किसानों के लिए नया साल खर्चा बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। दरअसल, खेती में यूरिया के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल डीएपी खाद का होता है और DAP के रेट अगले महीने यानी जनवरी से बढ़ सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में किसानों को 1350 रुपए में मिलने वाली 50 किलो की बोरी 1550 रुपए तक मिलेगी। यानी प्रत्येक बोरी पर 200 रुपए तक की वृद्धि हो सकती है।
सब्सिडी 31 दिसंबर 2024 को खत्म हो रही
केंद्र सरकार किसानों को सस्ते मूल्य पर डीएपी उपलब्ध कराने के लिए 3,500 रुपए प्रति टन की दर से विशेष सब्सिडी देती है। इसकी समय सीमा 31 दिसंबर 2024 को खत्म हो रही है।
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हाल के दिनों में डीएपी बनाने में इस्तेमाल होने वाले फास्फोरिक एसिड एवं अमोनिया के मूल्य में 70 प्रतिशत तक की वृद्धि का असर खाद की कीमतों पर देखा जा रहा है।
खाद निर्माता कंपनियों को दी जाती है सब्सिडी
केंद्र सरकार ने अप्रैल 2010 से पोषक- तत्व आधारित सब्सिडी ( एनबीएस ) योजना चला रखी है। इसके तहत वार्षिक आधार पर निर्माता कंपनियों को सब्सिडी दी जाती है।
इसके अतिरिक्त किसानों को सस्ते मूल्य पर निर्बाध डीएपी उपलब्ध कराने के लिए एनबीएस सब्सिडी के अलावा डीएपी पर विशेष अनुदान दिया जाता है।
डीएपी खाद की 50 किलो की बोरी, जो अभी 1400 रुपए में मिलती है, जनवरी से 1600 रुपए तक मिल सकती है। यानी प्रत्येक बोरी पर 200 रुपए तक की वृद्धि हो सकती है। इससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और उनकी खेती की लागत में वृद्धि होगी।
केंद्र सरकार द्वारा डीएपी खाद पर दी जाने वाली विशेष सब्सिडी की समय सीमा 31 दिसंबर 2024 को समाप्त हो रही है। इस सब्सिडी के तहत सरकार खाद निर्माता कंपनियों को 3,500 रुपए प्रति टन की दर से अनुदान देती है। सब्सिडी खत्म होने के बाद खाद की कीमतें बढ़ने की संभावना है।
डीएपी खाद की कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण फास्फोरिक एसिड और अमोनिया की कीमतों में 70 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी है, जो डीएपी बनाने के लिए आवश्यक सामग्री हैं। इन कच्चे माल की महंगाई का असर सीधे खाद की कीमतों पर पड़ा है।