MP Rashtriya Ekta News : बात 6 सितंबर 2024 की है। चार नाबालिग बिना किसी दिक्कत या रोक टोक के एक शराब की दुकान से नशीला पदार्थ खरीदतें हैं। इसके बाद पान की दुकान से सिगरेट लिया। नशा करने के बाद आपसी विवाद में उन्होंने एक युवक का मर्डर कर दिया। घटना भोपाल के बाग सेवनिया थाना क्षेत्र में घटी। नाबालिगों ने भी काउंसलिंग में पुलिस को बताया है कि उनसे यह मर्डर नशे के कारण हो गया।
नाबालिगों ने आगे बताया कि उन्होंने शराब के साथ साथ सिगरेट भी पी थी। इस मामले में एफआईआर शराब ठेकेदार और पान दुकान संचालक पर हुई है। मध्य प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहला मामला है, जबकि इतनी बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। किशोर न्याय (जेजे) बोर्ड के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने यह बड़ी एफआईआर दर्ज की है। जेजे बोर्ड के सदस्य डॉ. कृपाशंकर चौबे के अनुसार बोर्ड की प्रधान न्यायाधीश श्रुति जैन के मार्गदर्शन इस मामले की जांच चल रही है।
धारा 77, 78 और किशोर न्याय यानि बालकों की देखरेख एवं संरक्षण नियम 2016 के नियम 57 में ऐसे लोगों को खिलाफ सजा का प्रावधान किया गया है, जो 18 साल से कम उम्र वालों को शराब या तंबाकू बेचते हैं। व्यापारियों के लिए दुकान पर बोर्ड लगाकर सूचना देने का भी नियम है। बोर्ड में लिखना होाग कि यहां 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शराब या तंबाकू उत्पाद नहीं बेची जाती है।
बिक्री करने पर विक्रेताओं पर आपराधिक केस और दोषी पाए जाने पर 7 साल तक सजा व एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य डॉ. कृपा शंकर चौबे ने बताया कि बच्चे छोटे छोटे कोमल हृदय के होते हैं, इन्हें पता नहीं होता कि वे क्या करने जा रहे हैं। कोई बड़ा व्यक्ति इनकों शराब और अन्य नशे की आदत लगा देता है। नशे की गिरफ्त में आकर वे अपराध के सहभागी बन जाते हैं। बच्चों द्वारा नशा करके अपराध करने की प्रवृत्ति में वृद्धि बढ़ रही है। किसी भी बच्चे को नशा का पदार्थ देना, बिकवाना,या पिलाना अपराध है। जिसके कारण सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। किशोर न्याय बोर्ड के संज्ञान में एक ऐसा ही मामला सामने आया।
इसके बाद हमनें लगातार इस मामले में कार्य किया और आबकारी विभाग और पुलिस के साथ मिलकर समन्वय किया जा रहा है। इसके साथ ही समाज को भी यह बताने का प्रयास किया है कि बच्चों को इस प्रकार की गतिविध से दूर रखें। शराब ठेकेदार के प्रति जो एफआईआर हुई है, यह सराहनीय कदम हैं। एमपी में यह ऐसी पहली कार्रवाई है, जो ऐसे लोगों के प्रति हुई है, जिन्होंने बच्चों को नशा परोसा। हम उम्मीद करते हैं कि उनके प्रति कठोर कार्रवाई होगी। समाज में सकारात्मक संदेश जा सकेगा।
महावीर सिंह मुजाल्दा ने बताया कि हमारे पास कुछ एविडेंस आये थे कि नाबालिगों को शराब बेची गई थी। जेजे एक्ट 77 में प्रावधान है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के शराब, तंबाकू जैसी चीजें नहीं बेची जा सकती। मैंने यह पहला मामला दर्ज कराया है। मैंने जहां-जहां कार्य किया है, वहां भी यदि जेजे एक्ट का वायलेशन हुआ है तो मामला दर्ज कराया है। हमने थाना प्रभारी को डायरेक्शन दिया था कि एफआईआर दर्ज की जाए। शराब विक्रय करने वालों पर कार्रवाई करने का निर्देशित किया था। इसके बाद एफआईआर दर्ज कर ली गई है।