देवास: कलवार में अन्नदाताओं की भूख हड़ताल जारी, पांच दिनों से अनशन पर बैठे है किसान, अपनी ही जमीन बचाने के लिए कर रहे संघर्ष, कब निकलेगा हल?

By Ashish Meena
September 23, 2025

कलवारा। एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती हैं, वहीं दूसरी तरफ देवास जिले के किसान अपनी उपजाऊ जमीन बचाने के लिए भूख हड़ताल पर बैठे हैं। यह मामला इंदौर-बुधनी नई बीजी रेल लाइन परियोजना से जुड़ा है, जिसके लिए हो रहे भूमि अधिग्रहण के विरोध में देवास के कन्नौद तहसील के कलवार गांव के किसान पिछले पांच दिनों से अनशन कर रहे हैं।

क्यों हो रहा है यह आंदोलन?
उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण- किसानों का कहना है कि यह परियोजना उनकी उपजाऊ कृषि भूमि को सीधे तौर पर प्रभावित कर रही है, जो उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है।

सरकारी आश्वासन और अनदेखी
पिछले दो वर्षों से किसान लगातार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी ज्ञापन सौंपा था, जिसके बाद उन्हें नए सर्वे और कैबिनेट में चर्चा का आश्वासन मिला था। लेकिन किसानों का आरोप है कि ये सभी वादे खोखले साबित हुए।

आंदोलन पर बैठे एक किसान ने राष्ट्रीय एकता न्यूज़ से बात करते हुए बताया कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा।

प्रशासन का दबाव
किसानों का आरोप है कि केंद्रीय रेल मंत्रालय की रोक के बावजूद, स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी उन पर जमीन खाली करने का लगातार दबाव बना रहे हैं।

अन्नदाता का दर्द- ‘हमें न्याय चाहिए, इलाज नहीं!’
अनशन स्थल पर मौजूद किसान रवि मीणा, मुंशी पठान, रामहेत सीरा, और भूरू पठान ने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपनी जमीन नहीं देंगे। आंदोलन के दौरान, स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन किसानों ने इलाज लेने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था, “हमें इंसाफ चाहिए, इलाज नहीं। हमारी मांगें पूरी करो या हमें भूख से मरने दो।” यह बयान किसानों की हताशा और सरकार के प्रति उनकी निराशा को दर्शाता है।

बारिश और टूटे टेंट के बावजूद जोश बरकरार
अनशन स्थल पर बारिश और टूटे हुए टेंट के बावजूद किसानों का मनोबल ऊंचा है। वे लगातार नारेबाजी कर सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जता रहे हैं। कलवार ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों के सैकड़ों किसान भी इस आंदोलन में शामिल हो गए हैं और अपना समर्थन दे रहे हैं।

पीड़ित किसान सुनील जाट ने आरोप लगाया कि जिन अधिकारियों ने भूमि अधिग्रहण के अवार्ड पारित किए हैं, उन्होंने नियमों का पालन नहीं किया और केवल रेलवे के निर्देशों पर हस्ताक्षर किए हैं। इस आंदोलन में महिलाएं, पुरुष और बच्चे भी बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं।

देवास के किसानों का यह आंदोलन न सिर्फ अपनी जमीन बचाने की लड़ाई है, बल्कि यह सरकार की नीतियों और प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ एक मजबूत आवाज भी है। सवाल यह है कि क्या सरकार देश का पेट भरने वाले अन्नदाताओं की मांगों पर ध्यान देगी या उन्हें इसी तरह भूखा रहने दिया जाएगा।

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