Rashtriya Ekta News : मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जहां एक बार फिर भाजपामय हो गया, वहीं कमलनाथ का बचाखुचा रसूख भी समाप्त होता दिखाई दे रहा है। लोकसभा चुनाव में अपने सांसद बेटे नकुलनाथ की हार के बाद कमलनाथ निष्क्रिय से हो गए थे। लेकिन कुछ दिनों से वे एक्टिव मोड में दिख रहे थे। कमलनाथ ने राजधानी भोपाल के साथ ही छिंदवाड़ा के भी लगातार दौरे किए।
इस दौरान उन्होंने छिंदवाड़ा के साथ ही पांढुर्णा जिले के कांग्रेसियों से भी मुलाकात की। कांग्रेस प्रत्याशी को कमलनाथ की सक्रियता का लाभ मिलने की बात कही जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। न केवल कांग्रेसी बीजेपी में चले गए, अपितु नगरीय निकाय और पंचायत के उपचुनावों में भी नाथ समर्थकों को शिकस्त मिली है।
प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बुरी हार के बाद पस्त पड़ी कांग्रेस को फिर उबारने की कोशिश को उस समय तगड़ा झटका लगा, जब नगरीय निकाय के उपचुनावों में भी पार्टी नहीं जीत सकी। प्रदेश भर के नगरीय निकायों में कुल 19 में से बीजेपी के 14 प्रत्याशी जीतकर पार्षद बन गए।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी अपने घर इंदौर का वार्ड भी गंवा बैठे। नगरीय निकाय ही नहीं, जनपद पंचायत में भी कांग्रेस कुछ कमाल नहीं दिखा पाई है। जीतू पटवारी जैसा ही हाल कांग्रेस में उनके नेतृत्व को चुनौती दे रहे कमलनाथ का भी हुआ। वे भी अपने घर छिंदवाड़ा में पार्टी के जनपद सदस्य को नहीं जिता सके।
छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा में जनपद अध्यक्ष नीलेश कंगाली के निधन के बाद जनपद पंचायत क्रमांक 16 का सदस्य पद खाली हो गया था। इस पर उपचुनाव कराया गया, जिसमें बीजेपी प्रत्याशी गणेश कंगाली विजयी रहे। कंगाली ने कांग्रेस प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया। यहां गोंडवाना पार्टी समर्थित प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहा।