MP News: मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद पिछले करीब एक साल में डॉ. मोहन यादव ने कई ऐसे फैसले लिए, जिन पर चर्चा शुरू हो गई। खास कर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के उन्होंने अब तक तीन बड़े फैसलों को पलट दिया। शिवराज के एक फैसले पर तो करोड़ों रुपये खर्च हुए थे। उसको भी पलट दिया।
इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान के समय में राष्ट्रगान की तरह एमपी गान पर भी खड़ा होना जरूरी किया गया था, लेकिन मोहन यादव कार्यभार संभालने के कुछ दिनों बाद ही इस परंपरा को खत्म कर दिया।
पहला- सीपीए को बहाल किया
भोपाल की सड़कों और विकास के अन्य कार्यों को लेकर गठित राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौाहन ने 2022 में खत्म कर दिया था।
उन्होंने यह निर्णय तब लिया था जब राजधानी की सड़कें गड्ढे में तब्दील हो रही थी और सरकार की फजीहत हो रही थी। नई सरकार में सीपीए के जरूरत फिर से महसूस होने लगी। डॉ. मोहन यादव ने फिर से इसे गठित करने का निर्णय लिया।
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दूसरा- एमपी गान पर खड़ा होना बंद कराया
सरकारी कार्यक्रम में राष्ट्रगान की तरह एमपी गान पर भी खड़ा होना तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में अनिवार्य किया गया था। इसके बाद सभी सरकारी कार्यक्रमों में एमपी गान बजने लगा था।
वहीं, जब मोहन यादव मुख्यमंत्री के रूप में राजधानी में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे तो उनके सामने भी एमपी गान पर लोग खड़े हुए, लेकिन मोहन यादव खड़े नहीं हुए। साथ ही खड़े हुए लोगों को भी उन्होंने बिठवा दिया और कहा कि राष्ट्रगान सबसे बड़ा है तो फिर एमपी गान पर खड़े होने की जरूरत नहीं है।
तीसरा- बीआरटीएस कॉरिडोर हटवा दिया
केंद्र सरकार के सहयोग से शिवराज सरकार के समय बनाए गए बीआरटीएस कॉरिडोर को मोहन यादव ने हटाने का निर्णय लिया। सबसे पहले भोपाल में बने पूरे बीआरटीएस कॉरिडोर को हटा दिया। इसके कुछ महीने बाद इंदौर से भी बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की मांग चल रही थी। नवंबर में सीएम ने इंदौर दौरे के दौरान इसकी घोषणा कर दी। हालांकि, इंदौर का मामला कोर्ट में भी चल रहा है, लेकिन सीएम ने कहा कि हम कोर्ट में जवाब देंगे।
चौथा- राज्य परिवहन निगम फिर से होगा शुरू
शिवराज सिंह चौहान के समय ही राज्य परिवहन निगम को भी बंद कर दिया गया था। इसकी वजह से प्रदेश का पूरा शहरी और ग्रामीण परिवहन निजी हाथों में चला गया और सरकारी बसें बंद हो गईं।
हालांकि, यह निर्णय पहले ही हो गया था, लेकिन परिवहन निगम शिवराज के कार्यकाल में ही बंद हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ग्रामीण इलाकों में परिवहन की दिक्कतों को देखते हुए परिवहन निगम को फिर से चलाने का फैसला लिया है।
डॉ. मोहन यादव के प्रयोग ठीक
वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने कहा कि सरकार भले ही किसी पार्टी की हो, लेकिन मुख्यमंत्री अपने तरीके और सोच से प्रदेश को आगे ले जाने काम करता है।
शिवराज सिंह चौहान करीब 20 साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन जरूरी नहीं है कि उनके हर फैसले सही हों। डॉ. मोहन यादव के राज्य परिवहन निगम को दोबारा शुरू करने से रोजगार के साथ ही जनता को सुविधा मिलेगी। बादल ने कहा कि उनको डॉ. मोहन यादव के प्रयोग ठीक लग रहे हैं।