अगर लोन लेने वाले की हो जाए मौत, तो कर्ज चुकाना होता है या नहीं? यहां जानें सबकुछ

By Ashish Meena
दिसम्बर 28, 2025

Personal Loan : जिंदगी में इमरजेंसी कभी बताकर नहीं आती. अचानक बीमारी, इलाज या किसी जरूरी खर्च के समय सेविंग्स कम पड़ जाएं, तो पर्सनल लोन एक आसान सहारा बनता है. अच्छी बात यह है कि पर्सनल लोन लेने के लिए किसी गारंटी या संपत्ति को गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती. लेकिन एक अहम सवाल लोगों के मन में अक्सर आता है. अगर पर्सनल लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाए, तो बाकी बचा कर्ज कौन चुकाएगा?

पर्सनल लोन को अनसिक्योर्ड लोन कहा जाता है. यानी इसके बदले बैंक के पास कोई मकान, जमीन या गाड़ी जैसी गिरवी नहीं होती. यही वजह है कि उधारकर्ता की मौत के बाद बैंक सीधे किसी संपत्ति को जब्त नहीं करता, बल्कि तय नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई करता है.

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लोन इंश्योरेंस है तो राहत मिलती है
आजकल कई बैंक और फाइनेंस कंपनियां पर्सनल लोन के साथ लोन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस का विकल्प देती हैं. अगर लोन लेने वाले ने यह इंश्योरेंस लिया हुआ है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो बैंक बीमा कंपनी से क्लेम करता है.

पॉलिसी की शर्तों के अनुसार बीमा कंपनी बकाया लोन की राशि चुका देती है और लोन खाता बंद कर दिया जाता है. ऐसे में परिवार पर किसी तरह का आर्थिक बोझ नहीं पड़ता. हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि यह बीमा अनिवार्य नहीं, बल्कि वैकल्पिक होता है.

इंश्योरेंस न हो तो बैंक क्या करता है
अगर मृतक ने पर्सनल लोन का कोई बीमा नहीं कराया है, तो बैंक उसकी छोड़ी हुई संपत्ति से बकाया रकम वसूल कर सकता है. इसमें सेविंग अकाउंट का बैलेंस, एफडी, शेयर, म्यूचुअल फंड, सोना या जमीन-जायदाद शामिल हो सकती है. यानी बैंक सिर्फ उतनी ही रकम ले सकता है, जितनी संपत्ति मृतक ने छोड़ी हो.

परिवार पर सीधा कर्ज नहीं चढ़ता
यह जानना जरूरी है कि मृतक के परिवार या नॉमिनी को पर्सनल लोन चुकाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जब तक वे सह-उधारकर्ता या गारंटर न हों. अगर संपत्ति से भी पूरी रकम नहीं निकलती और कोई गारंटर नहीं है, तो कई मामलों में बैंक को उस लोन को नुकसान मानकर राइट-ऑफ करना पड़ता है.

परिवार को क्या कदम उठाने चाहिए
लोन लेने वाले की मौत होने पर परिवार को सबसे पहले बैंक को जानकारी देनी चाहिए और डेथ सर्टिफिकेट जमा करना चाहिए. इसके बाद बैंक अपने नियमों के अनुसार बीमा क्लेम या रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करता है. सही समय पर सूचना देने से परिवार को अनावश्यक मानसिक तनाव से बचाया जा सकता है.

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आशीष मीणा हिंदी पत्रकार हैं और राष्ट्रीय तथा सामाजिक मुद्दों पर लिखते हैं। उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई की है और वह तथ्यात्मक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग पर ध्यान केंद्रित करते हैं।