Rashtriya Ekta News : दुनिया पर तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडराने लगा है। ईरान-इस्राइल के बीच शुरू हुई जंग के बाद मिडिल ईस्ट गंभीर तनाव से गुजर रहा है। इजरायल ने हाल ही में हिज्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को मार गिराया था, जिसके बाद ईरान ने बदला लेने की धमकी दी थी। ईरान ने मंगलवार देर रात इजरायल पर सैकड़ों मिसाइलों से हमला कर दिया और अपनी धमकी सच कर दी। इस हमले ने अस्थिर मिडिल ईस्ट की स्थिति को और ज्यादा जटिल बना दिया है।
ईरान-इस्राइल के बीच शुरू हुआ युद्ध सिर्फ दोनों देशों तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि इसका पूरी दुनिया पर असर पड़ सकता है। कुछ देश ईरान की तरफ हैं, जबकि कुछ देश इस्राइल के साथ खड़े हैं। इस वक्त दुनिया लंबी जंग की आशंकाओं से घिरी हुई है। इन आशंकाओं के बीच अब सवाल है कि क्या बाबा वेंगा की भविष्यवाणी सच हो रही है? दरअसल, बाबा वेंगा ने तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी की है। बाबा वेंगा ने 2025 तक यूरोप में बड़ा युद्ध संघर्ष छिड़ने की भविष्यवाणी की थी।
इजराइल के खिलाफ बढ़ते तनाव के बीच ईरान के राष्ट्रपति एशियाई देशों की मदद चाहते हैं। पेजेश्कियान ने थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा से मुलाकात के दौरान इजराइल के खिलाफ एशियाई देशों के एकजुट होने की अपील की है। दरअसल इजराइल पर ईरान के जवाबी हमले के बाद क्षेत्र में तनाव काफी बढ़ गया है, माना जा रहा है कि ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम इजराइल के निशाने पर है। ऐसे में यह तनाव मिडिल ईस्ट में एक और भीषण संघर्ष को जन्म दे सकता है। इजरायल एक तरफ दक्षिणी लेबनान की सीमा में घुसकर हिज्बुल्लाह के ठिकानों पर हमले कर रहा है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता की, जो पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच हुई। मीटिंग में पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार और आपूर्ति पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा हुई। भारत ने गुरुवार की बैठक के बाद नई दिल्ली से कहा कि संघर्ष को व्यापक रूप नहीं लेना चाहिए और सभी मुद्दों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल करने की अपील की।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सहित प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की समिति ने मध्य पूर्व पर व्यापक चर्चा की। इस दौरान, मिडिल-ईस्ट की मौजूदा शत्रुता और ईरान के इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल हमले के बाद बदलते परिस्थितियों पर चर्चा हुई। टॉप लेवल कमेटी ने पश्चिम एशिया में हाल के घटनाक्रमों को चिंताजनक बताया और समिति ने बढ़ते संकट से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की।
पश्चिम एशिया की स्थिति पर सेना की बारीकी से नजर
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने पश्चिम एशिया की स्थिति को भी देख रखा है, ताकि केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा परिदृश्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया। श्रीनगर स्थित चिनार कोर के जनरल ऑफिसर LT. Gen. राजीव घई ने कहा, ‘पश्चिम एशिया समेत वैश्विक संघर्षों और उनके संभावित प्रभावों के संबंध में कुछ मामूली प्रभाव देखे हैं। कुछ विरोध प्रदर्शन घाटी में भी हुए हैं। फिलहाल हमें ऐसा कोई संकेत नहीं दिखा है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि स्थिति चिंताजनक है। हालांकि, समय के साथ ये संघर्ष और भी तीव्र होते जा रहे हैं।’
ईरान ने इजरायल पर लगभग 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागने के बाद, इजरायल-लेबनान और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है। इजरायली सेना ने कहा कि उसने लेबनान में हिजबुल्लाह में लगभग 200 स्थानों पर हमला किया है, जिसमें हथियार भंडारण स्थानों और निगरानी चौकियां शामिल हैं।
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इजरायल-लेबनान और ईरान के बीच तनाव के कारण हमले हुए, जिसमें हिजबुल्लाह के 15 लड़ाके मारे गए। हिजबुल्लाह ने कहा कि जब इजरायली सेना लेबनान के सीमावर्ती गांव मारून अल-रास में घुसी, तो उसके लड़ाकों ने सड़क किनारे बम विस्फोट किया, जिससे कई सैनिक मारे गए और घायल हो गए। दोनों पक्षों की दोनों पक्षों के दावे सही नहीं हैं। इस बीच, इजरायल की सेना ने 2006 के युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र की ओर से घोषित बफर जोन के उत्तर में स्थित दक्षिणी लेबनान के कस्बों और गांवों से लोगों को स्थानांतरित करने की चेतावनी दी।
तीसरे विश्व युद्ध को लेकर क्या कारण हो सकते हैं:
- वैश्विक तनाव और प्रतिद्वंद्विता
- परमाणु प्रसार
- साइबर युद्ध और तकनीकी प्रगति
- आर्थिक अस्थिरता और संसाधनों के लिए संघर्ष
- जलवायु परिवर्तन
ट्रिगर पॉइंट
- मध्य पूर्व में संघर्ष (जैसे, ईरान-इजराइल)
- उत्तर कोरिया की परमाणु महत्वाकांक्षाएं
- चीन-अमेरिका व्यापार और क्षेत्रीय विवाद
- रूस-यूक्रेन तनाव
- आतंकवादी हमले या साइबर घटनाएं
नतीजे
- बड़े पैमाने पर लोगों हताहत होंगे. लोग अपने घरों को छोड़ कर दूसरी जगह चले जाएंगे.
