India-Pakistan Relation: SCO सम्मेलन में पाकिस्तान को आईना दिखाने के बाद विदेश मंत्री एस.जयशंकर भारत वापस लौट आए हैं। हालांकि इस दौरे के बाद पाकिस्तान के सुर बदले नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। उनका कहना है कि भारत और पाकिस्तान को 70 साल की कड़वाहट भुलाकर अब एक नई शुरुआत करनी चाहिए। वहीं पाकिस्तान की प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी भाई की बात पर प्रतिक्रिया दी है।
क्या बोले नवाज शरीफ?
बता दें कि नवाज शरीफ 3 बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। भारतीय पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि 9 साल बाद भारतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा एक अच्छी शुरुआत है। दोनों देशों के रिश्तों में लंबे समय से ठहराव आ गया है, जिससे मैं खुश नहीं हूं। वास्तविकता यह है कि हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते हैं। न ही पाकिस्तान और न ही भारत, हम हमेशा एक-दूसरे के पड़ोसी रहेंगे। इसलिए हमें अच्छे पड़ोसी की तरह रहना चाहिए।
शहबाज शरीफ ने दी प्रतिक्रिया
नवाज शरीब ने कहा कि मैं दोनों देशों के बीच मध्यस्ता का प्रयास कर रहा हूं। वहीं भाई की बातों पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि चीजें ऐसे ही आगे बढ़नी चाहिए। हम चाहते थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान आएं, लेकिन यह अच्छा हुआ विदेश मंत्री आए। मैं पहले भी कह चुका हूं कि भारत-पाकिस्तान को बैठकर बातचीत करनी चाहिए।
70 साल हो गए- नवाज
नवाज शरीफ का कहना है कि हमने 70 साल लड़ते हुए निकाल दिए हैं और हमें इसे अगले 70 सालों तक नहीं चलने देना चाहिए। हमने दोनों देशों के रिश्ते सुधारने के लिए कड़ी मेहनत की है। दोनों पक्षों को बैठकर इस पर बात करनी चाहिए कि आगे कैसे बढ़ना है?
अतीत को भुलाकर आगे बढ़ें- नवाज
जयशंकर की विदेश यात्रा का जिक्र करते हुए नवाज शरीफ ने कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत है। हमें अतीत की बजाए भविष्य का रुख करना चाहिए। हमारे लिए अच्छा यही होगा कि हम अतीत को दफना कर आगे बढ़ें। इससे दोनों देश तरक्की की तरफ अग्रसर होंगे।
9 साल बाद पाकिस्तान में रखा कदम
बता दें कि 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक पाकिस्तान पहुंच गए थे। वहीं तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी 2015 में पाकिस्तान का दौरा किया था। हालांकि 2016 में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत ने पाकिस्तान से सारे रिश्ते खत्म कर दिए थे। भारत का दो टूक कहना था कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकती। सीमा पार से आतंकवाद का सिलसिला अभी भी जारी है। यही वजह है कि SCO सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे जयशंकर ने पाकिस्तान से कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं की और 24 घंटे के दौरे के बाद भारत वापस लौट आए।