MP BJP : मध्यप्रदेश बीजेपी को दो जुलाई को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। चुनाव के लिए एक जुलाई को नाम निर्देशन पत्र दाखिल होंगे। अगले दिन भाजपा की वृहद कार्यसमिति की बैठक होगी, जिसमें नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान किया जाएगा।
संगठन ने मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की जगह नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए निर्वाचन कार्यक्रम तय कर लिया है। चुनाव की प्रक्रिया चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में होगी। वे एक जुलाई को भोपाल पहुंचेंगे।
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव जुलाई के पहले सप्ताह में कराया जा सकता है। मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव अधिकारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान हैं जो एक या दो जुलाई को भोपाल आने वाले हैं। ऐसे में पूरी संभावना है कि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया जुलाई के पहले सप्ताह में ही पूरी हो जाएगी।
प्रदेश संगठन में फिलहाल सामान्य वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष, ओबीसी से मुख्यमंत्री और अनुसूचित जाति वर्ग से उपमुख्यमंत्री हैं। ऐसे में संगठन संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी आदिवासी या महिला नेता को सौंपे जाने की संभावना है। अंतिम निर्णय पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लेगा।
प्रदेश अध्यक्ष के चयन के लिए भाजपा द्वारा पहले ही जिला अध्यक्षों के साथ प्रदेश परिषद के 345 सदस्य चुन लिए गए हैं। दो विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर एक क्लस्टर बनाया गया है, जिसके तहत परिषद सदस्य चुने गए हैं। आरक्षित वर्गों (एससी-एसटी) के लिए सीटों के अनुरूप संबंधित वर्ग से ही परिषद सदस्य बनाए गए हैं।
महिलाओं और ओबीसी वर्ग को भी समुचित प्रतिनिधित्व दिया गया है। मध्यप्रदेश भाजपा में अधिकांश बार प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से हुआ है। केवल दो बार ही मतदान की स्थिति बनी थी। पहली बार 1990 के दशक में लखीराम अग्रवाल और कैलाश जोशी के बीच, और दूसरी बार वर्ष 2000 में शिवराज सिंह चौहान और विक्रम वर्मा के बीच, जिसमें वर्मा विजयी हुए थे।
मप्र में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के दावेदारों में आदिवासी वर्ग के नेताओं में बैतूल सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री दुर्गादास उईके के नाम पर मंथन तेजी से शुरू हुआ है। वे बैतूल से दूसरी बार के सांसद और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री हैं।
डीडी के नाम पर इसलिए चर्चा
मप्र में 22 फीसदी आदिवासी आबादी है। इनमें से 13 फीसदी आदिवासी गोंड समाज के हैं। दुर्गादास उईके संघ की विचारधारा से जुडे़ रहे हैं। राजनीति में आने से पहले वे सरकारी शिक्षक थे। आदिवासी वर्ग में संघ की विचारधारा के निर्विवाद नेताओं में डीडी उईके का नाम आता है। एमपी में सत्ता और संगठन के साथ ही संघ भी उनके नाम पर सहमति दे सकता है।
मप्र में संगठन मजबूत, इसलिए महिला पर भी विचार
मप्र को बीजेपी के संगठन की प्रयोगशाला माना जाता है। बीजेपी यहां जो भी प्रयोग करती है, उसमें सफलता मिलती है। मप्र में 2028 में विधानसभा के चुनाव होंगे। वो भी नए परिसीमन और महिला आरक्षण के साथ। ऐसे में बीजेपी महिला नेता को भी एमपी में कमान देने पर मंथन कर रही है।
गुजरात में केंद्रीय मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष हैं पाटिल
मप्र के पड़ोसी राज्य गुजरात में सीआर पाटिल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। पाटिल केंद्र सरकार में जल शक्ति मंत्री भी हैं। ऐसे में एमपी में उईके को भी दोहरी जिम्मेदारी दी जा सकती है।