Madhav National Park: माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाने पर केंद्र भी सहमत हो गया है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण दिल्ली ने सैद्धांतिक सहमति दे दी। अब राज्य सरकार प्रक्रिया करेगी। 6 माह से पहले माधव राष्ट्रीय उद्यान रिजर्व बनने की उम्मीद है। उसके पहले उद्यान में 1 नर व 1 मादा बाघ छोड़े जाएंगे।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने केंद्र का आभार माना है। वहीं, रातापानी वन्यजीव अभयारण्य को रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। प्रदेश में सतपुड़ा, पेंच, बांधवगढ़, कान्हा, संजय डुबरी, पन्ना, रानी दुर्गावती 7 टाइगर रिजर्व हैं। उक्त दोनों के बनते ही 9 रिजर्व होंगे।
रिजर्व का क्षेत्रफल 1751 वर्ग किमी माधव राष्ट्रीय उद्यान के रिजर्व का कोर क्षेत्र 375 व बफर 1276 वर्ग किमी होगा। उद्यान की सीमा से लगे कूनो के पास सुरक्षा नियम कड़े होंगे। चीतों की सुरक्षा बढ़ेगी। बाघों की बढ़ती संया को बड़ी राहत मिलेगी। पर्यटन बढ़ेगा।
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रातापानी है 8वां टाइगर रिजर्व, लेकिन अब तक इंतजार
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक बाघों वाले रातापानी अभ्यारण की राह की सभी बाधाएं दूर हो गई। वन महकमे ने फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर भेज दिया। औबेदुल्लागंज वन विभाग ने बताया की फाइनल ड्राफ्ट के अनुसार रातापानी अभ्यारण का कुल क्षेत्रफल 1244,518 वर्ग किलोमीटर होगा। जिसमें 480,706 वर्ग किलोमीटर बफर तथा 763,812 वर्ग किलोमीटर कोर क्षेत्र रहेगा।
वन विभाग के अनुसार इसमे कोई राजस्व ग्राम रहवासी क्षेत्र नहीं है, साथ ही खेती की जमीन एवं क्रेशर भी इसकी जद में नहीं आने के दावे किए जा रहे हंै। महकमे के अनुसार अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा तो यह प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व बन सकता है।
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रहवासियों की शंकाएं दूर
रातापानी अभ्यारण में बसे गांवों टोलों में रहने वाले आदिवासीयों के बीच कई भ्रांतियां फैली थी वन विभाग के कर्मचारियों ने समितियों के साथ मिलकर सौ से अधिक बैठकें कर समझाने में सफल हुए कि किसी को नहीं हटाया जाएगा।
ड्राफ्ट तैयार कर भेजा
कोर एवं बफर क्षेत्र का निर्धारण कर फायनल ड्राफ्ट तैयार कर अधिकारियों को भेज दिया। वहाँ से विधी विभाग के पास स्वीकृति के लिए भेजा जा चुका हैं।