RashtriyaEkta - 12-05-2024
मुंबई। 26 फरवरी को गजल गायक पंकज उधास का निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। उधास जी को गजल को आम आदमी की जुबान तक पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है। उनकी मधुर आवाज और सरल शब्दों वाली गजलों ने लाखों लोगों का दिल जीता। पंकज उधास का जन्म 1948 में गुजरात के राजकोट में हुआ था। उन्होंने राजकोट संगीत नाटक अकादमी में गुलाम कादिर खान से गाना सीखा।
उन्हें बेगम अख्तर और मेंहदी हसन को सुनकर गजल गाने की प्रेरणा मिली। उनके निधन से संगीत जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। गजल प्रेमियों को सदैव उनकी याद आएगी। राजकोट के चरखरी गांव में जन्मे इस गायक ने मुंबई में 26 फरवरी को आखिरी सांस ली, लेकिन जमींदार परिवार में जन्म लेने के बाद भी राजा रजवाड़ों और संभ्रांत कहे जाने वाले रसिक श्रोताओं की विधा गजल को आम लोगों में लोकप्रिय बनाने के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
उनकी उपलब्धियां:
1980 में अपना पहला एल्बम रिलीज किया।
उन्होंने भारत और विदेशों में कई सफल प्रस्तुतियां दीं।
उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
उनका योगदान:
उन्होंने गजल को आम आदमी के लिए सुगम बनाया।
उन्होंने सरल शब्दों और आकर्षक धुनों का इस्तेमाल किया।
उन्होंने गजल को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनकी कुछ लोकप्रिय गजलें:
"मैं शराबी नहीं, फिर भी कोई पिला दे तो मैं क्या करूं…"
"एक तरफ उसका घर, एक तरफ मैकदा…"
"चांदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल…"
"हुई महंगी बहुत शराब की थोड़ी थोड़ी पिया करो…"
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