किसानों के विरोध के आगे झुकी मध्यप्रदेश सरकार, किसान संगठनों की मुलाकात के 29 दिन बाद लिया बड़ा फैसला, जारी की नई अधिसूचना

By Ashish Meena
दिसम्बर 17, 2025

Ujjain News : उज्जैन के सिंहस्थ क्षेत्र में जमीनों के स्थायी अधिग्रहण को लेकर लाया गया लैंड पूलिंग एक्ट आखिरकार सरकार ने वापस ले लिया है। विधायकों और भारतीय किसान संघ के लगातार विरोध के बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। दरअसल, 17 नवंबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में सीएम हाउस में भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। बैठक में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल भी मौजूद थे।

बैठक के बाद किसान संघ के पदाधिकारियों ने दावा किया था कि लैंड पूलिंग एक्ट वापस लिया जाएगा। हालांकि उस समय मुख्यमंत्री की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था।

बैठक के 2 दिन बाद संशोधन आदेश जारी किया था
दो दिन बाद 19 नवंबर को सरकार ने एक संशोधन आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि अब स्थायी अधिग्रहण बिल्डिंग निर्माण के लिए नहीं होगा, बल्कि केवल सड़क, नाली जैसे बुनियादी विकास कार्यों के लिए ही जमीन ली जाएगी, लेकिन इस संशोधन पर भी भारतीय किसान संघ और कांग्रेस ने आपत्ति जताई और पूरे एक्ट को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे।

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भाजपा विधायक ने पत्र लिखा, एक्ट वापसी की मांग की
मामला तब और गंभीर हो गया, जब 15 दिसंबर को उज्जैन उत्तर से बीजेपी विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर लैंड पूलिंग एक्ट को पूरी तरह वापस लेने की मांग की। विधायक ने चेतावनी दी थी कि अगर एक्ट वापस नहीं लिया गया तो वे किसानों के आंदोलन में शामिल होंगे।

विधायक के पत्र के अगले ही दिन यानी 16 दिसंबर को सरकार ने लैंड पूलिंग एक्ट को पूरी तरह वापस लेने का आदेश जारी कर दिया। इस तरह सीएम से किसान संगठनों की मुलाकात के 29 दिन बाद सरकार ने यह फैसला लेते हुए सिंहस्थ क्षेत्र में लैंड पूलिंग एक्ट को खत्म कर दिया।

जानिए क्या है लैंड पूलिंग एक्ट और विवाद की जड़
लैंड पूलिंग एक्ट के तहत सरकार विकास परियोजनाओं के लिए किसानों से जमीन लेती है, फिर उसी क्षेत्र को विकसित कर उसका एक हिस्सा वापस मालिकों को प्लॉट या विकसित भूमि के रूप में देती है। सरकार का दावा है कि इससे किसानों को जमीन का बेहतर मूल्य और शहर को सुनियोजित विकास मिलता है।

लेकिन उज्जैन में इस एक्ट को लेकर किसानों की आपत्ति यह रही कि जमीन देने की प्रक्रिया स्वैच्छिक नहीं लग रही, विकसित जमीन कब और कितनी मिलेगी, इस पर स्पष्टता नहीं है।

सिंहस्थ और महाकाल लोक से जुड़े क्षेत्रों में जमीनों की कीमत बहुत अधिक है, ऐसे में किसान नुकसान की आशंका जता रहे हैं। कुछ गांवों में बिना पर्याप्त सहमति के सर्वे और नोटिस की बात सामने आई। इन्हीं कारणों से उज्जैन में लैंड पूलिंग एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन, ज्ञापन और जनप्रतिनिधियों पर दबाव बढ़ा।

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आशीष मीणा पत्रकारिता में पाँच वर्षों का अनुभव रखते हैं। DAVV इंदौर से पत्रकारिता की पढ़ाई के बाद उन्होंने अग्निबाण सहित कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य किया। उन्होंने जमीनी मुद्दों से लेकर बड़े घटनाक्रमों तक कई महत्वपूर्ण खबरें कवर की हैं।