Donald Trump : अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गिनती तेज़ी से चल रही है। दुनियाभर की नज़रें अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर हैं। चुनावी जंग में रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और वर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (Kamala Harris) आमने सामने हैं और दोनों में कांटे की टक्कर भी चली, लेकिन अब ट्रंप को बहुमत मिल गया है। ट्रंप को 277 इलेक्टोरल वोट मिल गए हैं, जबकि बहुमत के लिए 270 का आंकड़ा छूना ज़रूरी है।
फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बनना हुआ तय
277 इलेक्टोरल वोट मिलते ही ट्रंप का फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बनना तय हो गया है। 2016-20 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे ट्रंप की एक बार फिर से व्हाइट हाउस में वापसी होने वाली है। ट्रंप के समर्थकों में ख़ुशी का माहौल है। ट्रंप को इस जीत के लिए बधाइयाँ मिलनी भी शुरू हो गई हैं। ट्रंप इस जीत के साथ अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप जीत पक्की करने के बाद पत्नी मेलानिया ट्रंप के साथ समर्थकों के बीच पहुंच गए हैं. यहां ट्रंप भाषण दे रहे हैं. उन्होंने इस दौरान अपने सभी वोटर्स को धन्यवाद भी कहा है. ट्रंप ने कहा कि यह इतिहास का सबसे महान राजनीतिक क्षण है. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने वोटर्स को संबोधित करते हुए कहा,’हम मतदाताओं के लिए सब कुछ ठीक करने जा रहे हैं. यह एक ऐसी राजनीतिक जीत है, जो हमारे देश ने पहले कभी नहीं देखी. 47वें राष्ट्रपति के रूप में मैं हर दिन आपके लिए लड़ूंगा. यह अमेरिका के लिए एक शानदार जीत है, जो अमेरिका को फिर से महान बनाएगी.’
डोनाल्ड ट्रंप के बाद अमेरिका के उप राष्ट्रपति उम्मीदवार जेडी वेंस ने भी रिपब्लिकन पार्टी के वोटर्स को संबोधित किया. जेडी वेंस ने कहा,’मैं बधाई देना चाहता हूं. अमेरिका के इतिहास में महान राजनीतिक वापसी हुई है. अमेरिकी इतिहास में यह सबसे बड़ी आर्थिक वापसी हुई है.’ बता दें कि जेडी वेंस ने भी अपने क्षेत्र से जीत हासिल की है.
सभी स्विंग स्टेट में पिछड़ी कमला
कमला अगर हारती हैं तो इसकी एकमात्र वजह स्विंग स्टेट होंगे। इनमें से किसी में कमला को बढ़त नहीं मिली है। 7 स्विंग स्टेट में ट्रम्प 2 जीत चुके हैं और 5 में आगे चल रहे हैं। पिछले चुनाव में ट्रम्प को सिर्फ एक स्विंग स्टेट नॉर्थ कैरोलिना में जीत मिली थी। स्विंग स्टेट वे राज्य हैं जहां दोनों पार्टियों के बीच वोट का मार्जिन काफी कम रहता हैं। ये किसी भी तरफ जा सकते हैं। इन राज्यों में 93 सीटें हैं।
अमेरिकी संसद पर भी ट्रम्प का कब्जा
राष्ट्रपति चुनाव के साथ ही अमेरिकी संसद के दोनों सदनों सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के भी चुनाव हुए हैं। इनमें सीनेट यानी ऊपरी सदन में ट्रम्प की पार्टी रिपब्लिकन ने जीत हासिल कर ली है। उन्हें 93 सीटों में से 51 सीटें मिली। बहुमत के लिए 50 सीटों की जरूरत थी। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में भी रिपब्लिकन लीड कर रही है।
कांग्रेस के निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रजेंटिव में डेमोक्रेट्स को 133 वहीं, रिपब्लिकन को 174 सीटें मिली हैं। इसमें 435 सदस्य होते हैं, इनका कार्यकाल दो साल के लिए होता है। इस चुनाव में अगर ट्रम्प जीतते हैं तो 4 साल बाद व्हाइट हाउस में वापसी करेंगे। ट्रम्प 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं। वहीं, अगर कमला हैरिस जीततीं हैं तो वे पहली महिला राष्ट्रपति बन इतिहास रच देंगी। वे फिलहाल अमेरिका की उपराष्ट्रपति हैं।
अगर ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति बनते हैं तो इसका भारत पर भी असर पड़ना तय है. डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और US के संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई है. दिवाली के खास मौके पर ट्रंप ने सोशल मीडिया साइट X पर पोस्ट करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया था. साथ ही अपनी सरकार आने पर दोनों देशों के बीच की साझेदारी को और आगे बढ़ाने का वादा किया है.
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान हिंदुओं ओर अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा की भी कड़ी निंदा की है. अब तक कई सारी ऐसी रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं, जो इस बात की तस्दीक करती हैं कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद सैकड़ों हिंदुओं को जानलेवा हमलों का सामना करना पड़ा था.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की केमेस्ट्री भी खूब चर्चा में रही है. दोनों नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध की बानगी कई हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों में दिख चुकी है. 2019 में टेक्सास में “हाउडी, मोदी!” रैली में यह नजर आया था, जहां ट्रंप ने लगभग 50,000 लोगों के सामने प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की मेजबानी की थी. यह किसी विदेशी नेता के लिए अमेरिका में अब तक की सबसे बड़ी सभाओं में से एक थी.
वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के भारत आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी मेहमाननवाजी दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में की थी. इस दौरान 1 लाख 20 हजार से भी ज्यादा लोग अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वागत के लिए मौजूद थे. दोनों नेताओं के बीच ये तालमेल सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है. दोनों के राष्ट्रवादी विचार भी तकरीबन एक जैसे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘इंडिया फ़र्स्ट’ विजन और डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति काफी मिलते-जुलते हैं, जिसमें दोनों नेता घरेलू विकास, आर्थिक राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा पर जोर देते हैं.
इकोनॉमिक और ट्रेड पॉलिसीज
डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाला प्रशासन साफतौर पर अमेरिका केंद्रित ट्रेड पॉलिसीज पर ही जोर देगा. साथ ही भारत पर व्यापार बाधाओं को कम करने और टैरिफ का सामना करने का दबाव डालेगा. ऐसे में भारत का आईटी, फ़ार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल क्षेत्र का निर्यात बड़े स्तर पर प्रभावित हो सकता है.
इसी साल सितंबर में ट्रंप ने आयात शुल्क के मामले में भारत को एब्यूजर यानी दोहन करने वाले की संज्ञा दी थी. इसके बावजूद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें शानदार व्यक्ति बताया था. मिशिगन के फ्लिंट में एक टाउन हॉल के दौरान, व्यापार और शुल्कों पर चर्चा करते हुए ट्रंंप ने कहा था कि इस मामले में भारत एक बहुत बड़ा एब्यूजर है. ये लोग सबसे चतुर लोग हैं. वे पिछड़े नहीं हैं. भारत आयात के मामले पर शीर्ष पर है, जिसका इस्तेमाल वह हमारे खिलाफ करता है.
बता दें कि भारतीय प्रोडक्ट्स के लिए अमेरिका एक बहुत बड़ा बाजार है. आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो 2023-24 में भारत ने अमेरिका से 42.2 बिलियन डॉलर की वस्तुओं का आयात किया था. वहीं, भारत ने अमेरिका में तकरीबन 77.52 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था. इसको लेकर ट्रंप ने कहा था कि अगर उनकी सरकार आती है तो इस स्थिति को बदलेंगे और भारत पर टैरिफ शुल्क कम करने को लेकर भी दबाव बनाएंगे. अगर फिर भी बात नहीं बनी तो उन्होंने भारत से निर्यात होने वाले प्रोडक्ट्स पर टैक्स बढ़ाने की चेतावनी दी है.
इसके अलावा ट्रंप ने ये भी कहा था कि आयात शुल्क के मामले में भारत बहुत सख्त है, ब्राजील बहुत सख्त है. चीन सबसे ज्यादा सख्त है, लेकिन हम शुल्कों के साथ चीन का ख्याल रख रहे थे. ऐसे में अगर ट्रंप प्रशासन अमेरिकी कंपनियों को अपनी सप्लाई चेन कहीं और ले जाने और चीन पर निर्भरता कम करने को प्रोत्साहित करता है तो यह भारत के पक्ष में काम कर सकता है. ऐसे में भारत अनुकूल नीतियों के साथ अधिक अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित कर सकता है, जिससे आर्थिक संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा. हालांकि, ट्रंप प्रशासन भारत पर टैरिफ शुल्क कम करने को लेकर भी दबाव बना सकता है.
रक्षा-सुरक्षा
चीन को लेकर भारत की जो भी चिंताएं हैं, वह डोनाल्ड ट्रंप के रुख से मेल खाता है. ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग और बेहतर और मजबूत होने की संभावनाएं हैं. पिछली बार ट्रंप के ही कार्यकाल में ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सुरक्षा साझेदारी क्वाड को मजबूत किया गया था. चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ तनाव के बीच अतिरिक्त संयुक्त सैन्य अभ्यास, हथियारों की बिक्री और टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर सकते हैं.
इमिग्रेशन और H-1B वीजा पॉलिसीज
इमिग्रेशन पर डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिबंधात्मक नीतियों, विशेष रूप से H-1B वीजा प्रोगाम ने अमेरिका में भारतीय प्रोफेशनल्स पर काफी ज्यादा प्रभाव डाला है. ऐसी नीतियों की वापसी से भारतीयों के लिए अमेरिका जॉब मार्केट में नौकरी हासिल करना थोड़ा कठिन हो जाएगा. साथ ही जो भी क्षेत्र भारतीय श्रमिकों पर अधिक निर्भर है, उन पर प्रभाव पड़ सकता है. इसके अलावा सख्त इमिग्रेशन कानून भारतीय तकनीकी फर्मों को अन्य बाजारों की खोज करने या फिर डोमेस्टिक मार्केट में अधिक अवसर बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है.
जियो पॉलीटिकल प्रभाव
साउथ एशिया में डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां भारत के क्षेत्रीय हितों को भी प्रभावित कर सकती हैं. दरअसल, हाल ही में ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ काम करने की इच्छा तो जताई थी, लेकिन संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए उन्होंने आतंकवाद विरोधी प्रयासों में जवाबदेही पर जोर दिया है. हालांकि, ट्रंप के ‘ताकत के जरिए शांति’ मंत्र के कारण अमेरिका आतंकवाद और उग्रवाद पर कड़ा रुख अपना सकता है, जो भारत के पक्ष में काम कर सकता है. ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में भी पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता में कटौती कर दी थी.
काउंटिंग में कमला हैरिस से आगे निकले ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप जीत चुके हैं. ट्रंप की जीत की सबसे बड़ी वजह रही है अमेरिका के सातों स्विंग स्टेट में उनकी बढ़त. सभी स्विंग स्टेट में ट्रंप को पहली पसंद के रूप में चुना गया है, जिसके चलते उन्होंने डेमोक्रैटिक पद की उम्मीदवार कमला हैरिस को काफी पीछे छोड़ दिया.