देवास के सतवास थाना में एक युवक की पुलिस हिरासत में मौत को राहुल गांधी ने हत्या बताया है। राहुल गांधी ने सोमवार को आरोप लगाया कि बीजेपी की मनुवादी सोच के कारण उनके शासन वाले राज्यों में ऐसी घटनाएं हो रही है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने X अकाउंट पर लिखा- देवास में दलित युवक की पुलिस कस्टडी में हत्या की गई, जो दुखद, शर्मनाक और अत्यंत निंदनीय है। BJP की मनुवादी सोच के कारण उनके शासन वाले राज्यों में एक के बाद एक इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। सरकार की शह के बिना ये संभव नहीं है।
दरअसल, मालागांव के रहने वाले मुकेश (35) पिता गबूलाल लोंगरे के खिलाफ एक महिला ने 26 दिसंबर को मारपीट और गाली-गलौज की शिकायत की थी। इसी मामले में पुलिस ने शनिवार दोपहर में मुकेश को हिरासत में लिया था। शाम को ही उसकी मौत हो गई। परिवार वालों ने पुलिस पर 6 हजार रुपए रिश्वत मांगने और हत्या करने का आरोप लगाया।
मौत पर राजनीति करना कांग्रेसियों का चरित्र: बीजेपी
राहुल गांधी के बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है। प्रदेश बीजेपी के मीडिया विभाग के प्रभारी आशीष अग्रवाल सोशल मीडिया अकाउंट X पर लिखा- ‘मौत पर राजनीति करना कांग्रेसियों का चरित्र है। किसी भी संवेदनशील घटना में जाति और धर्म ढूंढने वाले राहुल गांधी का यह गैर-जिम्मेदाराना बयान कोई नई बात नहीं है। बिना घटना की जानकारी लिए राहुल गांधी, जीतू पटवारी और कांग्रेसी ही इस प्रकार के ट्वीट कर अपनी राजनीति चमकाने का कुत्सित प्रयास कर सकते हैं।
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आषीष अग्रवाल ने कहा है कि सरकार ने ये मामला संज्ञान में आने के बाद त्वरित कार्रवाई की है। रविवार को करीब 12 घंटे तक परिजन थाने के बाहर बैठे रहे। उनके साथ पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी अड़े रहे। मांगों को शासन तक भेजने के आश्वासन के बाद परिजन माने। इससे पहले सतवास थाना प्रभारी आशीष राजपूत को सस्पेंड कर दिया गया था।
आखिर युवक की मौत से पहले क्या हुआ था? किस हालत में पुलिस उसे पकड़कर लाई थी? ऐसा क्या हुआ कि उसकी जान चली गई? जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर ने मृतक मुकेश लोंगरे के भांजे शिवराम और भाई गरीब लोंगरे से बात की।
हम रुपए लेने गए तब मामा ठीक थे: शिवराम
मुकेश के भांजे शिवराम ने बताया, ‘शनिवार शाम को करीब 4 बजे दो पुलिसकर्मी सरदार मोहल्ले से मामा मुकेश को पिटाई करते हुए ले गए। कुछ मिनट बाद दूसरे मामा गरीब लोंगरे के साथ पीछे-पीछे मैं भी थाने पहुंच गया। हमने सोचा कि रविवार को कुछ होगा नहीं। यहां बात की, तो एएसआई सिद्धनाथ सिंह बैस साहब बोले कि धाराएं गंभीर लग रही हैं, तू 6 हजार रुपए लेकर आ, तो धाराएं कम कर देंगे। उस वक्त करीब 6 बजे थे। मामा (मुकेश) थाने में एक कमरे में सही-सलामत बैठे थे।
हम दोनों रुपयों का इंतजाम करने चले गए। करीब 6:45 बजे थाने लौटे। यहां देखा कि पुलिसकर्मी मामा को चुपके से गाड़ी में डाल रहे थे। मैंने पहचान लिया। पूछा, तो कोई जवाब नहीं दिया। वे गाड़ी लेकर चले गए। हम भी पीछे-पीछे चल दिए। वे मामा को सिविल अस्पताल ले गए।
यहां एक कमरे में पटका और ताला लगा दिया। पुलिस ने गेट तक नहीं खोला। 24 घंटे बाद भी देखने तक नहीं दिया। सिर्फ इतना कहा कि मुकेश ने फांसी लगाने की कोशिश की है। अस्पताल में मामा को पटकते हुए देखा, इसके बाद नहीं।’