MP News: एक सड़क दुर्घटना में घायल युवक की एंबुलेंस 108 में कथित तौर पर समय पर ऑक्सीजन न मिलने के कारण मौत हो गई। दरअसल, एंबुलेंस में लगे ऑक्सीजन सिलेंडर में ऑक्सीजन ही नहीं थी और घायल युवक के मुंह पर भी खाली मास्क लगाया गया था।
युवक को खंडवा जिला अस्पताल से इंदौर रेफर किया गया था और डॉक्टर ने एंबुलेंस कर्मचारियों को निर्देश दिया था कि वे घायल को ऑक्सीजन किट लगाकर रखें, लेकिन एंबुलेंस के सिलेंडर को चेक ही नहीं किया गया था।
सिलेंडर की जांच न होने से हुआ हादसा
जब एंबुलेंस अस्पताल से रवाना हुई, तब यह साफ हुआ कि सिलेंडर में ऑक्सीजन ही नहीं थी। इसके बाद, एंबुलेंस कर्मचारी घायल को लेकर इंदौर रोड पर स्थित एक ऑक्सीजन प्लांट पहुंचे, लेकिन वहां ऑक्सीजन लेने में उन्हें दो घंटे का वक्त लग गया।
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इस दौरान घायल युवक के मुंह पर खाली ऑक्सीजन मास्क ही लगा था। जैसे ही सिलेंडर मिला, एंबुलेंस एक किलोमीटर तक ही बढ़ी सकी और युवक की मौत हो गई।
पंधाना में हुआ था हादसा
पंधाना पुलिस के मुताबिक, 28 वर्षीय धर्मेंद्र, एमपीईबी में हेल्पर थे, गुरुवार रात घर लौटते समय एक अज्ञात वाहन से टकरा गए थे। हादसे में उनके सिर में गंभीर चोट आई, जिससे उनकी हालत बहुत नाजुक हो गई थी।
भोपाल के अधिकारियों की लापरवाही
एंबुलेंस के पायलट संदीप चौहान और ईएमटी ने बताया कि वे ऑक्सीजन लेने के लिए प्लांट पहुंचे, लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। इस कारण से उन्हें भोपाल में बैठे एचआर डिपार्टमेंट से आईडी नंबर लेने की जरूरत पड़ी। आईडी लेने के लिए उन्होंने 7 अधिकारियों से फोन किया, लेकिन कोई भी मदद के लिए उपलब्ध नहीं था।
कुछ ने छुट्टी पर होने की बात कही, तो कुछ ने जॉइनिंग छोड़ दी थी। इसके बाद, एचआर से वीडियो कॉल पर इमरजेंसी केस की जानकारी देकर आईडी नंबर लिया गया, तब जाकर उन्हें ऑक्सीजन का सिलेंडर दिया गया।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
जेएईएस के जोनल मैनेजर अविनाश पांडे ने इस मामले पर कहा कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन उपलब्ध था, और युवक की मौत गंभीर चोटों के कारण हुई है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि एंबुलेंस दो घंटे तक क्यों खड़ी रही, इसकी जांच की जाएगी।