
अंतरिक्ष तकनीक में बड़ी उपलब्धि, IIT इंदौर और ISRO ने मिलकर बनाया माइनस 270 डिग्री पर काम करने वाला सेंसर
By Ashish Meena
November 17, 2025
Indore News : अंतरिक्ष तकनीक में बड़ी उपलब्धि के रूप में आईआईटी इंदौर और इसरो ने मिलकर ऐसा उन्नत क्रायोजेनिक ऑप्टिकल फाइबर सेंसर विकसित किया है, जो माइनस 270 डिग्री जैसे अत्यंत निम्न तापमान पर भी पूरी सटीकता से काम कर सकता है। यह सेंसर अंतरिक्ष मिशन, ऊर्जा प्रणालियों और एलएनजी स्टोरेज जैसे क्षेत्रों में निगरानी और सुरक्षा को नई क्षमता देगा। अंतरिक्ष के निर्वात जितनी ठंड में काम करने वाली तकनीक विकसित करना विज्ञानियों के लिए एक बड़ी चुनौती थी, जिसे अब सफलतापूर्वक पार कर लिया गया है।
आईआईटी इंदौर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की मेक्ट्रोनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन लैब में प्रो. आइए पलानी और डॉ. नंदिनी पात्रा के नेतृत्व में शोध कार्य किया गया है। प्रोफेसरों के मुताबिक, शोध इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी) के साथ रिस्पांड प्रोग्राम के तहत संयुक्त सहयोग में पूरा हुआ है। इस पर आधारित तीन संयुक्त पेटेंट करने की प्रक्रिया भी चल रही है, जो दर्शाता है कि यह खोज कितनी नई, अनूठी और उपयोगी है।
इसलिए जरूरी है सेंसर
एयरोस्पेस (अंतरिक्ष तकनीक), ऊर्जा, गैस भंडारण और चिकित्सा जैसे कई क्षेत्रों में अत्यधिक कम तापमान में काम करने वाली प्रणालियों की जरूरत होती है। पारंपरिक सेंसर इतने कम तापमान में सही तरह से काम नहीं करते। ऐसे वातावरण में आप्टिकल फाइबर सेंसर बेहतर विकल्प होते हैं, क्योंकि वे हल्के होते हैं और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हस्तक्षेप से प्रभावित नहीं होते। मगर सामान्य आप्टिकल फाइबर भी माइनस 150 सेल्सियस से नीचे अपनी संवेदनशीलता खो देते हैं। यही बड़ी समस्या थी, जिसे हल करने के लिए यह नया सेंसर विकसित किया गया।
इनकी करेगा निगरानी
हीलियम, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन जैसी गैसों को उनके क्वथनांक (बायलिंग पाइंट) के आस-पास नियंत्रित करना।
राकेट और अंतरिक्ष यान में क्रायोजेनिक ईंधन टैंकों की निगरानी।
एलएनजी पाइपलाइनों में तापमान और रिसाव का पता लगाना।
शेप मेमोरी एलाय कोटिंग ने बढ़ाई सेंसर की ताकत
क्रायोजेनिक तापमान की चुनौती को दूर करने के लिए आइआइटी इंदौर की टीम ने ऑप्टिकल फाइबर पर एक विशेष धातु की परत चढ़ाई, जिसे शेप मेमोरी एलाय (एसएमए) कहा जाता है। इस धातु की खासियत है कि यह तापमान बदलने पर भी अपने मूल आकार को ‘याद’ रखती है और अत्यधिक उतार–चढ़ाव में भी स्थिर रहती है।
एसएमए को जब ऑप्टिकल फाइबर पर कोट किया गया, तो यह तापमान में होने वाले बेहद सूक्ष्म बदलावों को भी अधिक सटीकता से फाइबर तक पहुंचाने लगी। इसी वजह से सेंसर की संवेदनशीलता कई गुना बढ़ गई और वह माइनस 270 सेल्सियस जैसे अति-निम्न तापमान पर भी पूरी विश्वसनीयता से काम करने में सक्षम हो गया।
नए सेंसर की खास बातें
माइनस 270 सेल्सियस जैसे अत्यंत ठंडे तापमान में भी सटीक और विश्वसनीय मापन।
पारंपरिक टेलीकाम आप्टिकल फाइबर की तुलना में कई गुना ज्यादा संवेदनशील।
मौजूदा मेटल-कोटेड फाइबर सेंसरों से भी बेहतर प्रदर्शन।
– हल्का, टिकाऊ और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हस्तक्षेप रहित।
यहां होगा तकनीक का उपयोग
एलएनजी पाइपलाइनों में माइनस 180 सेल्सियस पर निगरानी।
गैस रिसाव का सटीक पता लगाना।
लांच व्हीकल्स के तापीय स्वास्थ्य (थर्मल हेल्थ) की निगरानी।
अंतरिक्ष यानों के क्रायोजेनिक ईंधन टैंकों में तापमान और तरल स्तर मापना।
चुनौती का समाधान निकालेगा सेंसर
प्रो. पलानी ने कहा कि अंतरिक्ष यानों के ईंधन टैंकों में अत्यधिक कम तापमान की निगरानी एक कठिन काम था। यह तकनीक द्रव हीलियम जैसे बेहद ठंडे वातावरण में भी काम करने में सक्षम है और इसे अंतरिक्ष मिशनों के लिए और उन्नत किया जा रहा है।
अंतरिक्ष तकनीक में बड़ा कदम
निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने कहा कि यह शोध इसरो और आईआईटी इंदौर ने मिलकर की है, जो भारत की स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमता को मजबूत बनाएगी। उन्होंने कहा कि इन दिनों टीम सेंसर की ऐसी पैकेजिंग विकसित कर रही है जो अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियों में भी इसे सुरक्षित और प्रभावी बनाए रख सके।