Rashtriya Ekta News : मध्य प्रदेश में सोयाबीन को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच जमकर राजनीति हो रही है. मोहन सरकार ने सोयाबीन सहित उन तमाम तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है, जिसका उपयोग रोजमर्रा के जीवन में होता है. इसकी सलाह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी दी थी. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सोयाबीन के भाव बढ़ने को लेकर तीन प्रमुख रूप से सुझाव दिए थे. इनमें सबसे महत्वपूर्ण सुझाव सोयाबीन के तेल पर आयात शुल्क बढ़ाने का था.
दिग्विजय सिंह ने कहा था कि “भारत में बाहर से बड़ी मात्रा में सोयाबीन का तेल आयात होता है. यदि सोयाबीन तेल के आयात पर शुल्क बढ़ा दिया जाए तो इससे सोयाबीन के दाम में बढ़ोतरी होगी.” मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि कच्चे पाम, सोया और सूरजमुखी तेलों के आयात पर ड्यूटी को 12.5% से 32.5% बढ़ाने का फैसला हो गया है.
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इससे सरसों, सूरजमुखी, मूंगफली और सोयाबीन की फसल की मांग में बढ़ोतरी होगी, जिससे उत्पादकों को अधिक लाभ मिलेगा. सोयाबीन के दाम को लेकर मध्य प्रदेश में आंदोलन की आशंका बनी हुई है. किसानो के बड़े आंदोलन की आशंका के चलते मध्य प्रदेश सरकार ने ही एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी का ऐलान कर दिया है. सरकार ने 4,892 रुपये प्रति क्विंटल सोयाबीन का एमएसपी रखा है.
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया सह प्रभारी सचिन सक्सेना के मुताबिक मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. पूर्व में ही सरकार ने ऐलान कर दिया था कि किसानों को किसी भी फसल के लिए चिंतित होने की जरूरत नहीं है. सोयाबीन के समर्थन मूल्य को बढ़ाकर सरकार ने साबित कर दिया कि एमपी में किसानों की आवाज प्रदेश के मुखिया तक पहुंचती है. सक्सेना ने कहा है कि कांग्रेस किसानों के साथ धोखा देती है जबकि बीजेपी उनका हक दिलाती है.