वैसे वह हर वीकेंड पर उससे मिलने जाता था, लेकिन इस बार मृत्युंजय शुक्रवार को उसे सरप्राइज देने पहुंच गया। जब वह पहुंचा तो वहां प्रेमिका अपने कमरे में एक आरक्षक के साथ थी। वकील का उससे विवाद हो गया। दोनों के बीच हाथापाई भी हुई। मृत्युंजय का पिछले पांच साल से एसआई के साथ अफेयर चल रहा था।
पहली बार कोई शव लेकर सेंट्रल जेल पहुंचा
जानकारी के मुताबिक मुरैना में प्रेमिका (सब इंस्पेक्टर) से मिले धोखे के बाद हाईकोर्ट के वकील मृत्युंजय सिंह चौहान ने सोमवार (15 दिसंबर) को फांसी लगाकर जान दे दी थी। मंगलवार को डॉक्टरों के पैनल से शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया।
इसके बाद शव परिजन के सुपुर्द किया गया है। परिजन शव को लेकर सबसे पहले ग्वालियर सेंट्रल जेल पहुंचे। यहां मृतक के बड़े भाई प्रणव सिंह चौहान ने उसके पार्थिव देह के दर्शन किए। ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई परिवार शव लेकर सेंट्रल जेल गया हो।
वाराणसी के गंगा घाट पर हुआ अंतिम संस्कार
जानकारी के मुताबिक ग्वालियर से परिजन पुलिस को यह कहते हुए शव ले गए थे कि वो बनारस में गंगा घाट पर अंतिम संस्कार करेंगे। मंगलवार शाम पांच बजे परिवार शव लेकर बनारस के लिए रवाना हुआ था। बुधवार सुबह वहां अंतिम संस्कार किया गया।
पिता से अलग रह रहा परिवार, वड़ोदरा से पहुंचे पिता
मृत्युंजय की मौत की खबर मिलते ही उसके पिता कुलदीप सिंह चौहान मंगलवार को वडोदरा गुजराज से ग्वालियर पहुंचे। यहां उन्होंने बेटे का शव देखा। लंबे समय से वकील मृत्युंजय, उसकी मां और भाई प्रणव अपने पिता से अलग रह रहे थे। सोमवार को भी घटना के बाद वकील की मां ने बताया था कि पति से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
मां बोली-शिकायत न सुनने से था आहत
मृत्युंजय ने प्रेमिका के घर हुई मारपीट की शिकायत थाने में की थी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। तब उसने घर आकर अपनी मां को कॉल किया और रोते हुए सारी बात बताई। मां के समझाने के बावजूद वह इस कदर टूट चुका था कि उसने फांसी लगा ली।
पुलिस को वकील के कमरे से एक आवेदन मिला है जो उसने मुरैना सिविल लाइन थाने को प्रेषित कर लिखा था, लेकिन एसआई प्रेमिका के प्रभाव में उसकी शिकायत नहीं ली गई होगी।
ऐसा भी पता लगा है कि प्रेमिका के शासकीय आवास में घुसकर तोड़-फोड़ करने और मारपीट करने पर उस पर कार्रवाई की गई है। फिलहाल इसकी पुष्टि पुलिस ने नहीं की है।
गोला का मंदिर थाना प्रभारी हरेंद्र शर्मा ने बताया कि मृतक के शव का पोस्टमॉर्टम कराने के बाद शव परिजन के सुपुर्द कर दिया है। मामले की जांच की जा रही है।
‘जेल डायरी’ में भगत सिंह के जेल के अनुभव संकलित
लाहौर सेंट्रल जेल में आखिरी बार कैदी रहने के दौरान (1929-1931) भगत सिंह ने आजादी, इंसाफ, खुद्दारी और इज्जत के संबंध में महान दार्शनिकों, विचारकों, लेखकों और नेताओं के विचारों को खूब पढ़ा व आत्मसात किया था। उन्होंने जेल में जो टिप्पणियां लिखीं, यह जेल डायरी उन्हीं का संकलन है।
भगत सिंह ने यह सब भारतीयों को बताने के लिए लिखा कि आजादी क्या है, मुक्ति क्या है और इन अनमोल चीजों को बेरहम, बेदर्द अंग्रेजों से कैसे छीना जा सकता है, जिन्होंने भारतवासियों को बदहाल और मजलूम बना दिया था। इसमें फांसी के लिए तैयार होने, हिम्मत जुटाने और मजबूत इरादे का जिक्र है।
भगत सिंह की फांसी के बाद यह जेल डायरी उनकी अन्य चीजों के साथ पिता सरदार किशन सिंह को सौंपी गई थी। सरदार किशन सिंह की मृत्यु के बाद यह नोटबुक (भगतसिंह के अन्य दस्तावेजों के साथ) उनके (सरदार किशन सिंह) पुत्र कुलबीर सिंह और उनकी मृत्यु के बाद बेटे बाबर सिंह के पास आ गई।
