MP Big News : मध्यप्रदेश के प्रशासनिक नक्शे में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। सितंबर 2023 में शिवराज सरकार ने प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का गठन किया था। इस आयोग का काम है, राज्य के संभागों, जिलों और तहसीलों की सीमाओं का नए सिरे से निर्धारण करना। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य प्रशासन को और अधिक चुस्त-दुरुस्त और जनता के लिए सुलभ बनाना है। इस कवायद में 3 नए जिले, एक नया संभाग, कुछ नई तहसीलें बनाने और कुछ तहसीलों को दूसरे जिलों में शामिल करने पर विचार चल रहा है।
कलेक्टर्स के साथ हो रहीं मीटिंग्स
इस आयोग के सदस्य रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव और मुकेश कुमार शुक्ला जैसे अधिकारी हैं। यह आयोग अब तक भोपाल, सागर और ग्वालियर संभाग के जिलाधिकारियों से चर्चा कर चुका है। इस महीने बाकी संभागों के साथ भी बैठकें होनी हैं। इसके बाद जिला स्तर पर प्रक्रिया पूरी कर आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।
नर्मदापुरम से अलग होकर बनेगा पिपरिया जिला?
सबसे पहले बात करते हैं नए जिलों की। नर्मदापुरम जिले से अलग होकर पिपरिया को नया जिला बनाने का प्रस्ताव है। पिपरिया के लोग काफी समय से इसकी मांग कर रहे हैं, क्योंकि जिला मुख्यालय से पिपरिया की दूरी करीब 70 किलोमीटर है और पहाड़ी इलाका होने की वजह से आने-जाने में करीब 2 घंटे लगते हैं। पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान तो पिपरिया को जिला बनाने की मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन और हड़ताल भी हुई थी।
विदिशा की सिरोंज तहसील को लेकर भी कवायद
इसी तरह विदिशा जिले की सिरोंज तहसील को भी नया जिला बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। सिरोंज जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर है, जिससे स्थानीय लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए विदिशा आने-जाने में काफी परेशानी होती है। नए जिले को अस्तित्व में लाने के लिए लटेरी तहसील और सबसे बड़ी ग्राम पंचायत आनंदपुर को इसमें शामिल किया जा सकता है। हालांकि, आनंदपुर को गुना जिले में शामिल करने का भी सुझाव दिया जा रहा है क्योंकि गुना की दूरी आनंदपुर से सिरोंज के बराबर है।
विदिशा में शामिल हो सकता है सांची
विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांची को रायसेन से विदिशा जिले में शामिल किया जा सकता है। वर्तमान में सांची रायसेन जिले का हिस्सा है और रायसेन से इसकी दूरी 23 किलोमीटर है, जबकि विदिशा से यह महज 10 किलोमीटर दूर है।
बीना को जिला बनाने को लेकर भी उठ रही मांग
पिछले 40 साल से बीना को जिला बनाने की मांग हो रही है और अब उम्मीद है कि आयोग इस पर अपनी मुहर लगा देगा। दरअसल, बीना की जिला मुख्यालय सागर से दूरी 75 किलोमीटर है। बीना अगर नया जिला बनता है तो खुरई, बीना, मालथौन, बांदरी, कुरवाई, पठारी और प्रस्तावित खिमलासा तहसील को इसमें शामिल किया जा सकता है।
सतना की नौंवी तहसील बनेगा चित्रकूट
अब बात करते हैं तहसीलों की। सतना जिले में चित्रकूट को नई तहसील बनाने का फैसला हो चुका है। राजस्व विभाग ने इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है। 24 नवंबर को चित्रकूट सतना की नौवीं तहसील बन जाएगा। चित्रकूट तहसील को मझगंवा को तोड़कर बनाया गया है। इसमें 111 गांव होंगे।
नर्मदापुरम में शामिल होगी बुधनी तहसील
सीहोर जिले की बुधनी तहसील को नर्मदापुरम में शामिल किए जाने की संभावना है। बुधनी-सीहोर की दूरी 106 किलोमीटर है, जबकि नर्मदापुरम से सिर्फ 8 किलोमीटर। ऐसे में बुधनी के लोगों को जिला मुख्यालय आने-जाने में काफी परेशानी होती है।
पांढ़ुर्णा में शामिल हो सकती है बैतूल की मुलताई तहसील
बैतूल जिले की मुलताई तहसील को पांढुर्णा में शामिल किया जा सकता है। भौगोलिक रूप से मुलताई पांढुर्णा के ज्यादा करीब है। बैतूल से मुलताई की दूरी 59 किलोमीटर है, जबकि पांढुर्णा से सिर्फ 40 किलोमीटर।
धार की कुक्षी तहसील को लेकर भी मांग
धार जिले की कुक्षी तहसील को बड़वानी में शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। धार से कुक्षी की दूरी 102 किलोमीटर है, जबकि बड़वानी से महज 27 किलोमीटर।
संभागीय सीमाएं भी बदली जाएंगी
अब बात करते हैं संभागीय सीमाओं में बदलाव की। नर्मदापुरम संभाग में फिलहाल सिर्फ तीन जिले हैं: नर्मदापुरम, हरदा और बैतूल। यहां नरसिंहपुर जिले को जबलपुर संभाग से हटाकर नर्मदापुरम संभाग में शामिल किया जा सकता है। इसी तरह जबलपुर संभाग के डिंडोरी जिले को शहडोल संभाग में शामिल किया जा सकता है।
निमाड़ को नया संभाग बनाने की मांग
निमाड़ को नया संभाग बनाने की चर्चा भी जोरों पर है। 2012 में पहली बार निमाड़ को संभाग बनाने की मांग उठी थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 1 जनवरी 2024 को इंदौर संभाग के खरगोन में हुई एक बैठक में निमाड़ को अलग संभाग बनाने पर विचार जताया था। योजना के मुताबिक, इंदौर संभाग के चार जिले – खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर और खंडवा – को मिलाकर नया संभाग बनाया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो निमाड़ मध्यप्रदेश का 11वां संभाग होगा।
पीथमपुर इंदौर में होगा शामिल
धार जिले के औद्योगिक कस्बे पीथमपुर को इंदौर में शामिल करने की संभावना है। इंदौर से पीथमपुर की दूरी 26 किलोमीटर है, जबकि जिला मुख्यालय धार से 48 किलोमीटर। इन सभी बदलावों के बीच एक बात तय है कि दिसंबर 2023 के बाद जब तक 2025 की जनगणना का काम पूरा नहीं हो जाता, कोई नया संभाग, जिला या तहसील अस्तित्व में नहीं आएगा। जनगणना महानिदेशालय ने दिसंबर तक प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं को फ्रीज करने के निर्देश दिए हैं।