Rashtriya Ekta News : भारत सरकार के एक निर्णय से मध्य प्रदेश के किसान और निर्यातकों के आय में वृद्धि होगी। गैर बासमती चावल के निर्यात से सरकार ने प्रतिबंध हटा दिया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस निर्णय को कृषि निर्यात में सुदृढ़ीकरण की दिशा में बड़ा कदम बताया है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से देश और मध्य प्रदेश के चावल उत्पादकों को भरपूर राहत मिलेगी।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य निर्धारित किया है। इसके अतिरिक्त, पारबाइल्ड और ब्राउन चावल पर निर्यात शुल्क को 20 से घटाकर 10 प्रतिशत किया है। गैर बासमती चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटने से मध्य प्रदेश से इस श्रेणी का चावल विदेश जाने का असर यहां के किसानों की आय को बढ़ाएगा। प्रदेश से निर्यात भी बढ़ेगा। बता दें कि पिछले 10 वर्ष में प्रदेश से 12,706 करोड़ रुपये के चावल का निर्यात हुआ। वर्ष 2024 में 3,634 करोड़ रुपये के चावल का निर्यात किया गया है, जो सर्वाधिक रहा है।
मध्य प्रदेश में धान का क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। धान उत्पादन क्षेत्रों में जबलपुर, मंडला, बालाघाट और सिवनी शामिल हैं। मंडला और डिंडौरी के जनजातीय क्षेत्रों का सुगंधित चावल और बालाघाट के चिन्नौर चावल को जीआई टैग प्राप्त है, जिससे यहां के चावल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में लोकप्रियता मिली है। प्रदेश से चीन, अमेरिका, यूएई और यूरोप के बाजारों में चावल निर्यात किया जाता है। धान का क्षेत्र बढ़ने के साथ ही चावल उद्योग भी तेजी से बढ़ा है। पिछले वर्षों में 200 से अधिक नई चावल मिलों की स्थापना हुई है।