Corona Update : एक बार फिर कोरोना ने भारत समेत पूरी दुनिया में दस्तक दे दी है. पिछली बार की तरह इस बार भी लग रहा है कि इसका केंद्र चीन है. लेकिन चीन एक बार फिर इसके आंकड़ों में खेल कर रहा है. जब एक बार फिर कोरोना का डर पूरी दुनिया में बना हुआ है, तो इसके खतरों और आंकड़ों का पता होना भी जरूरी है.
चीन में कोविड-19 संक्रमण चरम पर पहुंच रहा है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अगले महीने इसमें कमी आनी शुरू होगी, लेकिन अधिकारियों ने जनता से सावधानी बरतने का आग्रह किया है. चीन की सरकार की तरफ से अभी तक इस बात को नहीं स्वीकारा गया है कि देश में कोरोना अपने पीक पर पहुंच गया है. अप्रैल के महीने तक देश में 160000 से ज्यादा लोग कोरोना से प्रभावित थे, लेकिन चीन ने इसको दुनिया में फैलने से रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं.
चीन में लगातार बढ़ रहे कोरोना के केस
चीनी सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल (CDC) के डेटा के मुताबिक 31 मार्च से 4 मई के बीच फ्लू के लक्षण वाले रोगियों और गंभीर लक्षण वाले अस्पताल के मरीजों की जांच में पॉजिटिव मामलों की संख्या 7.5 फीसद से बढ़कर 16.2 प्रतिशत हो गई. यानी एक महीने से कम समय में ये आंकड़ा डबल से ज्यादा हो गया है.
CDC के मुताबिक अप्रैल में देश भर में कुल 168,507 मामले सामने आए. इनमें से लगभग 5 फीसद मामलों की जांच से पता चला कि वे सभी ओमिक्रॉन वैरिएंट के थे, जिनमें मुख्य स्ट्रेन XDV सीरीज के थी. अप्रेल के महीने तक देश में 160000 से ज्यादा लोग कोरोना प्रभावित थे.
भारत में तेजी से फैल रहा कोरोना
कोरोना ने भारत में भी दस्तक दे दी है. दिल्ली जैसे बड़े शहरों के साथ-साथ कोरोना पॉजिटिव छोटे देशों में भी मिल रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भारत में अभी एक हजार से ज्यादा एक्टिव केस हैं. सोमवार के आकड़ों में राजधानी दिल्ली में कोरोना के 103 सक्रीय केस हैं.
कोरोना वायरस लगातार अपने वेरिएंट बदल रहा है. कोरोना के JN.1 वैरिएंट के कारण भारत में भी वायरस के मामलों में इजाफा जारी है. इस वैरिएंट के बढ़ते खतरे के बीचएक और नया वैरिएंट NB1.8.1 अमेरिका में सामने आया है. इससे केस बढ़ रहे हैं. इससे पहले कोरोना के JN.1 वैरिएंट हांगकांग, सिंगापुर और चीन में फैले लगातार मामले सामने आ रहे हैं.
NB1.8.1वेरिएंट अभी अमेरिका तक पहुंचा है और भारत में इस नए वेरिएंट का कोई मामला नहीं है. भारत में कोरोना के जेएन-1 वेरिएंट के कई मामले सामने आए हैं. जेएन-1 वेरिएंट ओमीक्रॉन बीए-2.86 का ही एक रूप है. कोरोना के इन नए वेरिएंट का क्या प्रभाव है, इनके संक्रमण के लक्षण क्या हैं और इससे किन लोगों को ज्यादा खतरा है. इस बारे में टीवी 9 डिजिटल ने महामारी एक्सपर्ट से बात की.
एक साथ दो वैरिएंट के आने से खतरा
एक साथ दो वैरिएंट का आना खतरे का संकेत हो सकता है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सभी पिछले वैरिएंट के सब वेरिएंट्स हैं, इससे घबराने की जरूरत नहीं है. सतर्कता और बचाव ही एक मात्र उपाय है. दरअसल, हांगकांग, सिंगापुर और चीन में कोरोना के नए वेरिएंट जेएन-1 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. हजारों लोग संक्रमण से पीड़ित हैं. बहुत से मरीजों की मौत भी हो चुकी है. भारत में भी जेएन-1 के 20 से ज्यादा मामले मिल चुके हैं.
कोरोना के जेएन-1 वेरिएंट तेजी से बदल रहा रूप
अब कोरोना वायरस के जेएन-1 वेरिएंट ने भी रूप बदल लिया है. नया रूप एनबी-1.8.1 चीन से अमेरिका पहुंच चुका है. अमेरिका में यह नया वेरिएंट तेजी से फैल रहा है. दोनों ही वेरिएंट को लेकर वैज्ञानिक यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या ये पहले से ज्यादा संक्रामक और गंभीर हैं और इन पर वैक्सीन का क्या असर रहेगा. महामारी विशेषज्ञ जुगल किशोर के अनुसार, डब्ल्यूएचओ नए वेरिएंट की मॉनिटरिंग कर रहा है. डब्ल्यूएचओ अब तक 6 वेरिएंट की निगरानी कर रहा है. वैज्ञानिक और स्वास्थ्य अधिकारी नए वेरिएंट के प्रभाव और गंभीरता को समझने की कोशिश कर रहे हैं
भारत में कोई प्रभाव नहीं
डॉ जुगल किशोर बताते हैं कि भारत में फिलहाल नए वेरिएंट का कोई खास प्रभाव नहीं है. उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने पहले कहा था कि JN.1 और इसके जैसे वेरिएंट्स में इम्यून सिस्टम से बचने की क्षमता होती है, लेकिन इस बात के अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं.
क्या है इसका प्रभाव
डॉ किशोर बताते हैं कि भारत में कोरोना संक्रमण पूरी तरह से नियंत्रण में है. मरीजों को होम आइसोलेशन में ही इलाज से आराम मिल रहा है. अस्पतालों में मरीजों की संख्या न के बराबर है. इसके लक्षणों में गले में खराश, बुखार, नाक बहना, सूखी खांसी, थकान, सिरदर्द और स्वाद या गंध का न आना शामिल हैं. यही लक्षण कोरोना वायरस के अन्य संक्रमणों में दिखते हैं. लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है. शुरुआती लक्षण दिखने पर उन्हें नजरअंदाज न करकेजांचऔर इलाज जरूर करवाएं.
इन लोगों को है खतरा
डॉ.किशोर ने बताया कि जो लोग पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं उन्हें संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है. उनके आलावा बुजुर्गों और बच्चों को संक्रमण का खतरा है.