Ujjain Simhastha : प्रयागराज महाकुंभ अब अपने अंतिम दौर में है. प्रयागराज से साधु-संत महंत महामंडलेश्वर अब अपनी अपनी अखाड़ों की तरफ प्रस्तान करने लगे हैं. बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के भी साधु-संत संगम स्नान कर वापस आ गए हैं. उज्जैन आए साधु संत अब 2028 में लगने वाले सिंहस्त कुंभ की तैयारियों में लग गए हैं. उज्जैन में 13 अखाड़ों के साधु-संत उन जगहों का भ्रमण करेंगे जहां पवित्र शिप्रा नदी नालों के कारण दूषित हो रही है.
दरअसल, नालों के कारण शिप्रा नदी प्रदूषित हो रही हैं. जो उज्जैन के संतों के लिए बड़ी चिंता है. बताया जा रहा है कि शुक्रवार को तेरह अखाड़ों के साधु-संत एक साथ उन जगहों भ्रमण करेंगे, जहां जहां शिप्रा नदी नालों के कारण दूषित हो रही है. इस नरीक्षण के दौरान तेरह अखाड़ों के संत-महंतों के साथ महंत भगवान दास, महंत रामेश्वर गिरी, महंत विशाल दास, महंत राघवेंद्र दास, महंत दिग्विजय दास, महंत विद्या भारती सहित महामंडलेश्वर भी उपस्थित रहेंगे.
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साधु-संतों का भ्रमण कवेलू कारखाने इलाके से शुरू होगा. इस दौरान शहर के अन्य स्थानों पर टाटा कंपनी द्वारा किए गए नालों के बंद होने की स्थिति का निरीक्षण किया जाएगा. साथ ही उन जगहों पर भी भ्रमण किया जाएगा, जहां नालों के कारण शिप्रा नदी प्रदूषित हो रही है.
मोहन सरकार ने शुरू की तैयारी
सिंहस्थ कुंभ को दिव्य और भव्य बनाने के लिए एमपी सरकार अभी से तैयारी में लग गई है. 2028 में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ की तैयारियां शुरू हो गई है. 2028 में उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ में करीब 40 हजार पुलिसकर्मी तैनात किए जाने की योजना है. उज्जैन सिंहस्थ में पुलिस कर्मियों के ठहरने के लिए स्थानी निर्माण किए जाएंगे. जो भविष्य में भी काम आ सकेंगे.
अलग-अलग घाट पर हो स्नान
अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने प्रयागराज में मची भगदड़ के बाद सीएम मोहन यादव को पत्र लिखा था. जिसमें सुझाव दिया था कि स्नान के समय अखाड़ों की पेशवाई को बंद किया जाना चाहिए और साधु-संतों को साधारण रूप से, अपने अनुयायियों और यजमानों के बिना, पैदल ही स्नान के लिए जाना चाहिए. साधु संतों ने सीएम मोहन से मांग की है कि जब शिप्रा सभी स्थानों पर पवित्र है, तो तेरह अखाड़ों के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित किए जाने चाहिए.