- इस युद्ध की वजह से कई देशों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा और वैश्विक मंदी आ सकती है.
- पर्यावरण को नुकसान हो सकता है. परमाणु हथियारों भी नष्ट हो सकते हैं.
- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर इसका असर पड़ेगा.
- मानवीय संकट पैदा हो सकता है.
सिद्धांत और भविष्यवाणियां
- कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि WW3 एक क्षेत्रीय संघर्ष के रूप में शुरू हो सकता है, जो एक वैश्विक युद्ध में बदल सकता है.
- दूसरों का अनुमान है कि साइबर युद्ध या आर्थिक दिक्कतों के बीच WW3 शुरू हो सकता है.
- कई विशेषज्ञों का मानना है कि WW3 को मुख्य रूप से छद्म युद्ध या आतंकवाद के माध्यम से लड़ा जाएगा.
कैसे रोक सकते हैं वर्ल्ड वॉर 3 को
- कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से इसे रोका जा सकता है.
- देशों को संघर्ष समाधान पर ध्यान देना होगा.
- बड़े देशों को शस्त्र नियंत्रण एवं निःशस्त्रीकरण पर जोर देना होगा.
- तकनीक का सुरक्षित तरह से इस्तेमाल करना होगा.
- वैश्विक मंच पर एक-दूसरे के सहयोग से.
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मुख्य देश
- यूएसए
- चीन
- रूस
- यूरोपीय संघ
- भारत
- पाकिस्तान
- उत्तर कोरिया
- ईरान
- इजराइल
- नाटो और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन
कब हो सकता है विश्व युद्ध
तीसरे विश्व शुरू के समय की भविष्यवाणी नहीं जा सकती है लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते तनाव के बीच निकट भविष्य में ऐसा हो सकता है.
क्यों होगा ज्यादा नुकसान
एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा समय में दुनिया के पास ज्यादा आधुनिक हथियार हैं और अब अगर युद्ध होता है तो यह जमीन, जल और आकाश तीनों जगहों पर होने के साथ-साथ साइबर तरीके से भी किया जाएगा. इससे ज्यादा जान जानें के अलावा आर्थिक रूप से भी अधिक नुकसान की आशंका है. दूसरे विश्व युद्ध में जहां परमाणु शक्ति सिर्फ अमेरिका के पास थी, आज दुनिया के दर्जनभर देशों के पास परमाणु बम हैं. इतना ही नहीं हाइड्रोजन बम और केमिकल वीपन भी खूब डेवलप कर लिए गए हैं. लिहाजा विश्व युद्ध के हालात में नुकसान का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं.
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किसे होगा ज्यादा नुकसान
अगर दूसरे विश्व युद्ध की बात करें तो यूरोपीय देशों को सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ा था. तीसरा विश्व युद्ध होता है तो इसका सबसे ज्यादा असर जाहिर तौर पर अमेरिका और रूस पर होगा. इसकी वजह ये है कि इन दोनों देशों ने ही एक-दूसरे के खिलाफ अन्य देशों को लामबंद कर रखा है. जाहिर है कि युद्ध की स्थिति में इन दोनों देशों को न सिर्फ आर्थिक रूप से मदद करनी होगी, बल्कि अपने साथियों को हथियार भी मुहैया कराने पड़ेंगे. यूक्रेन-रूस युद्ध में आपने देखा ही होगा कि अमेरिका ने यूक्रेन को न सिर्फ अरबों डॉलर की प्रत्यक्ष तौर से मदद की, बल्कि तमाम हथियार भी भेजे.