MP Hindi News : खरीफ हो या फिर रबी सीजन, खाद वितरण को लेकर हर वर्ष दुकानों के बाहर भीड़ लगती है। किसान या उसके परिवार के सदस्य लाइन लगाकर खड़े मिलते हैं। खाद की कमी की बात सामने आती है, जबकि सरकार सीजन प्रारंभ होने के पहले अग्रिम भंडारण करती है ताकि बोवनी प्रभावित न हो।
प्रतिवर्ष होने वाले खाद की परेशानी को देखते हुए सरकार अगले वर्ष से व्यवस्था में परिवर्तन करेगी। जिस समिति में खाद प्राप्त करने के लिए किसानों की संख्या पांच सौ अधिक होगी, वहां नया केंद्र बनाया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार से आर्थिक सहयोग भी लिया जाएगा।
पांच सौ विक्रय केंद्र
प्रदेश में साढ़े चार हजार प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति और राज्य सहकारी विपणन संघ के पांच सौ विक्रय केंद्रों से खाद किसानों को उपलब्ध कराई जाती है। निजी विक्रेताओं को मिला लिया जाए तो कुल नौ हजार विक्रय केंद्र होते हैं लेकिन यह संख्या भी कम है।
डिफाल्टर किसानों को खाद नहीं
दरअसल, सहकारी समितियों से केवल उन सदस्यों को खाद उपलब्ध कराई जाती है जो अपना ऋण नियमित चुकाते हैं। डिफाल्टर किसानों को खाद नहीं मिलती है। इन्हें आवश्यकता की खाद मिल जाए, इसके लिए नकद विक्रय केंद्रों से आपूर्ति की जाती है। इन्हें राज्य सहकारी विपणन संघ संचालित करता है। भीड़ भी यहीं लगती है क्योंकि किसान अधिक मात्रा में खाद चाहते हैं।
खाद का संकट
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले सीजन में 34 लाख टन यूरिया बेचा था। अभी तक 25 लाख टन यूरिया खरीफ और रबी सीजन में विक्रय हो चुका है। करीब पांच लाख टन यूरिया उपलब्ध है।
डीएपी और एनपीके अवश्य कम मिला है। पिछले साल अभी तक 20 लाख टन डीएपी और एनपीके किसानों को उपलब्ध कराया गया था। अभी तक 14 लाख टन की आपूर्ति हो चुकी है। डेढ़ लाख टन नवंबर अंत तक डीएपी और एनपीके और आ जाएगा।
अगले वर्ष से नई व्यवस्था
विभाग के सचिव एम सेलवेंद्रन का कहना है कि लगातार आवक हो रही है। अगले वर्ष से नई व्यवस्था बनाएंगे। जहां किसानों की संख्या अधिक होगी, वहां अतिरिक्त केंद्र बनाकर खाद का वितरण सुनिश्चित कराएंगे, इससे अव्यवस्था नहीं होगी। इसमें केंद्र सरकार का भी सहयोग लेंगे।