Khategaon News : कोरोना काल के दौरान किसानों के साथ धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों में एक और मामला सामने आया है। खातेगांव के दो व्यापारी भाइयों को न्यायालय ने एक किसान से 18.97 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के जुर्म में दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल की सजा सुनाई है।
क्या है पूरा मामला?
ग्राम जियागांव निवासी किसान महेश पुत्र हेमराज जाट ने साल 2020 में खातेगांव थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। किसान ने बताया था कि खोजा ट्रेडर्स के मालिक सुरेश और पवन खोजा ने उससे अनाज खरीदने का झांसा देकर 18.97 लाख रुपये हड़प लिए थे। आरोपियों ने किसान को कोरा चेक देकर धोखा दिया था।
मामले की पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक अमित दुबे ने बताया किसान ने 29 दिसंबर 2020 को खातेगांव थाने में लिखित आवेदन देकर शिकायत दर्ज कराई थी।
उसमें कहा गया था कि 2 सितंबर 2020 को खोजा ट्रेडर्स के प्रोपाइटर सुरेश खोजा और पवन खोजा उसके घर पर आए और उसे अपना ट्रेडिंग लायसेंस दिखाकर बोले कि वह अनाज व्यापारी हैं। वह उनका अनाज खरीद लेगें।
इसके बाद किसान ने 66 क्विंटल मूंग 6000 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से 3.96 लाख रुपए की व डालर चने 208 क्विंटल 50 किलो 7200 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से 15 लाख एक हजार रुपये के बेचे। कुल राशि करीब 18.97 लाख रुपए हुई।
फसल की राशि के एवज में पवन खोजा ने अपने नाम का कोरा चेक हस्ताक्षर करके दिया। परंतु कोई रसीद न देकर आश्वासन दिया कि वे उसके खाते में पैसे डाल देंगे, लेकिन पैसे नहीं डाले गए।
पुलिस जांच में क्या निकला?
पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी भाईयों ने केवल महेश जाट बल्कि कई अन्य किसानों के साथ भी धोखाधड़ी की थी। पुलिस ने दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया और अदालत में पेश किया।
न्यायालय का फैसला
अदालत ने 29 गवाहों के बयानों के आधार पर दोनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही, दोनों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
किसानों के लिए चेतावनी
यह मामला किसानों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। किसानों को किसी भी अजनबी व्यक्ति या कंपनी से सौदा करने से पहले पूरी तरह से जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए।
29 लोगों की गवाही कराई
प्रकरण की सुनवाई के दैरान 29 लोगों की गवाही कराई गई। इसके आधार पर द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश सुशील कुमार अग्रवाल ने सुरेश व पवन खोजा निवासी ग्राम रेहटी तहसील खातेगांव को 3–3 वर्ष के सश्रम कारावास और दस-दस हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। प्रकरण में कोर्ट मुंशी रणछोड़ दास जमरा का विशेष सहयोग रहा।