मध्य प्रदेश सोयाबीन उत्पादन में देश में पहले नंबर पर है। महाराष्ट्र और राजस्थान को पीछे छोड़ एमपी सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बना है। प्रदेश के सोयाबीन के रकबे में लगभग दो प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्तमान में प्रदेश में सोयाबीन का रकबा 66 लाख हेक्टेयर से अधिक है।
प्रदेश में सोयाबीन का रकबा और उत्पादन बढ़ रहा है। गत वर्ष की तुलना में प्रदेश के सोयाबीन के रकबे में लगभग 2 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वर्तमान में प्रदेश का सोयाबीन का रकबा 66 लाख हैक्टेयर से अधिक है। प्रदेश में 31 दिसंबर तक लगभग 6.5 से 7 लाख मीट्रिक टन तक सोयाबीन का उपार्जन पूर्ण हो जाने का अनुमान है।
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बता दें कि मध्य प्रदेश ने महाराष्ट्र और राजस्थान को पीछे छोड़कर सोयाबीन के सबसे बड़े उत्पादक राज्य बनने में सफलता प्राप्त की है। मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को सोयाबीन के लिए 4 हजार 892 रुपये की राशि प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में देने की व्यवस्था की है। प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि को देखते हुए उपार्जन की आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं।
किसानों को बिना कठिनाई हो भुगतान : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर किसानों से उपार्जित सोयाबीन के लिए राशि का भुगतान बिना कठिनाई के किया जा रहा है। सोयाबीन के भंडारण और उपार्जित सोयाबीन की सुरक्षा के प्रबंध भी किए गए हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देश हैं कि किसानों को उपार्जन की आधुनिक व्यवस्थाओं का लाभ दिलवाया जाए। प्रदेश में पहली बार सोयाबीन का समर्थन मूल्य पर उपार्जन किया जा रहा है। ई-उपार्जन पोर्टल का उपयोग भी किया जा रहा है। किसानों को ऑन लाइन राशि के भुगतान की व्यवस्था की गई है।
भुगतान के मामले में ये हैं प्रदेश के टॉप 10 जिले
प्रदेश में लगभग दो लाख किसानों को 1957.1 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान उपार्जन के रूप में अब तक किया जा चुका है। प्रदेश में भुगतान का प्रतिशत 70.41 है। राशि के भुगतान में नीमच जिला अग्रणी है, जहां शत-प्रतिशत किसानों को राशि दी जा चुकी है।
नीमच सहित विदिशा, राजगढ़, नर्मदापुरम, आगर मालवा, शहडोल, अनूपपुर, जबलपुर, उमरिया और खरगोन ऐसे 10 शीर्ष जिलों में शामिल हैं, जहां 75 प्रतिशत से अधिक किसानों को राशि का भुगतान किया जा चुका है।
सोयाबीन के परिवहन का कार्य भी प्रदेश में 95 प्रतिशत हो चुका है। प्रदेश में मालवा अंचल में सर्वाधिक सोयाबीन उत्पादन होता है। किसानों के पंजीयन से लेकर, आवश्यक बारदाने की व्यवस्था, परिवहन, भंडारण और राशि के भुगतान के कार्यों की राजधानी से लेकर जिलों तक नियमित समीक्षा भी की जा रही है।