इन दिनों हर घर में लोग बीमार हैं। बीमार भी ऐसे हैं कि अपने बिस्तर से उठ नहीं पा रहे। डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया तो आंशिक रूप से डरावना बन रहा है, लेकिन कहीं अधिक खतरनाक वायरल बीमारी का प्रकोप है। इस बार का वायरस म्युटेशन लेकर अपना आक्रामक रूप दिखा रहा है।
इंफ्लूएंजा वायरस के बारे में यह तथ्य साबित है कि वह हर दो-तीन साल में अपनी चाल बदल लेता है। इस बार भी यही हुआ है। एमडीएम अस्पताल के साथ ही अन्य अस्पतालों के आउटडोर में पहुंचने वाले मरीजों में से हर तीसरा मरीज पॉलीआर्थराइटिस के लक्षण वाला है। यानि उसमें डेंगू-चिकनगुनिया की पुष्टि तो नहीं है, लेकिन वारयल व जोड़ों का दर्द है। यह दर्द भी इतना तेज होता है कि असहनीय हो जाता है।
खास बात यह है कि कई मरीज इंफ्लूएंजा की वैक्सीन लिए हुए हैं, लेकिन फिर भी वे चपेट में आ रहे हैं। इसका कारण है कि इस वायरस के म्युटेशन करने के बाद इस पर वैक्सीन का असर नहीं रहता। ऐसे में वैक्सीन भी नए सिरे से लगवानी पड़ती है। कोरोना वायरस का म्युटेशन हमने देखा है। कैसे बहुत तेजी से उसने अपना रूप बदला और कई मौतों का कारण बना। इंफ्लूएंजा वायरस भी कोरोना के पहले और उसके बाद अपनी चाल बदल चुका है। पिछले चार साल में इसने दो बार अपना म्युटेशन बदल है।
इस बार इन्फ्लूएंजा वायरस और डेंगू के फ्यूजन से लोगों का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा है। वायरस म्युटेशन भी कर चुका। पॉलीआर्थराइटिस और बिना डेंगू की पुष्टि हुए प्लेटलेट्स घटने जैसी समस्याएं सामने आ रही है। बुखार लगातार तीन से चार दिन तक रहता है और जोड़ों में दर्द भी। दर्द कम होने के बाद भी पोस्ट वायरल इफेक्ट हो सकता है।
वायरल बीमारी से बचने के लिए ये उपाय जरूरी
मच्छरों से बचने के लिए अपने घर और कार्यस्थल के आसपास साफ-सफाई रखें। साबुन और पानी से नियमित रूप से हाथ धोएं। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनें, हाथ नहीं मिलाएं। वायरल डिजीज के लक्षण वाले लोगों से दूरी बनाए रखें। वायरल डिजीज के लिए उपलब्ध टीके लगवाएं। लक्षण होने पर डॉक्टर को दिखाएं
वायरस लगातार म्युटेशन करता है। दो से तीन साल म्युटेशन पीरियड होता है। इस बार पॉलीआर्थराइटिस के साथ कई वेरिएंट हैं। कई सारे लक्षण साथ आ रहे हैं। मरीज में लक्षण हैं, इसके बावजूद पुष्टि नहीं हो रही। कई टेस्ट करवाने पड़ रहे हैं। पॉलीआर्थराइटिस के बारे में क्लीनिकल डिसीजन ही लेना पड़ रहा है।