ब्रेकिंग: अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का निधन
By Ashish Meena
फ़रवरी 12, 2025
Satyendra Das Passed Away : राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का निधन हो गया है. उन्होंने 85 साल की उम्र में लखनऊ PGI में अंतिम सांस ली. अस्पताल ने इस आशय की जानकारी दी. ब्रेन हेमरेज के बाद उनका लखनऊ के पीजीआई में इलाज चल रहा था.
अस्पताल की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी श्री सतेंद्र दास जी ने आज अंतिम सांस ली. उन्हें 3 फरवरी को स्ट्रोक के कारण गंभीर हालत में न्यूरोलॉजी वार्ड के एचडीयू में भर्ती कराया गया था.
आचार्य सत्येंद्र दास ने 85 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. आचार्य सत्येंद्र दास 3 फरवरी से ही अस्पताल में भर्ती थे. संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में ‘ब्रेन स्ट्रोक’ (मस्तिष्काघात) के कारण भर्ती श्रीराम जन्मभूमि मंदिर-अयोध्या के मुख्य पुजारी अपने पीजीआई में आखिरी सांस ली.+

अयोध्या के श्रीराम जन्म-भूमि मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास (85) की ‘ब्रेन स्ट्रोक’ (मस्तिष्काघात) के कारण तबीयत बिगड़ जाने के बाद उन्हें लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में 3 फरवरी को भर्ती कराया गया था.
संत कबीरनगर में जन्मे, अयोध्या में बीता जीवन
सत्येंद्र दास का जन्म संतकबीरनगर जिले में 20 मई, 1945 में हुआ हुआ था। जो अयोध्या से 98.4 किमी की दूरी पर है। वे बचपन से ही भक्ति भाव में रहते थे। उनके पिता अकसर अयोध्या आया करते थे, वह भी अपने पिता के साथ अयोध्या घूमने आया करते थे।
यहां उनके पिता अभिरामदास जी के आश्रम में आते थे। सत्येंद्र दास भी अभिराम जी के आश्रम में आने लगे थे। अभिराम दास वही थे, जिन्होंने राम जन्मभूमि में 22-23 दिसंबर 1949 में गर्भगृह में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता जी मूर्तियों के प्रकट होने का दावा किया था। इन्हीं मूर्तियों के आधार पर आगे की लड़ाई लड़ी गई।
मूर्तियों के प्रकट होने के दावे और अभिराम दास जी की रामलला के प्रति सेवा देखकर सत्येंद्र दास बहुत प्रभावित हुए। उन्हीं के आश्रम में रहने के लिए उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया था। सत्येंद्र दास ने 1958 में घर छोड़ दिया था। उनके परिवार में दो भाई और एक बहन थीं, लेकिन बहन का निधन हो चुका है।
उन्होंने जब अपने पिता को संन्यास लेने का फैसला सुनाया तो उनके पिता ने भी कोई आश्चर्य जाहिर नहीं किया। साथ ही उन्होंने आशीर्वाद दिया और कहा कि मेरा एक बेटा घर संभालेगा और दूसरा रामलला की सेवा करेगा।
जानिए कैसे राम मंदिर से जुड़े
1992 में रामलला के पुजारी लालदास थे। उस समय रिसीवर की जिम्मेदारी रिटायर जज पर हुआ करती थी। उस समय जेपी सिंह बतौर रिसीवर नियुक्त हुए थे। फरवरी 1992 में मौत हो गई, तो राम जन्मभूमि की व्यवस्था का जिम्मा जिला प्रशासन को दिया गया। तब पुजारी लालदास को हटाने की बात हुई।
उस समय तत्कालीन भाजपा सांसद विनय कटियार विहिप के नेताओं और कई संत जो विहिप नेताओं के संपर्क में थे। उनसे सत्येंद्र दास के घनिष्ठ संबंध थे। इसके बाद 1 मार्च 1992 को सत्येंद्र दास की नियुक्ति हो गई। उन्हें अधिकार मिला था कि वो 4 सहायक पुजारी भी रख सकते हैं।
तब उन्होंने 4 सहायक पुजारियों को रखा था। उनमें संतोष तिवारी भी शामिल थे। 22 जनवरी, 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यहां के पुजारियों की जिम्मेदारियां बढ़ा दी गई। सत्येंद्र दास को ही मुख्य पुजारी रखा गया।
