नेपाल में बेकाबू हुए हालात, प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफा, वित्त मंत्री और पूर्व पीएम को प्रदर्शनकारियों ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, राष्ट्रपति-गृहमंत्री के घर जलाए, संसद भवन में भी लगा दी आग

By Ashish Meena
September 9, 2025

Nepal : नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में आग लगा दी। इसके अलावा, पीएम ओली, राष्ट्रपति, गृहमंत्री के निजी आवास पर तोड़फोड़ के बाद आगजनी की।

प्रदर्शनकारियों ने पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा को घर में घुसकर पीटा। वहीं, वित्त मंत्री विष्णु पोडौल को काठमांडू में उनके घर के नजदीक दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इसका वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें एक प्रदर्शनकारी उनके सीने पर लात मारता दिख रहा है।

इन हिंसक घटनाओं के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है। उन्हें सेना हेलिकॉप्टर से अ‍ज्ञात स्थान पर ले गई है। इस हिंसा में अब तक 22 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल हैं।

प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, शेर बहादुर देउबा और संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के निजी आवासों को भी आग के हवाले कर दिया।

युवाओं के आंदोलन की 7 प्रमुख वजहें
1. नेपोटिज्म: जेन-जी को भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी ने निराश किया। भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) और चहेतों को कुर्सी पर बैठाने से नेताओं के बच्चों की विदेशी यात्राएं, ब्रांडेड सामान, शानो शौकत की पार्टियां सोशल मीडिया पर चर्चित होने लगीं।

2. सोशल मीडिया बैन: लोगों को लगा कि उनकी आवाज दबा दी गई है। कई युवा इसके जरिए कमाई भी कर रहे थे। इससे गुस्सा भड़का।

3. तीन बड़े घोटाले: 4 साल में 3 बड़े घोटाले सामने आए। 2021 में 54,600 करोड़ रुपए का गिरी बंधु भूमि स्वैप घोटाला, 2023 में 13,600 करोड़ रुपए का ओरिएंटल कोऑपरेटिव घोटाला और 2024 में 69,600 करोड़ रुपए का कोऑपरेटिव घोटाला। इससे युवाओं में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा था।

4. सियासी अस्थिरता: 5 साल में 3 सरकारें आईं। जुलाई 2021 में शेर बहादुर देउबा पीएम। दिसंबर 2022 में प्रचंड पीएम बने। जुलाई 2024 से ओली आए।

5. बेरोजगारी-आर्थिक असमानता: बेरोजगारी दर 2019 में 10.39% थी, अभी 10.71% है। महंगाई दर 2019 में 4.6% थी। अब 5.2% है। आर्थिक असमानता हावी। 20% लोगों के पास 56% संपत्ति।

6. विदेशी दबाव: ओली सत्ता में आए तो चीन की ओर झुकाव बढ़ा। पहले सरकारों ने कई फैसले अमेरिकी प्रभाव में लिए। सोशल मीडिया बैन के बीच सिर्फ चीनी ऐप टिक-टॉक चलता रहा। युवाओं को लगता है कि बड़े देशों के दबाव में नेपाल मोहरे जैसा इस्तेमाल हो रहा है।

7. भारत से बढ़ती दूरी: ओली पीएम बने तो लिपुलेख दर्रे को नेपाल के नक्शे में दिखाया। चीन से नजदीकी बढ़ाई। दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हुए तो नेपाल पर आर्थिक दबाव पड़ा। इससे भी युवाओं में बेचैनी।

काठमांडू एयरपोर्ट की सारी उड़ानें रद्द
नेपाल की राजधानी काठमांडू में त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट (TIA) पर आज सारी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। यह फैसला गंभीर हालात और सुरक्षा चिंताओं के कारण लिया गया। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने यात्रियों को हुई परेशानी के लिए माफी मांगी है।

TIA की जनरल मैनेजर हंसा राज पांडे ने कहा कि कोटेश्वर के पास धुआं उठने से दोपहर 12:45 बजे से इंटरनेशनल फ्लाइट्स रोक दी गईं।

उन्होंने जोर देकर कहा- एयरपोर्ट बंद नहीं है। हम इसे बंद भी नहीं करेंगे। क्रू मेंबर्स को आने-जाने में दिक्कत हो रही है, जिससे फ्लाइट्स उड़ नहीं पा रही हैं। घरेलू एयरलाइंस बुद्धा एयर ने भी सुरक्षा कारणों से सारी उड़ानें सस्पेंड कर दी हैं।

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Ashish Meena

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